बुधवार, 15 मार्च 2023

व्यवसाय

लघु व्यंग्य- व्यवसाय

वह सूदखोर था | ब्याज पर उधार देना उसका व्यवसाय |

‘’ यार तुम मजबूरों के साथ ज्यादती नहीं करते | यह क्या, सैकड़ा पर पचास रुपया ब्याज ?’’

‘’कौन – सा ज्यादा है | किसी धंधे में यही रकम लगाते उतने ही समय में दुगुना कमाते  |

‘’ ब्याज के नाम पर दस – पंद्रह प्रतिशत पर्याप्त है | कुछ तो मजबूरों पर रहम करो | इंसानियत ज़िंदा रहेगी |’’

‘’ घोडा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या ? किसी को वक्त में रकम उपलब्ध करा देते हैं यही बहुत है |’’

पर कुछ भी कहो ,तुम्हारा काम लूट का...|’ अभी उसकी बात पूरी भी न हुई थी कि वह बाच में बोल पड़ा – ‘’चलो हम यह काम बंद कर देते है , तुम बांटोगे लोगो को खैरात ..बोलो|’

वह खामोश था |

 

 


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