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शनिवार, 16 जनवरी 2016

व्यंग्य –सरकारी अस्पताल में नववर्ष

व्यंग्य –सरकारी अस्पताल में नववर्ष

सरकारी अस्पताल में नववर्ष आगमन का जोशो-जूनून है | अस्पताल का प्रतेक कर्मचारी रोगियों को शीघ्र स्वस्थ होने की बधाई नहीं बल्कि अपने सहकर्मी मित्रो को अपने बदनुमा दाग कारनामों में सफल रहने की नववर्ष की बधाई देने की तैयारी में हैं |
अस्पताल की व्यवस्थाएं शराब पीये शराबी की तरह लड़खड़ा रही है | मगर रोगीगण मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं | इसका कारण यह रहा है कि पिछले माह जब लोगो का मुंह खुला था तो अस्पताल का स्टॉप हड़ताल में चला गया था | नतीजा , इस बीच कई रोगियों ने या तो घिसटते हुए दिन काटे या फिर कुछ ने स्वर्ग का रास्ता पकड़ लिया |
हम उस दिन अस्पताल में मौजूद थे | अपने एक सगे सम्बन्धी को इलाज कराने हेतु ले गए थे | इस बीच हमें अस्पताल घूमने का अवसर प्राप्त हुआ और इस अवसर से जो दृश्य देखने को मिले वहकाबिल्र तारीफ़ है | क्योंकि नववर्ष आगमन में चंद घंटे ही तो शेष हैं |
 आईये , सबसे पहले बाह्य रोगी कक्ष में चलें | लम्बी कतार में लगी टेबिल कुर्सी पर डॉक्टर विराजमान हैं | सबके चहरे पर नववर्ष की ख़ुशी अलग ही खिल रही है जैसे कीचड़ में कमल खिलकर मुसकाता है | इस बीच रोगी भी अपना इलाज करवा रहे हैं | चंद चित्र आप भी देखिए|
डॉक्टर रोगी से –‘’ हां क्या हुआ ?’’
रोगी-‘’ डॉक्टर साब , सर में , हाथपांव में दर्द है ‘’ रोगी अपनी पीड़ा बता रहा है | डॉक्टर अपनी सहयोगी डॉ. शर्मा से – ‘’ हां तो मदम आप नववर्ष पर पिकनिक मनाने कहाँ जा रही हैं |’’
मरीज की बात अनसुनी करते हुए डाक्टर साब पर्ची पर कलम चलाते हुए दवा लिख रहे हैं | बातचीत डॉ. शर्मा से जारी है | अंत में –‘’ दवा ले लेना , खा लेना | मरीज आश्चर्य में है , उसे डाक्टर ने न नजर भर देखा , न छूकर | इलाज लिख दिया | पर बेचारा क्या बोले | ज्यादा बोलता है तो क्जिदकी मिलेगी | कारण कियह सरकारी अस्पताल है | प्राइवेट अस्पताल थोड़ी न है जहां फीस वसूल कर घोड़े को पुचकारने के तर्ज पर पुचकारा जाता है
 इसी तरह की कुछ मिलती-जुलती हरकत डॉ. शालिनी , डॉ सुदेश , डॉरीना भी कर रही हैं | डॉक्टरों के बीच ‘ नववर्ष कैसे बेहतर मनाएं ‘ नामक विषय को लेकर गहन चर्चा चल रही है | कुछ सूना – कुछ नहीं सूना के बीच इलाज करने का क्रम भी | दवा कक्ष भी नववर्ष की ख़ुशी में भीगा जा रहा है | कर्मचारी आपसी चर्चा में इतने मशगूल हैं कि दवा देकर आगे मरीज से बात करना उन्हें बुरा लग रहा है |
 एक मरीज दवा मिलने के बाद बोला- ‘’ साब दवाई कौन-कौन से समय पर खाना है ? कम्पाउंडर अपने सहकर्मी से बातचीत करते हुए मरीज बोला- ‘’ दो दिन की दवा है | कुल खुराक में दो का भाग देकर जो भागफल प्राप्त हो उतने में एक समय में जीतनी खुराक आए , खा लेना |’’
