लघुव्यंग्य – अंतत:
शिक्षा अधिकारी
ने एक स्कूल में निरीक्षण में पाया, छात्रों को दिए जाने वाला मध्यान्ह भोजन मीनू
के अनुकूल नहीं दिया जा रहा है | उसने संस्था के कर्मचारियों एवं ठेके पर प्रतिदिन
भोजन पकाने वाले समूह के सदस्यों को फटकारते हुए धमकाया | उनकी बातें सुनते-सुनते
समूह के एक अधेड़ व्यक्ति ने आखिर अपना मुंह खोल दिया – ‘’ सरकार आपके द्वारा जो
हमें राशि भुगतान की जा रही है , उससे अगर आप मीनू के अनुसार एक दिन बच्चों के भोजन
की व्यवस्था कर दें तो मैं तीन दिन का भुगतान आपके खाते में जमा कर दूंगा ...| इस
मंहगाई के दौर में में हम इस योजना को मात्र इसलिए घसीट रहे हैं ताकि हमारे व पास –
पड़ोस के बच्चे स्कूल में बने रहें ...| इसके पहले कितने ही समूह इस काम को छोड़कर
जा चुके हैं ...यह बात आपको भी मालूम है ....|’’ उसकी बात पूरी होते ही अगल-बगल
झांकते अधिकारी ने तुरंत समझाईश देते हुए बोले –‘’ अरे नहीं ...नहीं.. इस व्यवस्था
को आप लोग ही चलाइये , हम लोग यूं ही डांटते फटकारते हैं ... हाँ मगर खाना –पीना
साफ़-सुथरा और अच्छा देते रहना ...|
सुनील कुमार ‘’ सजल’’