व्यंग्य- आईडी प्रूफ के घेरे में .......
साहब अगर आप पूछेंगे कि मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या क्या है | मैं
कहूंगा अपना आई.दी. प्रूफ करते –करते परेशान हो चुका हूँ |
साहब जिधर जाता हूँ मुझसे
मेरी आईडी(पहचान) माँगने वाले घेर लेते हैं | क्या पुलिस क्या दूसरे अफसर |
अफसर कहता है दफ्तर में आया
करो | गले में आईडी कार्ड लटकाकर आया तो करो | ताकि पता चल सके तुम वाही हो जो तुम
हो | हमें क्या मालूम कि तुम कौन हो | शर्माजी हो सकते हो , कटारे भी |
साहब मैं तो कहता हूँ मैं
वाही हूँ जो हूँ | पर इस बात को वे नहीं मानते | मेरा आईडी कार्ड प्रूफ कहता है कि
मैं कौन हूँ | जैसे जीवित होने का प्रमाण पात्र चिकित्सक देते हैं | बीमार होने
प्रमाण पात्र चिकित्सक के देने पर ही आप बीमार कहा सकते हैं |
उस दिन मैं चाराहे पर कडा था
| एक पुलिस वाला मेरे करीब आया | मेरे समक्ष डंडा पटकते हुए पुलिसिया अंदाज में
रौबदार स्वर में बोला- ‘’ कौन है बे तू |’
‘’ इसी शहर का सभी नागरिक |’ मैंने म्याऊँ अंदाज में कहा |
‘’ अबे हमें क्या पता कि तू
सभी है या असभ्य | ‘’ वह बोला | ‘’ सब मैं कह रहा हूँ तो वाही होउंगा भी |’’
‘’ अबे ऐसा तो चोर-उचक्के ,
आंतकवादी , भ्रष्टाचारी , लुच्चे-लफंगे और मनचले भी अपने आपको इस देश में सभी
घोषित करते हैं | इस देश में सभी शब्द की बड़ी कीमत है | ‘’ वह एक लंबा सा भाषण थूक
की भाँती मेरी ओर उटचाते हुए बोला | वह
आगे बोला-‘ हाँ बोल बे , सच्ची – सच्ची बता तू कौन है | ‘’
‘’ साहब , कहा न मैं सीधा-सरल
ईमानदार व सभी नागरिक हूँ |’’
‘’ अबे देख टाइम खोटी मत कर |
सीधी बात कर |’’
‘’ साहब मानी तो सही सही | वैसे भी आप पुलिस के आदमी हैं | आदमी की
शक्ल देखकर उसकी असलियत व औकात का पता लगा लेते हैं | वैसे मुझे भी पहचान लीजिए
|’’ मैंने कहा |
‘’ अबे , हम क्या आधुनिक जमाने के भविष्य दृष्टा हैं , बाबाओं की तरह
हैं जो हाईटेक आश्रमों में रहकर भविष्य दृष्टा बनने की ट्रेनिंग लेकर आते हैं | जो
तुझे तेरी शक्ल देखकर पहचान लें | ‘’ वह मूंछ पर हाथ फिराते हुए बोला | देख
सही-सही बातकर | वरना मेरा डंडा शुरू हुआ तो तू सब उगल देगा कि कौन है | किस देश
का नागरिक है | तेरा पुलिस रिकार्ड कैसा है ? ‘’
‘’ साहब मई छोटा मोटा रोजगारी
हूँ | ‘’ मैंने मिमयाते हुए कहा | ‘’ साले तुझे समझ में नहीं आ रहा है तू इस देश
में रहता है कि विदेश में | तुझे नहीं मालूम आईडी कार्ड साथ में रखे बगैर घूमना
आदमी को संदिग्ध बनाता है | चल निकाल अपना आईडी प्रूफ अभी तय कर लेते हैं कि तू
कौन है |
‘’ साहब वो तो मैं रखा नहीं
हूँ |’’
साले हमें उल्लू समझता है |
पुलिस वालों को लल्लू बनाना खूब आता है | चल निकाल आईडी कार्ड बेटा वरना...|’’
‘’ साब आईडी कार्ड के अलावा
और कोई रास्ता हो तो बताइये मैं प्रूफ करने की कोशिश करूंगा |’’
‘’ इसके दो रास्ते हैं |’’
‘’ कौन-कौन से साब |’’
‘’ पहला सर्टिफाइड आईडी कार्ड
दूसरा गांधी छाप असली नोट |’’
‘’ असली नोट से मतलब साब |’’
‘’ असली नोट नहीं जानता | जो
नकली नहीं होता उसे असली नोट कहते हैं |’’
‘’ पर मुझे यह कैसे पता चले कि जो मेरे पास हैं वह असली हैं |
‘’ अबे भारतीय नकली नहीं से डरते हैं | अगर तेरे पास नकली है तो तेरे
सम्बन्ध अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से हो सकते हैं | ‘’ साब नकली नोट तो मार्केट में भी
चल रहे हैं |’’
‘’ तुझे कैसे पता |’’
‘’ अखबार में पढ़ता रहता हूँ
|’’
‘’ पर समझदार सभी और तेरे
जैसे बहस करने वाले इत्ती बड़ी गलती नहीं कर सकते कि नकली नोट लेकर चलें | अब चल
छोड़ बहस करना | झट से निकाल अपना आईडी कार्ड |’’
मैंने जेब से कड़कडाता सौ का
गांधी छाप नोट निकालकर उसे थमा दिया | उसने उलट-पुलटकर देखा | आड़े देखा तिरछे देखा
| हंसते बोला- ‘’ वाकई तू इस देश का सभी सरल सीधा-सादा, नागरिक है |’’
‘’ आपको कैसे पता चला सर |’’
‘’ तेरा गांधी छाप आईडी प्रूफ बिलकुल असली है |’’
सुनील कुमार ‘’
सजल’’