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रविवार, 29 नवंबर 2015

व्यंग्य - चोरी में भी है मजा

व्यंग्य - चोरी में भी है मजा
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चोरी में भी मजा है साब | आप कह रहें होंगे का फालतू टाइप कि बात कर रहें हैं | चोरी में भला मजा हो सकता है |या फिर फिर चमचागिरी कर आपको चोरी करने के लिए उकसा रहे हैं |ताकि आप चोरी करें |और चोर कहाएँ |
  साब हम तो आपको चोरी के कर्म से मजा लूटने के लिए कह रहें हैं | ना कि चोर बन अपनी फजीहत कराने के लिए |साब चोरी में ठीक वैसा ही मजा है | जैसे आप डायबिटिक हों और जोर से पेशाब लगी हो |आप बहुत परेशान हैं | इसी बीच आपको किसी घर कि दीवार कि आड़ दिख जाए | आप खाली हो जाएँ | कितना सुख मिलता है साब | मानो स्वर्ग  का सुख मिल गया हो |या फिर आप मूत्र रोगी हैं तो यह सुख और भी दुगुना हो जाता हैं |बस इसी टाइप का मजा है चोरी में | आदतन चोरों से हटकर चोर बनने में असीम आनंद कि प्राप्ति होती है | इस अभ्यास से चोरी में मजा लूटने के नए-नए दिव्य उपाय कि अनुभूति मन में होने लगती है |
  अब अपने राधेलाल जी के चौर्य कर्म को लें |इसी कर्म को के सहारे उन्होंने भाभी जी को पाया | इसके पहले इस कर्म में निपुणता प्राप्त करने लिए क्या –क्या न सहे |जैसा कि नौसिखिया प्रेमी प्रेम की राह पर भीड़-भाड़ वाले इलाके  में गिरते पिटते प्यार की साइकिल या मोटरसाइकिल चलाये |
आप इस गलतफहमी में न रहें | राधेलाल जीने भाभी को घर में पली मुर्गी कि तरह या आँगन में कड़ी मोटर साइकिल कि तरह चुराया हो |वे व्यावसायिक चोर नहीं हैं |लड़कियों के | वे तो दिल फेंक इंसान हैं | प्यार की  दुनिया में |भाभी जी को चौर्य कर्म के सहारे पाने का क्लाइमेक्स कुछ इस तरह बताते हैं |बोले- पहले तो भैया अपन ने तुम्हारी भाभी की  गलियों के चक्कर काटने शुरू किये | जैसे कोई चोर गलियों में भवन व गलियारों  को  अन्दर बाहर से  स्कैन करता है |फिर चोरी करने का प्लान सेट करता है |ठीक उसी तरह |फिर हमने तुम्हारी  भाभी जी से धीरे-धीरे  नजरें मिलाने का प्रयास किया | फिर प्रयास को हिम्मत में बदलने का प्रयास किया |अन्दर से कई बार उठती घबराहट के कारण हमारी चोर नजरें अपने आप इधर फिर जाती थी |जैसे घर –गलियारे में घुस आया कुत्ता ज़रा सी आहट दायें-बाएं होकर दूसरी हरकत करने लगता है | ताकि दूसरों को हमारे चोर होने का शक न हो | ‘’प्रयास से  सफलता मिलती है ‘’  बड़े –बुजुर्गों की  ये बातें हमारे हित में रही   | उनके दिल में कुछ हुआ- सा |ग्रीष्म में कूकती कोयल की  तरह हुक सी उठने लगी प्यार की  |फिर तुम्हारी भाभी ने धीरे से  हमारा दिल चुरा लिया | दिल चुराने हम निकले थे, भाई साब  | चुरा उन्होंने लिया |हम भी करते क्या | भाभी जी थी ऐसी ही | हमने भी  बन्दूक ताने चोर के सामने चाबी फेंकने में भला है की तर्ज पर   अपने दिल की बात फेंक दी | अब तो दोनों एक दूसरे के दिल चुराने वाले चोर बन गए | मजे से कट रही है जिन्दगीं |इस चोरी वाले प्यार के प्लान से |
  पिछले दिनों हमारे करीबी शहर में अजब चोरी कि घटना घटी | यूँ तो चोर अच्छे भले घर  में घुस जाए तो कुछ न कुछ चुरा कर अवश्य ले जाता है | पर ये अजीब चोर थे साब | एक घर में घुसे | घर किसी टूटपूंजिये का नहीं था |चोरगण अर्धरात्री में न घर में घुस कर पोहा तला | खाया पिया | चाय पी | और हाथ पोंछ कर निकल लिए |कोई क्षति नहीं की |हमें तो महसूस हुआ साब | वे चोर दरअसल चोरी में मजा लूटने वाले चोर थे |चोरी करने में क्या आनंद आता है | इस बात को परख रहे थे |
यूँ तो कई प्रकार चोर गिरोह होते है  | उनका उद्देश्य  भी अपनी तरह का होता है | पर प्यार में चोरी का मजा........वैसे भी आप समझदार हैं साब |

सुनील कुमार ‘’ सजल’’ 

रविवार, 6 सितंबर 2015

व्यंग्य -पर्चा लीक होने की ख़ुशी


व्यंग्य -पर्चा लीक होने की ख़ुशी

परीक्षा का दौर जारी रहे और एकाध विषय का पेपर लीक हो जाए | कभी – कभी ऎसी बड़ी सुखद घटना होती है |प्रशासन को भले ही इस घटना से गुस्सा आए , टेंशन हो | हायर सेकेण्डरीपरीक्षा का स्वाध्यायी छात्र मुन्नूलाल के लिए आज का पर्चा लीक हो जाना सुखद समाचार है | वह पर्चा लीक होने से तनिक भी निराश नहीं है | पर्चा लीक हुआ तो प्रशासन उसे निरस्त तो करता है | हो जाने दो, क्या बुराईहाई |
मगर उसकी प्रेमिका को बड़ा दुःख हुआ |’’ काहे को कर देते हैं पर्चा लीक | अगर लीक किए थे तो दबा  छुपा के काम निकाल लेते | पर इन औंधी खोपड़ी वालों को जाने कब समझ आएगी | यहाँ हमारे देश में बड़े-बड़े अपराध दब जाते हैं | एक पर्चा की लीक होने की घटना को नहीं दबा सके |’’ दरअसल मुन्नू लाल की प्रेमिका रमिया को दुःख है कि उसके प्रमी की मेहनत बेकार गयी बेचारा रातभर पढाई करता था | ऐसा उसकी मां भी कहती है | आठ- दस कप चाय पीकर जगता था | पर हमें गुप्त खबर थी कि वह रातभर बेचारा बनकर नक़ल काटने व उन्हें सेट करने की जुगत में लगा रहता था | प्रमिका रमिया बेहद दुखी है | अपनी सहेली से दुःख व्यक्त कर रही है | ‘’ कितनी मेहनत की होगी मुन्नू बेचारे ने | इम्पोर्टेंट छाटने से लेकर गाइड पुस्तक की कटिंग कर उसे शरीर व् कपडे के हिस्सों में सेट करने में | ताकि उड़नदस्ता भी आ जाए परीक्षा में तो तलाशी के दौरान सूखे हाथ झारा कर रह जाए | पर चित न निकल सके | ऎसी-ऎसी जगह में नक़ल रखता है |फिर तो नक़ल सेट करने में गुप्त अंग बचते न सुप्त अंग |
बेचारा परसों कह रहा था | ‘’ अब हमसे पढ़ा नहीं जाता रानी | तुमसे या फिर तुम्हारी तस्वीर के ख़ूबसूरत चहरे से नजरें हेट तो किताब पर नजरें गड़ाएं| क्या करें नजरें हटाती नहीं | पढाई के नाम पर किताबें खुलती नहीं |येई से बारहवीं में दो साल फ़ैल हुए | तुम्हारे प्यार में हम ऐसे पागल हुए कि लोग कहते हैं ज्यादा पढाई करने से हम सनक गए हैं |’’
बेचारा मुन्नू परीक्षा में बैठ रहा है |इत्ती बहुत है | हम भी जानते है | मुन्नू ईममंदारी से पढाई करके पास नही हो सकता | हमने उसके खातिर चंद्रौल सर से संपर्क किया था | वे देहात के एक सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूल के मास्साब हैं | वे बहत सहयोगी व्यक्ति हैं | वे बारहवीं में अपने स्कूल में प्राइवेट परीक्षा के फ़ार्म भरवाने के भले ही पांच सौ की जगह पांच हजार लेते है | पर गारंटी के साथ कहते हैं | ऐन-केन प्रकारें इत्ती नक़ल तो करा देते ही देगें कि परीक्षार्थी पास होकर रहेगा | इत्ती तो उनकी गारंटी है | हमने उनासी इत्ती कहा –‘’ मास्साब पांच से कछु कम ले लो |’’ वे बोले – ‘’ लड़की पांच पूरे हामी अकेले की जेब में थोड़ी न जाता है | केन्द्राध्यक्ष, सहायक केन्द्राध्याक्ष , पर्यवेक्षक के मुंह में परसाद जैसा बुरकना पड़ता है | ‘’ हम भी सोचे | चलो गुरुओं को दान दे रहें हैं | सो दे दिए |
पेपर लीक होने पर प्रेमिका चिंतित है | मुन्नू को फिर उत्ताई मेहनत करनी पड़ेगी | गाइड , पॉकेट बुक्स , किताब फिर से खरीदना पडेगा | रातभर जागना सो अलग |
वह मुन्नू के पास पहुंची | बोली- सुन रे मुन्नू , भगवान वाकई तेरे साथ गद्दारी करता ही |’
 ‘’ का हुआ | काहे की, कैसी गद्दारी ?’’
पेपर निरस्त हो | फिर से तुझे उत्तई मेहनत करना पडेगा |’’
 तो का हुआ|’’
‘’ तू तो बड़े शेखी मारने के अंदाज में कह रहा है | तुझे जराभी दुःख नही है |
‘’ नही.....|’’
‘’काहे....’’?
 ‘’ मेरे दिल की रानी | कलेक्टर साब का उड़नदस्ता आ गया था | पूरे ढाई घंटे जमा रहा परीक्षा केंद्र में | हम कुछ नही कर पाए थे | कापी में | इसी बीच खबर मिली कि पर्चा निरस्त हो गया | अच्छा हुआ | हम तो भगवान व् गुरुओं को धन्यवाद दिए| सोचते रहे पहले काको लागून पाँव | रानी कई दिनों के बाद होगा यह पेपर | तब उड़नदस्ता का करेगा आकर | वैसे भी धुप भी तेज हो जाएगी | उड़नदस्ता के अधिकारी कूलर ,ए.सी. में बैठेंगे किचिलमिलाती धुप के बीच परीक्षा केन्द्रों में छापामारने जाएंगे |बता....|’’
  रमिया मुस्कुरा दी | बोली मैं तो टूट गई थी रे | तेरी मेहनत देखकर ...|’’
वह हंसा | और वह भी हंस दी |
   सुनील कुमार ‘’सजल’’