व्यंग्य – उसका रावण अपुन के रावण से भयंकर क्यों......
लो साब नवरात्र भी जाने को है | दशहरा आ गया | वाही दशहरा जिसमें रावण
जैसा पुतला जलाया जाता है | तथाकथित राम वेशधारी के हाथों | रावण भी खुश होता होगा
| हर वर्ष इसी तरह देखता होगा | सोचता होगा ‘’ कितने मूर्ख टाइप के यार, धरती के
लोग | मेरी अनुकृति को जलाकर ताली पीटते हैं | बिलकुल बबुआ टाइप की हरकत....|
सरोजनी प्रीतम की कविता ‘’ इंसान गलतियों का पुतला है ‘’ इसलिए पुतले जला दिए |
मूर्ख टाइप लोग |रावण तो मारा गया | युग परिवर्तन के साथ कित्ते रावण मारे जाते रहे
| मगर पुतला तो उसी का जलाया है जो राम युग में था |
साब, दशहरा करीब है |तैयारी
जोरो पर है | जगाधर दुर्गा समिति , मार्डन दुर्गा समिति व तिराहा रामलीला समिति
में बड़ा काम्पिटिशन सा मचा है इस बार | तीनो गुट के लोग एक-दूसरे की जासूसी में
लगे हैं | गुपचुप तरीके से |
‘’ देखो उन हरामखोरों के रावण में क्या नया जुदा है | तनिक पता करना
बे ...| बेवकूफ अबकी बार अपना रावण शहर की शान होना चाहिए ... समझे | स्साले पिछले
बार वो लोग बाजी मार गए थे | अबकी बार अपन को जंग जीतनी है | यह जरूर पता कर लेना
बबुआ .... रावण के हाथ सर में कौन सी कंपनी की आतिशबाजी लगा रहे हैं वो लोग | साइज
–वाइज का भी ठीक-ठाक अंदाजा कर लेना | ताकि अपना रावण उनके रावण के आगे टिंगू न
लगे | साले अपन लोग पिछली बार यहीं तो चूक गए थे | अबे पैसा जीतता लगे लगाओ रावण
निर्माण में | राम समर्थक पार्टी वालों ने भी दुर्गा मां के नाम से अपने को जमकर
चन्दा देकर पुण्य कमाया है | हाँ , इत्ता जरूर ध्यान रखना बे .... उअनाकी पार्टी –वार्टी
का बैनर जरूर लगा देना | दहन स्थल पर | ताकि कहने को न हो कि हमने चन्दा दिया और
हमें ही भूल गए चुनाव के वक्त ..... सबके लिए सोचना पड़ता है |’’ दादा टाइप लोग ऐसे
ही तो समझाते हैं अधीनस्थों को |
दूसरी समिति में भी कुछ ऐसी
ही बातें चल रही है –
‘’ अबे मल्लू , तू देखते रहना | बनते रावण पर नजर रखना | तू तो साले
इंजीनियरिंग की पढाई किया है न | हर पैमाने से देखते रहना | कहीं रावण का ‘’
सेपवा’’ बिगड़ न जाए | किए कराए पर पानी फिर जाएगा बे |’’ दादा टाइप व्यक्ति अपने
अधीनस्थ को समझा रहा है |
‘’ पर दादा , बरसात होने के
लक्षण वैसे भी दिख रहे हैं |’’
‘’ अबे चुप , सयाना मत बन | जीतता कहता हूँ उत्ता कर, नाप-जोख ठीक-ठाक
रखना | ‘’
‘’ एक बात कहूं |’’
‘’ कह न बे ....| रावण के नाम पर सबकुछ सुनने को तैयार हैं अपन |’’
‘’ अगर मेरी बजाय हल्लू को यह काम सौपते तो बेहतर होता | काहे की ...
वो मेडिकल की पढाई कर रखा है |’’
‘’ अबे का उसमें जान फूंकना है जो हल्लू को सौंप दूं |’’
‘’दादा .....|’ अभी वह कुछ कहता कि......|
‘’ चुप.... काम चोरी मुझे पसंद नहीं |’’ मल्लू खामोश हो गया |
आजकल दबंग टाइप लोगों के भरोसे रावण बनते हैं और समिति चलती है |लल्लू टाइप लोग दूसरे
काम जैसे प्रसाद वितरण , मुहल्ले की लड़कियां किस तरफ बैठी हैं ... उन्हें दादा की
तरफ से ठंडा , चाय पिलाना जैसी व्यवस्था रामलीला में देखते हैं |
साब, समितियां हैं | समिति के अन्दर समिति है | मुझे इसलिए ऐसा कहना
पड़ा रहा है | एक समिति जो पूरे समय दुर्गा जी की सेवा में व्यस्त रहती है भक्त
टाइप लोगों की | दूसरी वसूली में लगी रहती है जो जेब खर्च का जुगाड़ कर लेती है
चन्दा राशि से | तीसरी होती है दादा टाइप लोगों की | जिनका काम सिर्फ दादागिरी से
लोगों से काम निकलना रहता है | इनका दिमाग वैसे भी अत: शाम होते ही चन्दा की राशि
से दारू पानी के जुगाड़ में लग जाते हैं | इन दिनों मुर्गा चबाने से भी कोई परहेज
नहीं होता इन्हें | किसी ने तीसरी टाइप की समिति से प्रश्न किया – ‘’ काय , भैया
नवरात्रि में भी खाते पीते हो यार....|’’
दबंग टाइप लोगों का जवाब भी दबंग टाइप होता है –‘’ कल का देखा शीतला
मंदिर चार बकरा की बलि चढ़ा दी गयी | और सब प्रसाद के रूप में ले गए मटन को | अरे
देवी भक्त .....पहले देवी को समझा कि वह बकरा लेना बंद करे | फिर तो हम भी सुधर
जायेंगे | समझ में आया के....|’’
‘’ साब , आप नाहक खुश होते हैं रावण दहन पर | तनिक सोचिए तो आज रावण धरती पर इत्ते हो गए
हैं | रावण अगर चाहता तो भी इत्ती संतान पैदा न कर पाटा | आधुनिक रावण उस युगीन
रावण की पहचान की ऎसी-तैसी करने में लगे हैं | बेचारा नाहक बदनाम हो रहा है |
मजे की बात तो यह साब, जो खुद
इन्म्सान की शक्ल में रावण है , वह रावण का पुतला दहन कर ताली बजा रहा है , खुद को
राम साबित करते हुए मर्यादा का प्रवचन दे रहा है | अगर सचमुच वाला रावण होता तो
शायद वो इतना कष्टकारी न होता जितने आज के रावण हैं | तुलनात्मक रूप से वो रावण
बेहतर था या ये रावण हैं | आप ही बताएं ....साब |
सुनील कुमार ‘’सजल’’