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मंगलवार, 3 नवंबर 2015

व्यंग्य – मीठी वाणी का जादू

व्यंग्य – मीठी वाणी का जादू


लोग कहते है कि अधिक मिठास का अंत होता है | लेकिन अपना मानना है कि मिठास दो दिलों को जोड़ती है | सोचिए, प्रेमिका को पहले मिलन में क्या खिलायेंगे ? समोसा या नमकीन ? वह कहेगी,-‘’ समझदार है , भावनाओं का क़द्रदान है |’
अपवाद स्वरूप प्रेमिका डायबिटीज हो तो मामला अलग है | वरना वैज्ञानिक कहते हैं कि चाकलेट पर तो लड़कियां रीझती हैं | प्राचीन हो या आधुनिक संत मीठी वाणी की पहल करते हैं |फिर जाने क्यों कुछ लोग कतराते हैं मीठी वाणी से | शायद उनका मानना है कि नीम वाणी बिमारी सरीखी समस्याओं का हल है , इसलिए शायद वे खुद कड़वा बोलते हैं | हमारी जवान पड़ोसन है | मीठी वाणी की जादूगरनी है | जवान तो जवान , बूढ़े भी फ़िदा रहते हैं उसकी वाणी पर | अपनी कोयलिया कू-हूँ से अकड़ को भी कब्जे में कर लेती है | शान-सौकत प्रेमी से मजदूर की भांति काम करा लेती है
एक बार मेरे पास दूर प्रदेश से फोन काल आया | टेलीशापिंग कंपनी का कॉल था | चतुर कम्पनियां ग्राहक फंसाने के सारे गुण बखूबी जानती है | अत: वे मीठी आवाजों की अपने काल सेंटर अतैन्देंत बनाती है |
‘’ जी , मैं टॉप पोल टेलीशोप से अंशुल बोल रही हूँ | ‘’ वह बोली ‘’ जी कही |’’ मैंने कहा| ‘’ सर आपने फोन किया था |’’
जी नहीं |’’
‘’ हो सकता है, बच्चों ने या आपकी मिसेज ने किया हो |’’
‘’ हो सकता है | पता करूंगा |’’
खैर जाने दीजिए | सर एक बात कहूं...|’’
‘’ कहिए|’’
क्या मैं आपके कीमती वक्त में से कुछ समय ले सकती हूँ |’’
हाँ-हाँ क्यों नहीं |’’
‘’ आप व्यस्त नहीं हैं न सर |’’
‘’ जी नहीं, फुर्सत में हूँ |’’
हम उसकी जादुई आवाज पर ऐसे फ़िदा हुए , जैसे खूबसूरत चहरे पर कोई सिरफिरा |
‘’ सर , आप अपना नाम बता सकते हैं ...|’’
‘’हाँ बिलकुल | जी नोट कीजिए ... सुनील |’’ ‘’
‘’ सर आप किस शहर में रहते हैं ?’’
‘’ मैं म.प्र. के मण्डला जिले से |’’
‘’ जी धन्यवाद सुनील जी | हमारी कंपनी एक से बढाकर एक मार्डन प्रोडक्ट लांच करती है |सर, बच्चों के खिलोने, लेपटॉप, सस्ती दरों पर घरेलू सामग्री , मोबाईल इत्यादि , जो आपकी जिंदगी बदल देंगे सर |’’
‘’ जी |’’हमने कहा |हमें उनके प्रोडक्ट्स से कुछ लेना – देना नहीं था | हमें तो बस उसकी वाणी प्रोडक्ट बेहतरीन लग रही थी |बातों का सिलसिला न टूटे , इस पर हम पूरी तरह चौकन्ने थे |
‘’ सुनील जी, हमारे प्रोडक्ट माँगने के लिए हमारे टोल फ्री नं.०००००००००  पर आपको सिर्फ एक कॉल करनी होगी और बस, 72 घंटे के अन्दर प्रोडक्ट आपके हाथ में होगा | सर जी, आपको इस समय प्रोडक्ट की कीमत और 100 रुपये वाहक को देने होगें | सर , क्या मैं आपकी पसंद का आर्डर नोट कर सकती हूँ |’’ उसका सुरीलापन सुनकर मन हुआ कि हाँ कह दूं पर बातों को अभी लंबा खीचना था |’’
‘’ मगर मैडम ! एक बात कहें ....|’’
‘’ कहिये सर |’’
‘’हमने सुना है किआप लोग प्रोडक्ट के स्थान पर कागजी कतरनें व पत्थर भेज देते हैं |’’
‘’ जी आपकी शिकायत गलत है | आप हमारी कंपनी की वेबसाईट व टेली विज्ञापनों में भी देख सकते है | कहीं कोई फ्राडबाजीनहीं है | आप लोग हमारी कंपनी के नाम से मिलते –जुलते नाम वाली कंपनी द्वारा ठगे गए होंगे | हमारी कंपनी ‘’ आई.एस.ओ .-9001 ‘’प्रमाणित कंपनी है | अब तो विशवास करेंगे न सर | आप कोई आर्डर देना चाहेंगे सर ?’’
‘’ पर हम कैसे विशवास करें मेडम कि आप हमारे साथ ठगी नहीं करेंगी ?’’
‘’ नहीं सर ठगी नहीं हो सकती प्लीज मेरा विशवास कीजिए |’’
और ठगी हुई ति....|’’
‘’ विशवास कीजिए सर | मैं आपको कैसे विशवास दिलाऊं सर ? ‘’ उसने कहा |
‘’ ठीक है आप कहती हैं तो विश्वास करना ही होगा |पर.....|’’
‘’ पर का अर्थ नहीं समझी सर |’’
‘’ पहले अपनी घरेलू जरुरतों  को देख लूं | फिर आर्डर करूंगा |’’
‘’ लगता है सर आप अभी भी भ्रमित हैं | आपका आर्डर बताइए  न सर |’’
‘’दो दिन बाद मेडम |’’
‘’ सर क्या है कि हमारी कंपनी डिस्काउंट स्कीम चला रही है | प्रत्येक प्रोडक्ट पर 50 प्रतिशत डिस्काउंट मिलेगा | सर आपको | इसका लाभ उठा लें | बाद में 20 प्रतिसत महंगा मिलेगा | और सर हर सामग्री पर 6 माह की वारंटी भी मिलेगी |’’
‘’ ठीक है कहती हैं तो .....|
‘’ थैंक्यू सर | क्या मंगाना चाहेंगे ?’’
‘’ मोबाइल |’’
‘’ लाख-लाख थैंक्यू सर |’’
    उसने हमारा पता पूछा , मोबाइल का मॉडल पूछा और ऑर्डर नोट किया | हमें मोबाइल  प्राप्त भी हुआ | पर ये क्या | हम महीने भर बाद से ही मोबाइल को लेकर माथा पीट रहे हैं | इसी कीमत में बाजार में मोबाइल मिल जाता कम से कम साल भर माथा पीटने की नौबत तो नहीं आती | जनाब मीठी वाणी का जादू ऐसा ही होता है | शेर को भी बकरी बनाया जा सकता है , चरवाहा बनकर उसे गली-गली चराया जा सकता है , जंगल के राज उगालाये जा सकते हैं , गोपनीयता भंग कराई जा सकती है , सत्ता में विद्रोह कराया जा सकता है , विद्रोहियों को पक्ष में लिया जा सकता है | तो क्या आप इतने काम के बाद भी कहेंगे, ‘’ मिठास का अंट कड़वापन होता है |’’

              सुनील कुमार ‘’सजल’’