‘’ साफ़-साफ़ बताइये न , साब |’’
‘’ अनपढ़ हो का ? साक्षरता के मामले में अपना जिला नंबर वन पर है , इतनी सी बात नहीं समझ सके | नाक कटवाओगे का ?’’
रोगी बुदबुदाता हुआ, बहस किये बगैर आगे बढ़ गया | अभी कुछ और मरीजों को दवा वितरकों के साथ बहस सुनाई दे रही थी |
इस समय पर हम इंजेक्शन कक्ष में थे | तीन नर्से वहां मौजूद थी |
एक- ‘’ और न्यू इयर किस प्रकार सेलिब्रेट करने जा रही हो दीदी ?’’
दूसरी – ‘’ मैं तो गहने खरीदूगीं और पहनूगीं |’
तीसरी- ‘’ मरीज के इंजेक्शन लगाने जा रही नर्स से कहती है –‘’ देख पर्ची पढ़कर ही इंजेक्शन लगा रही है न ? वरना दादा का न्यू इयर की जगह लास्ट इयर हो जाएगा |’
‘’ हां ,हां दीदी .... और इनके बूढ़े शारीर में वैसे भी एक सौ एक प्रकार के मर्ज होगें | अगर दूसरा इंजेक्शन लग भी गया तो उससे कोई दूसरा रोग ठीक हो जाएगा | क्यों दादा , ठीक कहा न ?’’
बूढा देहाती मरीज अकबक होकर उनका मुंह देखता रह जाता है | चर्चा जारी है नववर्ष को लेकर | इंजेक्शन लगनेका काम भी जारी रहता है | लापरवाही भी चालू आहे |
 मलेरिया स्लाइड जांच कक्ष या पैथोलाजी कक्ष में एक टेक्नीशियन अपने साथी को समझा रहा है –‘’ अबे इतना ईमानदार बनाकर कब तक स्लाइडों पर आँख गडाता रहेगा | अगर ऐसा करने बैठा न तो समझ ले | कल तक तेरा काम पूरा नहीं होने वाला | एक काम कर | अलग कर माइक्रोस्कोप | जितने नाम की स्लाइडें आयी है उनके नाम के आगे सबको पीवीटी लिखाकर इतिश्री का काम कर | कल नववर्ष पर ‘’ तरच डेम ‘’ जाना है कि नहीं ? सहकर्मी समझदार है | वह उसकी बात को अच्छी तरह समझ गया | मुस्काता हुआ रजिस्टर में जानकारी फिलअप करने में जुट जाता है |
आंतरिक रोगी कक्ष के मरीज डॉक्टर साब राउंड पर आए तो अपना दर्द बताये | बड़े इन्तजार के बाद डॉक्टर साब कक्ष में पधारते हैं | रोगियों के चहरे खिलते हैं | वे उनसे कुछ कहने की मुद्रा में सावधान होते हैं | पर डॉक्टर साब उन तक पहुँचाने के पहले वार्ड ड्यूटी में तैनात नर्स को हिदायत देने के बाद कहते हैं – मिस शर्मा मैं कान्हा नॅशनल पार्क जा रहा हूँ | कल नववर्ष है इसलिए परसों तक वापस हो सकूंगा |’’ इस बीच वे नर्स को कुछ और समझा कर विदा हो जाते हैं | मरीज उन्हें ताकते रह जाते हैं | अब पूरा वार्ड खुर्राट नर्स के कब्जे में है | उसका रोल मरीजों से किसी आतंकवादी से कम नहीं है | बात –बात पर डांट-फटकार,चिड़चिड़ाहट और ज्यादा हुआ तो गाली भी | ‘’ जी हां यह सरकारी अस्पताल है | यहाँ मुंह बंद कर रहने में भला है | ऐसा भुक्तभोगी मरीज कहते हैं |
इस तरह अलग-अलग वार्ड में अलग-अलग तरीके से नववर्ष की ख़ुशी व्याप्त है |एक मरीज हैं जो ख़ुशी को भूल शारीर की चिंता में .... बिमारी की चिंता में घुले जा रहे हैं |

