शनिवार, 6 मई 2017

बात की बात – प्रत्युत्तर

बात  की बात – प्रत्युत्तर
‘’ तुम एक सभ्य  व संस्कारित  घराने के लडके होकर भी हमेशा दूसरों की आलोचना करते व झूठी बातों  को महत्व  देते हुए मिलते हो | तुम्हारी यह आदत ठीक नहीं है | अपनी आदत में सुधार लाओ | ‘’ एक अधेड़ से व्यक्ति ने १८-१९ वर्षीय युवक को डपटते हुए कहा  |
‘’नहीं ला सकता अंकल|’’ उसने मुस्कराकर जवाब दिया |
‘’ क्यों ? ऐसी क्या मजबूरी है ?’’
‘’ मुझे एक सफल राजनीतिज्ञ जो बनाना है |’’
               सुनील कुमार ‘’सजल’’

शुक्रवार, 5 मई 2017

बात की बात – ज्योतिष

बात  की बात – ज्योतिष
 कहते हैं ज्योतिष एक विज्ञान है |पर उल्लू बनने-बनाने के चांस भी इसी में ज्यादा हैं |एकज्योतिषी ने तो यहाँ तक कह दिया था | जब तक अन्धविश्वासी इस धरती पर रहेंगें तब तक कोई माई  का लाल हमारा धंधा चौपट नहीं कर सकता | अब आप ही देख लीजिए | बनारस से शिक्षा प्राप्त ज्योतिषाचार्य एवं कथावाचक  पंडित पकड़ चंद जी ने मोहल्ले की तीन बेटियों की शादी के लिए आए  रिश्ते हेतु कुंडली मिलन की | तीनों की शादी भी संपन्न करवायी |तीन में में से दो का वैवाहिक जीवन असफल रहा | वे शादी के दो माह बाद ही घर आकर बैठ गयी |हमने इस पर उनसे सवाल किया – ‘’ आप तो ज्योतिष के बड़े अंधभक्त हैं , कहतें हैं ज्योतिष कभी गलत नहीं होता , फिर ये दो बेटियाँ ....|’
‘’ सब प्रभु की माया है ,उसके आगे किसकी चली है |’’
‘’ जब सब प्रभु की माया है उसके आगे किसी की नहीं चलती तो ज्योतिष की माया का जाल दूसरे पर फेंक कर आप लोग अपनी क्यों चलाते हैं  ....|
‘’पेट चलाने के लिए प्रभु की दी माया है , और का कहें |


     सुनील कुमार ‘’सजल’’

लघुव्यंग्य- शहर की सड़क

लघुव्यंग्य- शहर की सड़क
शहर की सड़क पर महीनों से काम चल रहा था |काम में ठेकेदार की लापरवाही से हफ़्तों का काम महीनों में संपन्न नहीं हो सका | जगह-जगह गड्डे , उबड़-खाबड़ तल |इस दौरान कई एक्सीडेंट भी हुए | पर प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी |  उस दिन पी.डब्लू. डी के बड़े साब उसी सड़क से गुजरे | उनकी  वेन सड़क के गड्डे में फंस गयी | साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर |विभाग सकते में आकर पूरी सहानुभूति जताने में लग गया |पर साब गुस्सा यूं नहीं उतरा |उतारा तब जब उस क्षेत्र का उपयंत्री निलंबित हुआ | आधुनिक परिभाषा में इसी को कहते प्रशासन का जागना |
     सुनील कुमार ‘’सजल’’


गुरुवार, 4 मई 2017

लघुव्यंग्य- गधापन

लघुव्यंग्य- गधापन
चलते-चलते मैं रुक गया | मैंने देखा कि एक गधा सड़क किनारे मरा पड़ा है |उसका एक साथी गधा गर्दन झुकाए उसके शव के पास खड़ा है | पास से गुजरने वाले लोग यह दृश्य देखकर हंसते हुए नहीं रहते | मुझे हँसी नहीं आती |
दोपहर को लौटते हुए मैं पुन: वहां से गुजरा तो देखा वह गधा अब भी उस मरे गधे के पास सुबह वाली मुद्रा में खडा है , मैं  फिर रुक गया | तभी अचानक मेरा ध्यान उन दो आदमियों की ओर गया , जो आसपास से बेखबर साइकिलों पर सवार र्होकर जा रहे थे |
उनमें से एक आदमी दूसरे को कह रहा  था ,’’ तुम तो बिलकुल गधे हो | भला इतनी देर पांडे के घर रुकने की क्या जरुरत थी ? तुम वहां उसके भाई की मातमपुर्सी करने गए थे या कुम्भ स्नान करने ?’’

