रविवार, 21 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य कथा - प्यार

लघु व्यंग्य कथा-प्यार
प्यार का इजहार करते हुए उसने एक सुन्दर सा फूलों का गुलद्दास्ता देते हुए बोला-" मेरा प्यार तुम्हारे लिए इन फूलों की तरह कोमल,खुशबूदार व रंगीन है ...।"
  "ये फूल तो एक न एक दिन तो सूखेंगे,टूटेंगे और खुशबुएँ भी उड़ जायेंगीं ।फिर.....।" एक कुटिलता भरी मुस्कान उसके होठों पर फ़ैल गयी। और वह निराश हो गया।निराश होता चला गया ।एक दिन प्यार...फूल...खुशबुएँ ..जाने कहाँ बिखर गए। और वह ? पता नहीं ...।

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