व्यंग्य- आधुनिक गुरु के तर्क
पिछले दिनों सरकार ने शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए सख्त आदेश जारी
किए | कारण , गिरते परीक्षा परिणाम , बदहाल शाली व्यवस्थाएं ,,लापरवाह शिक्षकों को
सुधारना था | अत: दखल देने का अधिकार जनता , सरकारी अधिकारी व जनप्रतिनिधि के हाथ में सौप दिया |
अपने दीनदयाल मास्साब ने
मास्टरी के बीस साल गुजार दिए पर ऐसी स्थिति नहीं देखि किशिक्षकों को कोल्हू का
बैल बना दिया गया हो , इसलिए वे आदेश पाकर कुढ़ उठे | बोले-‘’ यार, सरकार व जनता
शिक्षकों के पीछे क्यों पड़ी रहती है |
‘’ वह देश के भविष्य का
निर्माता है |’’ मित्र ने कहा |
‘’ ये तो अब पुराना नारा हो गया |’ वे बोले |
‘’ऐसे कैसे पुराना हो गया |’ मित्र का कहना था |
‘’ सही तो कह रहा हूँ | अब देश का भविष्य शिक्षक नहीं, राजनैतिक
पार्टियां बनाती है | असेम्बली में अपने आदमी पहुचाती है जिसके लिए शिक्षा का कोई
औचित्य नहीं है|बस बोलना व चतुर चालाकी आणि चाहिए |’’
मास्साब बोले |
‘’ फिर भी मेरा मानना है कि
शिक्षक ही देश को सुधार सकता है |’’ मित्र
बोले |
‘’ जब देश शिक्षकों से उम्मीद रखता है , फिर उसे अपना काम क्यों नहीं
करने देता | उसके पीछे लाल आँख कर खडा रहता है | ‘’ मास्साब का जवाब था |
‘’ दरअसल , आधुनिक शिक्षक की
लीलाएं अपरंपार हैं | वह आधुनिक गुरु है | उसके कारनामें भी आधुनिक हैं | मित्र
बोला |
‘’ आप ठीक कहते हैं | वह भी किसी वैज्ञानिक से कम नहीं होता |’’
मास्साब ने अपने मुंह मुत्ठुबनाने की कोशिश की|
‘’ मैं यहाँ आपकी वग्यानिकता का प्रमाण नहीं देना चाहता |
‘’ तो फिर |’’
‘’ आजकल वह ऐसी करामत करता है कि देश का सर शर्म से झुक जाता है |
मसलन, छात्राओं के साथ प्रेमलीला , प्रेमविवाह, रेप, अपहरण , अश्लील वीडियो
क्लिपिंग का निर्माण कर अपनों को एस.एम्.एस. करता है | साईकिल , पुस्तकें , ड्रेस
, नि: शुल्क वितरित की जाने वाली सामग्री में घोटाला उसका चरित्र बन गया है | आजकल
वह स्कूल मास्टर न रहकर ‘’ कोचिंग मास्टर कहलाना पसंद करता है |इन सब के अलावा एक
काम और करता है |’
‘’ अब उसे भी कह दो ,,.. ताकि सुन लें |’’
’’कुधन भरे स्वर में मास्साब बोले |
‘’ राजनीति|’’
‘’ काहे को बदनाम करते हो यार |
राजनीति करता तो क्या टीचर फटीचर कहलाता ? आम राजनीतिज्ञों की तरह
मालामाल होकर ऐश करता ...ऐश | ‘’ मास्साब का भड़ास भरा जवाब था | तमाम प्रकार के
शिक्षक संघ बनाकर राजनैतिक पार्टियों का वरदहस्त प्राप्त करता है कि नहीं | सालभर
वेतन भट्टी के लिए हड़तालें , अनशन , नारेबाजी करता है कि नहीं | और इन सब से
फुर्सत में रहा तो अपने शिष्यों को ‘’ एकलव्य’ आरुनी बनाने के लिए ठुकाई |’’ मित्र ने मुस्कुराकर
मास्साब को छेड़ा |
‘’ सच तो है पर | पर वह क्या करे सरकारी कर्मचारी जो ठहरा , मगर सरकार
का भी दोष देखो | मास्साब ने अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश की | ‘’ उससे गैर
शिक्षकीय कार्य करवाती है |’’
‘’ आपकी बात सच है | पर वह भी चालू चीज है | चार दिन के काम को दस दिन
में निपटाता है, ताकि स्कूल में सर खपाना न पड़े |’’ मित्र बोले |
‘’ आप लोग हमेशा आदमी का बुरा पक्ष देखते हो | कभी अच्छाईयों पर भी
विचार करो |’’
‘’ आखिर परीक्षाओं में अच्छा रिजल्ट देता है कि नहीं |’’
‘’ नक़ल कराकर |’
‘’ भाई, देश में भी तो यही यही चल रहा है | फैशन से लेकर राजनीति ,
भ्रष्टाचार , गिरोहबाजी है , हम आखिर दूसरे मुल्कों की नक़ल कर सीख रहे है |’’
‘’ इसक्का मतलब नक़ल कराने के बहाने नक़ल करना सीख रहे हैं |’’
‘’ भई गुरु तो गुरु होता है | उसका फर्ज है , किस्म-किस्म का ज्ञान
देकर शिष्य को हर क्षेत्र में परिपक्व बनाए | आप आप ही देखो | हमारे उद्योगों में
डुपलीकेट सामग्री बनाने की चाहत कहा से पैदा हुई , नकलची चरित्र से | इसी बहाने
जाने कितने को रोजगार मिला है | हमारे
अनुसार नक़ल करना बुरा नहीं है | आखिर नन्हा शिशु नक़ल कर बोलना , चलना व एनी
क्रियाएं सीखता है | ‘’ मास्साब ने वजनदार तर्क दिया | मित्र महोदय चुप रहे |
मास्साब बोले –‘’ ‘’ अब बताइये साब | हमक कहाँ गलत हैं | ‘ मित्र
महोदय अब चुप थे |
सुनील कुमार ‘’ सजल’’