लघुकथा –फोन टेपिंग
नेताजी
कई दिनों से मायूस चल रहे थे | पार्टी व आम जनता के बीच उनकी कोई खास पूछ-परख नहीं
हो रही थी |
एक दिन
एक चमचे ने उनसे कहा-‘’ अगर यूं ही आप उपेक्षित होते रहे तो समझिये आपकी नेतागिरी
का बल्ब एक दिन फ्यूज होकर रह जाएगा |’’
‘’ वाही
तो मै भी सोच रहा हूँ प्यारे क्या करून ?’’
काफी गहन
विचार कर चमचे ने उनसे कहा- ‘’ मेरी खोपड़ी में एक उपाय कुलबुला रहा है |’’
क्या?’’
‘’
मीडिया में खबर फैला दीजिये कि आपकी गोपनीय बातों का विपक्षी ‘’ फोन टेपिंग’’ कर
रहे हैं ...फिर देखी सबका ध्यान आपकी ओर खिंच जाएगा और आप मरू में सींचे गए पौधे
की तरह फिर से हरे भरे...|’’
‘’ वाह
बेटा..| ‘’ नेताजी उसकी पीठ थपथपाते हुए बोले –‘’ आज यह फार्मूला राजनीति में खूब
फल-फूल रहा है ...|””
अगले दिन से अखबारों में समाचारों की शुरुआत उनके “” फोन टेपिंग”” वाली खबरों से हो रही थी |
अगले दिन से अखबारों में समाचारों की शुरुआत उनके “” फोन टेपिंग”” वाली खबरों से हो रही थी |
सुनील
कुमार ‘’सजल’’
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