बात की बात – शादी में ...दारु
यारों शादी अगर दारू का दौर न चले तो सारा मजा
किरकिरा हो जाता | दोस्त लोग होने वाले दुल्हे से कहते हैं अबे कित्ती की मंगा रहा
है भाई अपन तो फलां ब्रांड की पियेंगे तो
जाएंगे बारात में नहीं तो तू जा |दुल्हे को भी पता होता है शादी में किसिम किसिम
के डांस वही कर सकता जिसके बदन पर दारू देवी सवार होती है |वरना बिना पिए दोस्त
बारात में ऐसे चलते मानो मैयत में जा रहे हों |उतरेहुए चेहरे ,होठों से मुस्कान भी
ऐसे गायब जैसे होठों पे कीड़े ने काट लिया हो |इसलिए पीना -पिलाना पड़ता है | उधर
लड़की वाले कहते दारूखोरों को बारात में मत लाना | तो फिर दुल्हे का बाप किसे ले
जाए ,शवयात्रा के अनुभवशील पदयात्रियों को और किस्से डांस करवाए |
दोस्तों शादी के अवसर पर डांस का राज दारू ही में छिपा है |बिना पिए आदमी से ज़रा डांस
कराकर देखो | ऐसे डांस करता है जैसे घोड़ी उछल रही है | किसी पेड़ की शाखा हवा में
हिल रही है |
इसलिए भैया दुल्हे के दोस्त पीकर तो जाएंगे ही | दुल्हे का बाप न भी बुलाये तो भी वे बस में लटक आ जाएंगे | लड़की का बाप हाथ
उठाकर कह भी दे भैया तुम्हारे बाराती पिटे तो अपन नहीं जानते काहे की वे पियेंगे
तो डांस को लेकर लड़ेंगें |दरअसल स्थानीय नशे में द्युत दारूखोर भी डांस करने मूड
में बारात के बीच में घुस आते है और वे भी
डांस करने लगते | इसी बीच धक्का-मुक्की ,हाथापाई शुरू होती है |इधर पीटने वाले पीटते
रहते हैं | पिटने वाले पिटते रहते है |वैसे जब तक बाराती या घराती शादी में नहीं
पिटते , शादी यादगार नहीं रह जाती |पीटने या पिटने के बाद दोस्तों के बीच कई दिनों
तक फलां की बारात चर्चा का विषय बनी रहती हैं |
वैसे बरात में पीने वाले बड़े अजीब जीव होते हैं |
कुछ चोरी –छिपे पीने वाले ऐसे ही अवसर ढूँढते हैं |और जब पीते हैं तो ऐसा पीते हैं
कि उन्हें ढूँढना पड़ता है की भाईसाब नाली में पड़े है कि सड़क किनारे ऊगे बेशरम की
झाड़ियों के बीच | दूसरे किस्म के वे होते हैं जो पीते हुए अपने गुट के साथ किस
गाने पर कौन सा डांस करना है का मूड बनाते हैं |तीसरी किस्म उन लोगो की होती है जो
पीते तो है मगर थोडा कम मगर सामने वाले को उनके पीने का अहसास न हो इसलिए रात में
भी आँखों में रंगीन चश्मा चढ़ाकर रखते हैं |या तो बात पर मुस्कराते हैं या फिर
दुनिया का गम अपने ऊपर लादे नजर आते हैं |
भाईसाब देखा
जाए तो अवसर के हिसाब से शराब बुरी चीज नहीं है |आजकल बिना शराब के रातें,बातें,व
शरारते रंगीन होती हैं क्या |
सुनील कुमार ‘’सजल’’
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