     सुनील कुमार ‘’सजल’’

बुधवार, 3 मई 2017

लघुव्यंग्य- यार की बात ......

लघुव्यंग्य- यार की बात ......
उनकी ओर से डाली गयी यूट्यूब में एक ही तरह की वीडियो सामग्री मसलन ‘’ औरत को संतुष्ट करने के तरीके , यह नुस्खा आपको बिस्तर पर घोडा –सा ताकतवर बनाकर छोड़ेगा  ,यह नुस्खा आजमाकर औरत के मुख से चीख निकालें’’  वगैरह वगैरह |
  ‘’ आपको औरत ही को  संतुष्ट करने की चिंता क्यों है ? कहीं आपके जीवन में भी ...|’’
‘’ क्या बकवास बात कर रहा है ,मैं तो घोडा हूँ घोड़ा |’’
‘’ फिर ये फालतू की सामग्री .. कोई ज्ञान की बातें डालो |और क्या भरोसा तुम्हारे ये नुस्खे कितने काम के हैं , नीम हाकिम खतरे की .... वाली कहावत तो नहीं है |“’’

‘’येभी ज्ञान की बात है दोस्त उनके लिए जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं हैं | फिर आप भी जानते हैं फेयरनेस क्रीम से कितने कौएं बगुले की रंगत पा सके  | 

लघुव्यंग्य- मन

लघुव्यंग्य- मन
मुझे माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से हाई स्कूल की प्रायोगिक विज्ञान परीक्षा संपन्न कराने हेतु बाह्य परीक्षक के रूप में जंगल के बीच बसे हाई स्कूल में जाने का आदेश प्राप्त हुआ था, जहां मात्र दो शिक्षक थे और जिस गाँव में घर भी बामुश्किल भी आठ- दस ही थे |
परीक्षा संपन्न कराने के उपरांत मैंने एक शिक्षक से पूछ ही लिया- ‘’ भाई , आप लोग इस घनघोर जंगल के बीच बने स्कूल में बड़े कष्ट में जीवन गुजारते होंगें ...जहां मात्र ८-१० घर ही हैं और जहां के लोग रोटी की तलाश में दिनभर जंगलों में भटकते रहते हैं| कैसे मन लगता होगा आप लोगों का ऎसी जगह ....? आपकी जगह अगर हम होते तो दूसरे दिन यहाँ से रवाना हो गए होते ....!’’

मेरी बात सुनकर वह मुस्कराते हुए बोले ,’’ जहां आसानी से शराब , शबाब और मुर्गे की उपलब्धता हो जाए तो जंगल के बीच बने इस स्कूल में तो क्या , इससे भी बदतर जगह में भी हमारा मन आसानी से रम जाता है सर !’’

बुधवार, 19 अप्रैल 2017

......समाचार.!

समाचार..........!
स्थानीय अखबार में एक दफ्तर के पदस्थ अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुडी खबर छपी |जनता खुश |'' अब बेटा को पता चलेगा ...जब जांच चलेगी .. म्याऊं म्याऊं करता नजर आयेगा ...पहले बहुत गुर्राता था ...|''
'' काहे इतना खुश हो रहे भाई ...जांच कौन अधिकारी करेगा , जिनके खिलाफ खुद कुछ न कुछ छपता रहता है ..दोस्त जिन्हें बिना खाज के खुजलाने की आदत पड़ गयी है ,आप चाहे हाथ-पाँव बाँध दें , वह किसी न किसी तरीके से खुजलाने से बाज नहीं आयेगा ,,,सो वे भी ...| ''