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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

''व्यंग्य -काले रंग के प्रति मेरी जिज्ञासा


''व्यंग्य  -काले रंग के प्रति मेरी जिज्ञासा


गांधी तिराहा | तिराहा के पास कालीजी का नवनिर्मित मंदिर | मंदिर से लगी मुख्य सड़क पर पार्टी के कार्यकर्ता हाथ में काले झंडे लिए चहलकदमी कर रहे हैं | उनकी बेचैन हरकत पर हमारी नजर पड़ती है | एक से हम पूंछ बैठते हैं –‘’ क्यों भई ,हाथ में काले झंडे ? देवी मंदिर का उदघाटन होना है ?’’

 वह हंसा | बोला-‘’ इस उम्र में भी नासमझ रहे आप | रोज मंदिर के सामने से गुजरते हो, लेकिन देखते नहीं कि मंदिर में कई काम बाकी हैं |’’

हमारी नजर मंदिर की ओर जाती है | कुछ हिस्से में काम जारी है | दोबारा हमने उनसे प्रश्न किया |कहा –ये काले झंडे किसलिए ?’’

‘’एक नेता जे को दिखाने हैं |’’ उसने कहा |

क्यों? हमारा प्रश्न |

‘’साले ने हमारी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की है |’’

‘’ वे कहाँ हैं ?’’

‘’ अपने काफिले के साथ आने वाले हैं|’ सड़क पर एक नजर दौडाते हुए उसने कहा

‘’ काले झंडे दिखाने से वे सुधर जायेंगे ?’’ हमने कहा |

‘’ वो क्या सुधरेंगे |’’ उसके रोषपूर्ण शब्द |

‘’ तो काहे दिखाने का प्लान है |’’ हमने कहा |

‘’दिखाना पड़ता है ,अपमान करने हेतु |’’ उसने कहा |

एक बात अपनी समझ में नहीं आयी |’’ वह हमारी बात बड़े गौर से सुन रहा था | जैसे फुरसत में हो |

‘’ क्या कहना चाहते हो |’’

‘’ जब काली देवी की पूजा का आप लोग आयोजन करते हो तब भी आप लोग उन्हें काले झंडे दिखाकर भेंट करते हो |ऐसे में देवी का अपमान नहीं होता क्या ?’’ हमने कहा

वे कुछ चिढ से गए |

‘’ का फालतू बात करते हो | देवी काले झंडे भेंट पाकर खुश होती है |’’

‘’ देवी खुश हो सकती है तो नेता क्यों नहीं ?’’हमने कहा |

वह बोला – ‘’ अरव भई , राजनीति में किसी अन्य को अपमानित करने का यही तरीका है |’’

‘’ उसे कोई फर्क पड़ता है?’’

‘’ वह अपमानित महसूस करता है | जैसे बुरी नजर वालों का का तेरा मुंह काला कहकर चिढ़ाया जाता है |ठीक वैसे ही काली करतूत वालों को काले झंडे दिखाकर |’’ वह बोला |

‘’ उनकी पार्टी के लोग आपके नेताओं को भी दिखाते होंगे |’’

‘’ यह सब बराबरी का खेल इस लोकतंत्र में चलता रहता है |’’

‘’ तो काहे ऐसी नौटंकी करते हो |’’

‘’ साली राजनीती तो चलानी है |’’ उसने असंतुष्ट लहजे में कहा |

 दो दिन बाद | हमने देखा एक नेताजी की पत्नी काली मंदिर में बाजे – गाजे के साथ काले झंडे चढ़ाकर लौटी थी | वे इन दिनों सहकारी संस्थाओं के चुनाव में अध्यक्ष पद हेतु प्रत्याशी हैं |

 हमने नेता जी से पूछा –‘’ भाई साहब ,एक बात पूछें ?’’

‘’पूछें|’’ वे बोले |

‘’ एक – दो दिन पहले जब आपके नेताजी को विपक्षियों ने काले झंडे दिखाए तो आप लोगों ने सुरक्षा बलों से उनकी धुनाई करवायी, किन्तु खुद देवी को काले झंडे ?’’

‘’देवी काले झंडे की भेंट से खुश होती है |’’

‘’आप लोग क्यों नहीं ?’’

वे गुर्राने के अंदाज में आ गए | पर हमारी चुप्पी व नजर चुराने की हरकत पर खामोश रह गए |’’

 इंसानी फितरत अजीब है | खुद को काले झंडे , काला अन्धकार , काला दाग बुरा लगता है पर देवी – देवताओं को खुश करने के लिए काली वास्तु की भेंट देते हैं |

 एक ज्योतिषी जी के अनुसार मेरे ऊपर शनि का प्रकोप चल रहा है |उन्हें खुश करने के लिए काली तिल,काली उड़द ,काला कंबल दान करने को कहा |

‘’ पंडितजी, हमारे नेताओं की तरह हमारे शनिदेव काली चीजों को देख बौखलाए नहीं?’’

‘’वो तो अन्र्यामी हैं| उन्हें यही चीजें पसंद हैं |

 मेरे  अन्दर प्रश्नों की अजीब उथल –पुथल मची है | क्यों कतिपय देवता काले रंग से खुश होते हैं? क्यों वे भक्त के प्रति क्रोध व्यक्त नहीं करते ? फिर इंसान को क्यों चिढ है काले रंग से ?

  मैंने अपनी पत्नी को एक बार काले रंग की मंहगी साड़ीलाकर दी , उसने तुरंत आक्रोश व्यक्त किया | बोली – मुझे रंगमंच की काली मां का पात्र बनाना चाहते हो ?’

   मेरी माताजी मेरी नन्ही पुत्री को अक्सर काजल का टीका लगाती |रंग भेद नामक विषय पर यहाँ-वहां के सुने तथ्यों के आधार पर जब मैंने आपत्ति की तो उनका कहना था –‘’ बेटा तू क्या जाने , काला रंग बुरी नजर से बचाता है |’’

 वही मेरे पिताजी को मेरी काली शर्त से नफ़रत थी | वे कहते ‘इडियट गुंडे बनाने का इरादा रखते हो |’’

  भगवान कृष्ण स्वयं सांवले थे (कुछ-कुछ काले) पर आज भी उनका सांवले रूप का भजन घर-घर गाया जाता है ,फिर क्यों कृष्ण का कृष्ण रंग , लोगों की नजर में नहीं खटकता ?

  उन्होंने काले साए से बचने के लिए घर में काला कुत्ता व् काली बिल्ले पाल राखी है | एक दिन हमारे साथ कहीं जा रहे थे |रास्ते में काली बिल्ली ने रास्ता काट दिया | वे वहीं ठिठक गए | आगे जाने को तैयार नहीं हुए | कहने लगे – ‘’यह अशुभ संकेत है | चलो अब लौट चलें |’’ हमने उन्हें इस अंधविश्वास के खिलाफ समझाने का प्रयास किया मगर वे अड़े रहे | हालांकि काली कमाई या काली करतूतें उनका चरित्र है पर कुछेक मामलों में काले रंग से उन्हें नफरत है |

  मेरे मन में आज भी काले रंग के  ‘’सच सोच ‘’ के प्रति जिज्ञासा बनी है | पर स्पष्ट तर्क नहीं मिला , फिर भी देखता हूंतो सोचता हूँ लोग सफ़ेद बालों को काला क्यों करवाते हैं? बुढ़ापे में काली मूंछ रखने का लोगों में शौक क्यों होता है ? लड़कियां होठों पर काली लिपस्टिक क्यों लगाती हैं ? लड़कियां भौहें के बाल साफ़ कर ब्लैक पेन्सिल से लकीर क्यों बनाती हैं ? देवे पूजक देवी को काले बकरे, काली मुर्गी क्यों भेंट करते हैं ?

  शराबब के नशे में धुत्त लोग काले कांच का चश्मा क्यों पहनना पसंद करते हैं ? प्रश्नों की फेहरिस्त लम्बी है मगर उत्तर.....?

  सुनील कुमार ‘’सजल’’