मंगलवार, 30 जनवरी 2018

लघुकथा- फर्क

 लघुकथा-फर्क
एक होटल में पुलिस का छापा पड़ा  ।छापेमारी के दौरान पुलिस ने चार जोड़ों को गिरफ्तार किया । वे सब रईस खानदान से थे ।
छापामार टीम  एक सिपाही -"ये हाल है रईसों की बिगड़ैल औलादों का ।मर्यादा न आबरू की चिंता ...।"
"ये तो इनका फैशन भी है और शौक भी दोस्त ।"दूसरे सिपाही का तर्क ।

"देखो इनके चेहरे पर ज़रा भी सिकन नहीं ..।"
" सिकन तो बड़े साहब के चेहरे पर आ गयी है ।फोन पर फोन आ रहे हैं । कह रहे थे ।गलत जगह हाथ डाल दिए.... यार।"

लघु कथा - संस्कृति का दान

लघु कथा - संस्कृति का दान
क्षेत्र आपदा पीड़ित । सहयोग हेतु एक संस्था आगे आयी । वह संस्था जरूरतमंद लोगों के लिए नए पुराने कपड़ों का दान मांग रही थी ।संस्था की गाडी जब धनाढय वर्ग की कॉलोनी से गुजरी ।देखा  पश्चिमी फैशन में सजी-धजी  यौवनाएँ उन सारे कपड़ों का दान कर दी । जिन्हें धारण कर पूरे बदन की नग्नता ढकी जा सकती थी ।
 -- सुनील कुमार "सजल"

रविवार, 28 जनवरी 2018

लघुकथा - सोच

लघु कथा - सोच
" रमेश सुना है ,आजकल तुम गरीब बस्ती बहुत दिख रहे हो । धनाढय पिता का प्रश्न  ।
"हाँ ,मैं गरीबों की मदद करने जाता हूँ ।उन्हें मुफ्त शिक्षा दे रहा हूँ ।"
" क्या मुफ्त शिक्षा ?"पिता आश्चर्य से। "नालायक मैंने इसी काम के लिए  तुझ पर  लाखों रुपये खर्च कर डिग्रियां दिलाया । अपनी चिंता कर ।कोई विशाल कान्वेंट स्कूल खोल जहां लाखो रुपये हाथ आएंगे । उन गरीबों की चिंता सरकार करे ।उसकी जिम्मेदारी है । समझा । "

लघु व्यंग्यकथा - शौक

लघु व्यंग्यकथा - शौक
उसे फेशबुक में वायरल सामग्री पोस्ट करने का शौक था । एक बार उसने एक वीडियो पूरा देखा नहीं।पोस्ट कर दिया । जो उसी की खानदान की लड़की का वायरल अश्लील वीडियो था । मगर अब क्या ? उसका शौक....उसे ही खीझे बंदरों की तरह  चिढ़ा रहा रहा ।

बुधवार, 24 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य - अंकुश

लघु व्यंग्य -अंकुश
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के एक समूह ने अपनी अधीक्षिका के खिलाफ विद्रोह कर दिया ।वे शिकायत हेतु उच्च अधिकारी के पास पहुंची ।उनकी अधीक्षिका उन  पर अंकुश पर अंकुश लगाती हैं ।पीना-खाना, मौज-मस्ती,, घूमने -फिरने और लड़कों के संग दोस्ती पर अंगुलियां उठाती हैं । आखिर वे वयस्क हो गयी हैं ।समझदारी उनमें भी आ चुकी है फिर तरह तरह के अंकुश क्यों .....?"
    गंभीरता से उनकी बातें  सुनते अधिकारी की नजरें पूरी समझदारी के साथ उनके  आकर्षक बदन पर घूमने लगी थीं ।

रविवार, 21 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य कथा - प्यार

लघु व्यंग्य कथा-प्यार
प्यार का इजहार करते हुए उसने एक सुन्दर सा फूलों का गुलद्दास्ता देते हुए बोला-" मेरा प्यार तुम्हारे लिए इन फूलों की तरह कोमल,खुशबूदार व रंगीन है ...।"
  "ये फूल तो एक न एक दिन तो सूखेंगे,टूटेंगे और खुशबुएँ भी उड़ जायेंगीं ।फिर.....।" एक कुटिलता भरी मुस्कान उसके होठों पर फ़ैल गयी। और वह निराश हो गया।निराश होता चला गया ।एक दिन प्यार...फूल...खुशबुएँ ..जाने कहाँ बिखर गए। और वह ? पता नहीं ...।

शनिवार, 20 जनवरी 2018

लघुव्यंग्य -टाइम पास

लघुव्यंग्य- टाइम पास
"तू उससे जितना प्यार करती है, ।क्या वह भी  तुझसे उतना ही प्यार करता है ।"
"क्यों नहीं?"देखती नहीं ,रोज मेरे व्हाटस अप में लव मैसेज, फोटो,शेरो- शायरी भेजता है । रोज ब रोज प्यार भरी बातें भी ...। वह अधूरा सा वाक्य बोलते हुए मुस्काई ।
"पहली बार कब और  कहाँ मिली थी उससे ।"
"मिस्ड कॉल के जरिए जुड़ गए । फिर क्या था व्हाट्स अप पर लव चल रहा है ।"
"यानी अभी तक नहीं मिली उससे...। सहेली का आश्चर्य भहरा प्रश्न ।
"नहीं....।"
"कैसी पगली है , उसे देखा न सुना और प्यार कर बैठी । हो न हो, वह तेरी मासूमियत को पहचान कर  टाइम पास गेम की तरह  तेरी भावनाओं से खेल रहा हो ।"
"मैं कौन -सा अपना सब कुछ उस पर  न्यौछावर कर दी । मैं भी तो वही कर रही हूँ । "
"तू तो बड़ी चालाक लोमड़ी निकली रे । प्यार के बहाने टाइम पास....।"
" आजकल प्यार -व्यार में मर-मिटने  का    टाइम किसके पास  है ..। सब टाइम पास है ...। और वह खिलखिलाकर हंस पड़ी । अब सहेली के पास पूछने के लिए कुछ भी शेष नहीं था ।
          - सुनील कुमार सजल