व्यंग्य- आदमी बनो तो ....जैसे
चौरसिया जी पान के स्वाद के लिए प्रतिष्ठित
हैं | वे ऐसा पान का बीड़ा लगाते है कि खाने वाला वाह-वाह कर उठाता है | कब उनके
पान के बीड़े में नया स्वाद आ जाए , कोई नहीं समझ पाया | जैसे कम्पनियां अपने
उत्पाद में नयी तकनीक लाती है , वैसे चौरासिया जी पान के बीड़े में स्वाद | एक दिन
हमने उनके बीड़े की तारीफ़ करते हुए पूछा-‘’ आप इतना अच्छा पान का बीड़ा कैसे लगाते
हैं ,चौरासिया जी ?
वे बोले –‘’ सब ऊपर वाले की मया है | ‘’
अपन
वैसे जिज्ञासु टाइप के आद्मीहैन ,तो अपन ने भी उनके लगाए जाने वाले बीड़े में स्वाद
के रहस्य पता लगाने का बीड़ा उठा लिया | रा के हथकंडे अपनाते हुए हम उनकी कमजोरियों
को खंगालते रहे | कमजोरियों को खंगालना आसान था पर उसके पृष्ठ पर उभरी इबारत पढ़ना
कठिन | अंतत: हमें पता चला कि शराब उनके बेटे की सबसे बड़ी कमजोरी है | कहते हैं
नशा दुश्मन को भी दोस्त बनाता है | एक दिन हमने उसे उसके मनमाफिक पिलाया | पीने के
बाद इंसान ब्रम्हांड के नए-नए रहस्य उगलता है | आखिरकार पान में स्वाद के शस्य को
उनके बेटे ने लड़खडाती जुबान से उगल दिया | बोला- ‘’ मास्साब , स्वाद का रहस्य हम
सिर्फ आपको बता रहे हैं | आप किसी और को न बताना | वरना मुझ गरीब के पेट पर ज़माना
तो ज़माना बाप भी लात मारने से पीछे नहीं हटेगा |’’ फिर उसने अपनी मदहोशी की
बारहखड़ी पढ़नी शुरू की ‘’ मास्साब हमारा बाप दुनिया को बेवकूफ बनाता है और सब
बेवकूफ बनते हैं | वह कत्था में भांग व अफीम का पानी मिलाता है | आप ही ऐसे बने
कत्थे के पान को वाह-वाह कर खाते हैं |’’ वह और भी कई बातें बडबडाता रहा | पर,
गोपनीयता बनाए रखने की वजह से आपको हम नहीं बता सकते |
चौरासिया जी की बढ़ती ग्राहकी का दूसरा रहस्य
यह भी है | उनके ग्राहकों में अधिकाँश लोगो के सपने करोडपति बनने के हैं |
चौरासिया जी उन्हें गीता का ज्ञान देते हुए कहते , ‘’ कर्म करिए , धन लगाइए और फल
की चिन्ता मत करिए | दरअसल , चौरसिया जी सट्टा अंक लिखने वाले एजेंट हैं | वे भी
अपनी तरफ से अंकों की जोड़ी निकालते हैं | ग्राहकों को अंक निकालने के अध्यात्मिक
तांत्रिक व गणितीय सूत्र भी सिखाते हैं | अब तक कितने सट्टा खिलाड़ी लखपति हुए , यह तो अपन को नहीं मालूम परन्तु चौरासिया जी अवश्य ही लखपति बन गए
| वे सट्टा खिलाड़ियों को, उनके पास रुपया न होने पर मासिक ब्याज दर पर धन देकर
उनके सपनों को मन-मस्तिष्क से मिटने नहीं देते |
चौरासिया जी इस अनैतिक धंधे में नैतिक बने रहे | पुलिस से लेकर नेता तक
उनकी पहुँच है | उड़नदस्ता उन्हें दबिचाने के फेर में हमेशा हाथ ही मलता रहता है |
चौरासिया जी साफ़ शब्दों में कहते हैं , ‘’ इस युग में वाही तरक्की करता है , जो
लंका के विभीषणों को अपने यहाँ आश्रय देकर अपना उल्लू सीधा करता है |’’ तभी तो वही आदमी इस युग में मजे में हैं , जो
चौरासिया जी जैसा है | वरना ईमानदार ......? उनकी हालत तो आपको पता है |
सुनील कुमार ‘’ सजल’’
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