सोमवार, 15 जनवरी 2018

लघुव्यंग्य-थकान

लघुव्यंग्य- थकान
शाम का समय ।पति कादफ्तर से लौटना  ।
पत्नी को चाय बनाने में थोड़ी देर हो गयी ।
"इतनी देर लगा दी बनाने में ..!"
"आज कुछ थकान  सी लग रही है ।"
"सारे कपडे धोये हैं ,बिस्तर के ..।"
"सारे दिन  तो घर में आराम से रहती हो एक दिन के काम में थकान महसूस करने लगी ।हमें देखो दिनभर फाइलों के बीच मगज मारी करते रहते ऊपर से घर का काम भी....। हमारा थकान महसूस करना लाजिमी है
।"
अगले दिन वही  शाम को पति का दफ्तर से लौटना ।
अबकि बार पत्नी ने बिना देर किये झट से चाय बनाकर पेश कर दी ।
"वाह! आज तो बड़ी जल्दी चाय ...लगता है कल की बातों का असर हुआ  है  ।"
"हाँ यही समझों  । आप बहुत थक गए होंगे ..दफ्तर के सामने वाली झोपड़ नुमा  चाय की दुकान में दोस्तों के साथ सिगरेट के छल्ले उड़ाते और चाय की चुस्की के साथ  घण्टे भर तक  दोस्तों के साथ गप्प मारते हुए...।"
"तुम्हें कैसे मालूम क़ि मैं वहां....।"
"आपके दफ्तर के सामने वाले शापिंग मॉल में शर्मा दीदी के साथ घर का किराना खरीदने गयी थी ...।"
पति की नजर अब दूसरी दिशा में घूम गयी थी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें