आदमी बनो तो ....जैसे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
आदमी बनो तो ....जैसे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 19 सितंबर 2015

व्यंग्य- आदमी बनो तो ....जैसे

व्यंग्य- आदमी बनो तो ....जैसे

चौरसिया जी पान के स्वाद के लिए प्रतिष्ठित हैं | वे ऐसा पान का बीड़ा लगाते है कि खाने वाला वाह-वाह कर उठाता है | कब उनके पान के बीड़े में नया स्वाद आ जाए , कोई नहीं समझ पाया | जैसे कम्पनियां अपने उत्पाद में नयी तकनीक लाती है , वैसे चौरासिया जी पान के बीड़े में स्वाद | एक दिन हमने उनके बीड़े की तारीफ़ करते हुए पूछा-‘’ आप इतना अच्छा पान का बीड़ा कैसे लगाते हैं ,चौरासिया जी ?
वे बोले –‘’ सब ऊपर वाले की मया है | ‘’
   अपन वैसे जिज्ञासु टाइप के आद्मीहैन ,तो अपन ने भी उनके लगाए जाने वाले बीड़े में स्वाद के रहस्य पता लगाने का बीड़ा उठा लिया | रा के हथकंडे अपनाते हुए हम उनकी कमजोरियों को खंगालते रहे | कमजोरियों को खंगालना आसान था पर उसके पृष्ठ पर उभरी इबारत पढ़ना कठिन | अंतत: हमें पता चला कि शराब उनके बेटे की सबसे बड़ी कमजोरी है | कहते हैं नशा दुश्मन को भी दोस्त बनाता है | एक दिन हमने उसे उसके मनमाफिक पिलाया | पीने के बाद इंसान ब्रम्हांड के नए-नए रहस्य उगलता है | आखिरकार पान में स्वाद के शस्य को उनके बेटे ने लड़खडाती जुबान से उगल दिया | बोला- ‘’ मास्साब , स्वाद का रहस्य हम सिर्फ आपको बता रहे हैं | आप किसी और को न बताना | वरना मुझ गरीब के पेट पर ज़माना तो ज़माना बाप भी लात मारने से पीछे नहीं हटेगा |’’ फिर उसने अपनी मदहोशी की बारहखड़ी पढ़नी शुरू की ‘’ मास्साब हमारा बाप दुनिया को बेवकूफ बनाता है और सब बेवकूफ बनते हैं | वह कत्था में भांग व अफीम का पानी मिलाता है | आप ही ऐसे बने कत्थे के पान को वाह-वाह कर खाते हैं |’’ वह और भी कई बातें बडबडाता रहा | पर, गोपनीयता बनाए रखने की वजह से आपको हम नहीं बता सकते |
चौरासिया जी की बढ़ती ग्राहकी का दूसरा रहस्य यह भी है | उनके ग्राहकों में अधिकाँश लोगो के सपने करोडपति बनने के हैं | चौरासिया जी उन्हें गीता का ज्ञान देते हुए कहते , ‘’ कर्म करिए , धन लगाइए और फल की चिन्ता मत करिए | दरअसल , चौरसिया जी सट्टा अंक लिखने वाले एजेंट हैं | वे भी अपनी तरफ से अंकों की जोड़ी निकालते हैं | ग्राहकों को अंक निकालने के अध्यात्मिक तांत्रिक व गणितीय सूत्र भी सिखाते हैं | अब तक कितने सट्टा खिलाड़ी लखपति  हुए , यह तो अपन को नहीं  मालूम परन्तु चौरासिया जी अवश्य ही लखपति बन गए | वे सट्टा खिलाड़ियों को, उनके पास रुपया न होने पर मासिक ब्याज दर पर धन देकर उनके सपनों को मन-मस्तिष्क से मिटने नहीं देते |   चौरासिया जी इस अनैतिक धंधे में नैतिक बने रहे | पुलिस से लेकर नेता तक उनकी पहुँच है | उड़नदस्ता उन्हें दबिचाने के फेर में हमेशा हाथ ही मलता रहता है | चौरासिया जी साफ़ शब्दों में कहते हैं , ‘’ इस युग में वाही तरक्की करता है , जो लंका के विभीषणों को अपने यहाँ आश्रय देकर अपना उल्लू सीधा करता है |’’  तभी तो वही आदमी इस युग में मजे में हैं , जो चौरासिया जी जैसा है | वरना ईमानदार ......? उनकी हालत तो आपको पता है |

     सुनील कुमार ‘’ सजल’’