समय की बात – हां !आज
उनका स्वभाव था | अगर वे किसी परिवार में खाने के
समय पर पहुंचते और उनसे खाने के लिए कहा
जाता तो न कर देते |एक बार वे अप[आने मित्र के यहाँ किसी काम से पहुंचे थे परिवार के लिए भोजन का वक्त था | मित्र की
पत्नी ने सोचा ,’’ चलो शर्मा जी को भी खाने को कह दिया जाए | वे तो वैसे भी मना कर
देते हैं | दो शब्द बोलने में क्या हर्ज है |
परन्तु आज
जाने कैसे शर्मा जी ने हां में सर हिलाते हुए बोले – ‘’ आज तो खा लूंगा घर में
मिट्टी का तेल ख़त्म हो जाने के कारण खाना नहीं पका सका |’’
शर्मा जी की हां पर पत्नी का माथा ठनका बुदबुदाते
हुई बोली ‘’ आज फिर खाना पकाना पडेगा |’’
सुनील कुमार ‘’सजल’’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें