व्यंग्य- दुर्गा पूजन में
नवरात्र पर्व आ गया |देवी स्थापना हेतु चौराहे-गली में पंडाल इत्यादि
सज गए हैं | जगह –जगह पंडाल | समितियां |देवी भक्तों की भीड़ | लाउड स्पीकर का शोर
| चन्दा वसूलने वालों की घूमती टोली | जबरिया वसूली |
‘’ यार तुम्हें शर्म आनी चाहिए सौ रुपये चंदे में दे रहे हो |इत्ते से
काम चलेगा का | कम से कम पांच सौ तो दो |देवी भक्त हो , देवी का तनिक का लिहाज करो
| देवी से हजार माँगते हो , सौ देने में रो- रो मार रहे हो |पूजन - व्यवस्था में
कितना खर्च आता है, हमें मालूम है | महंगाई सुरसा जैसी खिलखिला रही है | तनिक शर्म
करो भाई साब पांच सौ का हरा पत्ता निकालो |’’
न देने पर तमाम छोटी-मोटी
धमकियां | मजबूर आदमी |
पंडालों की सजावट को लेकर दुर्गा समितियों में आपसी काम्पीटीशन |’’
देख इस बार हमारी मूर्ति नगर की सबसे ऊंची मूर्ति है | स्साले वो नवरत्न समिति वाले
पिछले बार खूब भाव खा रहे थे | इस बार हम भी उन्हें सजावट का पैमाना दिखा देंगे |
स्साले मुंह छिपाते फिरेंगे | हमारे सामने | नागपुर से बुलाया है इस बार | देखते हैं कौन टक्कर लेता है
अपन से |
लाइट हाउस वाले इस बार मोहल्ले की समिति को डेकोरेशन देने में कतरा
रहे हैं |’’ कहते हैं , नफ़ा-नुकसान के लेनदेन में बनियागीरी दिखाते हैं |और ऊपर से
पीकर हाथापाई करने से नहीं चूकते |भैया अपन धंधे की बलि चढाने को थोड़ी न बैठे हैं
|पेट-पूजा की व्यवस्था के लिए पसीना बहा रहे हैं |’’
इधर पंडित रामदीन महाराज को मोहल्ले की समिति ने पूरे नौ दिन मां
दुर्गा की सेवा हेतु अनुबंध किया है | पिछले साल गांधी चौक की समिति ने पंडित
रामदीन को जमकर चूना लगाया था | बड़े हरामी निकले वह समिति के लोग | चढ़ोतरी की राशि डकारे सो अलग अनुबंध की राशि की में भी
गोलमाल कर गए | बेचारे पंडित जी श्राप देते रह गए |’’ बताओ यार कितना कठिन होता है
नौ दिन दिन तक देवी की सेवा करना |रोज सबेरे- शाम
पिचके पेट लिए आरती गाओ , मन्त्र पढो | हमई को मालूम है कैसे निकाले हैं नौ
दिन समिति के दिए थर्ड क्लास फलाहार के दम
पर |
समिति के लोग चन्दा वसूली में
लगे हैं |चाय-नाश्ता , बीडी –सिगरेट , गुटका पाऊच सब चंदे की राशि से |कहते हैं –‘’
आज के समय में दूसरों की जेब से चन्दा राशि वसूलना बड़ा कठिन काम है भाईसाब |वो तो
अपन अपनी दबंगई से से निकाल रहे | वरना लोग तो सवा ग्यारह या सवा इक्कीस में ही
चलता कर देते हैं , आमदानी का रोना रो कर |अब इत्ती मेहनत कर हैं देवी मां के लिए
तो का बीडी सिगरेट , दारू भी नहीं पी सकते का | थकान उतारने के लिए |नशा किये बगैर
अपना तन वसूली के लिए गवाही भी नहीं देता | तो का करें |
समिति में कुछ बेरोजगार टाइप
, के लोग भी हैं | उनके हाथों में चन्दा रसीद बुक थमा दी गयी है | वे भी बस
कंडक्टर की तरह किराया चोरी करने की तरह चन्दा चोरी करने में लगे हैं |आखिर देवी
उत्सव सबका ख्याल रखता है साब |आखिर ऐसे त्यौहार इसीलिए बनाए गए हैं ताकि कोई भूखा
व असंतुष्ट न रहे | देवी मां की कृपा सब पर बरसती रहे |
इधर पंडाल में मां देवी की स्थापना हो चुकी है पंडित रामदीन महाराज
सेवा में लग चुके हैं | भक्त गण, समिति के लोग भक्ति में,-सेवा में भाव विभोर हैं
|
‘’ अबे कालू, पंडित जी के
लिए सिगरेट खरीद कर ला दे | कब से तलब लगी है उन्हें | साले ध्यान तक नहीं रखते
पंडित जी का | हाँ बे पूछ लेना कौन सा ब्रांड पीते हैं |’’
‘’ वो तो उपवास हैं न | फिर
सिगरेट...?’’ ‘
‘’ अबे देवी सेवा में लगे हैं तो का सिगरेट पीना छोड़ दें | देखता नहीं
कड़ी धुप के दिन हैं |उपवास सहन करने के लिए नशा जरुरी होता है बेटा |’’ एक अधेड़ सा
व्यक्ति समिति के लडके को समझाइश दे रहा है |
पंडित जी के लिए भक्तों व
समिति की ओर से सम्पूर्ण व्यवस्थाएं हो रही हैं | वे भक्ति में पूरी तल्लीनता से
लगे हैं |खाली समय में कुछ मूडी टाइप के लोगो के साथ शास्त्रोक्त बहस भी जारी रखते
हैं | ताकि उनके अध्यात्मिकज्ञान का प्रभाव लोगों के बीच बना रहे |
पूजा के वक्त वे भक्तों को
उकसाते हैं – देखो बिटवा , देवी मां को जितनी ज्यादा चढ़ोतरी चढाओगे | मां तुमका उतना ही गुना देहि
|’’
पड़ोस के एक निर्माण ठेकेदार
ने इस बार चार बड़ी पुलिया बनवाया है |पुलिया कितनी मजबूत बनवाये यह तो वे ही जाने
| मगर समिति की अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए तगड़ा चन्दा दिया है | दुर्गा समिति
मां दुर्गा से ज्यादा उनका गुणगान गा रही है |
इधर जिले में बिजली की बड़ी
खपत के चलते पॉवर लोड इतना ज्यादा है कि बिजली बार-बार ट्रिप ले रही है | बिजली
विभाग की ओरसे जारी ‘’ बिजली बचाओ का नारा , करेंट खाए व्यक्ति की तरह बेहोश होकर
चित्त पडा है ......|
सुनील कुमार सजल