   सुनील कुमार ‘’सजल’’

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

व्यंग्य- नववर्ष की शुभकामना पार्टी

व्यंग्य- नववर्ष की शुभकामना पार्टी

नववर्ष आने की खुशी अलग होती है | सब एक दूजे को बधाई देते नजर आते हैं | तरह-तरह की शुभकामनाएं | तरह-तरह से शब्दों का संयोजन |
साब, शुभकामनाएं देने में क्या हर्ज है | अब सामने वाले के साथ कितना शुभ होता है वे जाने | दे दो, जैसी चाहो वैसी दे दो | यार , मुंह में जीभ ही तो पटकनी है | आखिर घंटों गप्पबाजी या बहस में भी तो जीभ पटकते हैं | दो शब्दों के बोल से प्रेम उमड़े तो क्या बुराई | वैसे शुभकामना ख़ास पर्व पर देने के लिए ही नहीं होती | बल्कि अपना उल्लू सीधा करना हो तो भी दी जा सकती है | जो न पते , उसे उसके कार्य के प्रति शुभकामना देकर पटाओ | जो आकडे उसे , शुभकामना देकर झुकाओ |
सेठ रामदयाल किराना वाले अपने ग्राहकों को प्रत्येक बड़े पर्व पर शुभकामना पत्र भेजकर पटाए रखते हैं | ताकि महँगा बेचकर ग्राहक न बिदके |
अपन तो मोबाइल से एस.एम्.एस. भेजते हैं | शुभकामना देने का ये अपना अर्थशास्त्र है |सस्ते में ज्यादा लोगो को सन्देश भेजते हैं |मंहगाई का दौर है | शुभकामना पात्र वै९से भी महंगे हैं | एक कार्ड के खर्च पर दर्जन भर से ज्यादा लोगो को निपटाओ | ठीक हैं न , यह अपना बचत का फंदा |
साब, अबकी बार अपने कंजूस सरपंच जी बेहद खुश हैं | यूं तो वे कंजूस के बाप हैं | नेतागिरी के पूरे गुण हैं उनमें |यानी दूसरों की जेब का खाओ , अपनी को हाथ न लगाओ |इसी नीति के आधार पर वे राजनीति करते हैं | पर इस बार नामालूम क्यों उनमें इतनी दिलेरी आ गयी | कल कह रहे थे –‘’ मास्टरों , अबके नववर्ष पर हम आपको पार्टी देंगे |’’
उनका ये एलान हमें शंका से भर दिया | बात – बात पर स्कूल में आकर सरपंची झाड़ने वाला इस बार अपनी जेब ढीली करने को कैसे सोच लिया ? हम लोगों के मन में उपजा खतरनाक प्रश्न था | कहीं कोई चाल तो नहीं चल रहा ? या फिर मनारेगा के कार्य में मुरदों के नाम राशि डकार लिया हो | और उस राशि से हमें खिलाकर अपने पाप का क्रियाकर्म करना चाह रहा हो | वैसे भी उसने जो गाँव में खेल-मैदान तैयार करवाया है |उसकी पोल ज़रा सी बरसात खोल देती है |
 ये भी हो सकता है , इन दिनों उनके घपलों की खबर हर जुबान पर है | पेंशन योजना , तालाब निर्माण , सड़क निर्माण व भवन निर्माण में जो वारा न्यारा किया है | वह तो कई अखबारों में छाप चुका है | हो सकता ग्राम के आंतरिक विरोध से बचने के लिए हम जैसे मास्टर यानी निरीह प्राणी बनाम बुद्धिजीवीयों का समर्थन चाह रहे हों | ताकि हम उनका नमक खाकर नमक हलाल बने | उनकी जय-जयकार करते नजर आयें | काहे कि आज भी गाँव में शिक्षकों का सम्मान पचास परसेंट तो बरकरार है ही |
तो साब , नववर्ष का प्रथम दिवस निकट है | हमारे स्कूल के सभी टीचर्स खुश हैं | इस बार सरपंच मेहरबान है | वे सुबह संस्था में आए थे – ‘’ यारों इस बार पार्टी अच्छी होगी | इसलिए रूपरेखा आप लोग तैयार करो | खर्च हम करेंगे |’’
‘’ पार्टी सिर्फ शिक्षकों के लिए ...या फिर बच्चे भी उसमें ...| ‘’ शिक्षक मित्र ने कहा |
‘’ बच्चों को... |’’ वे अटकते हुए बोले | फिर बोले –‘’ चलो कहते हो तो एक-एक रुपये वाली सोंनपपड़ी उन्हें भी बंटवा देंगे |’’
इस बार उनका स्वर एहसान में डूब कर पूर्ण गर्व से निकला था | थोड़ी देर चुप्पी | फिर इधर –उधर की बात | इसी बीच सरपंच बोले- ‘’ कही , खाने – पीने में क्या आयटम रखे जाएँ |’’
बीच में एक शिक्षक ने होटल की मंहगी मिठाई के नाम गिनाये तो वे हँसे |बोले-‘’ क्या मिठाई पर चीते की तरह टूटे जा रहे हो | कुछ अच्छा सुझाव | ताकि पार्टी रंगीन हो जाए |’’
‘’ पार्टी रंगीन बनाने के उपाय तो शर्मा सर ही बता सकते हैं | हमने कहा |
‘’ हम क्या बताएं | अपन ठहरे छोटी तनख्वाह बनाम औकात वाले आदमी |उसी के अन्दर बता सकते हैं |’’ शर्मा जी बोले |
‘’ यार आप अपनी औकात नहीं , बल्कि हमारी देखकर बताओ |’’ सरपंचजी बीच में टप से बोले | इसी बीच शर्मा जी क्या सूझा | बोल पड़े ‘’ खीर पूरी |’’
‘’ यार पंडित तुम मर कर भी नहीं सुधारे | ज़माना बीत गया खीर-पूरी दही-पेड़ा खाते | फिर भी नहीं अघाये |’’ सरपंच जी ने उनकी बात काटकर मुंह बनाते हुए कहा |
‘’ अच्छा , सरपंचजी , आप ही सुझाएँ |’’ अन्य शिक्षक ने कहा |
‘’ ‘’यार हमारी इच्छा है | दारू-मुर्गा की पार्टी रख ली जाए | देशी मुर्गे मंगवाए हैं हमने | उलटे पंख वाले |’’ सरपंच जी ने मुर्गे की विशेषता के साथ अपना प्रस्ताव रखा |
हम साब अकबक होकर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे | यह क्या , आए दिन स्कूल में नशे के खिलाफ सरपंच भाषण झाड़ता है |स्कूल में तम्बाकू – सिगरेट का नशा लेना दूभर हो गया है | पके फोड़े की चिलकन – सी तलब को कलेजे में दबाए रखना पड़ता है स्कूल में | पिछले बरस दारू पीकर स्कूल में आए यादव मास्साब की ऊपर शिकायत कर इसी सरपंच ने सस्पेण्ड करवाया था | और आज खुद हम लोगों से...| पट्ठा कहीं किसी षडयंत्र का खलनायक तो नहीं बन रहा है ‘’|
‘’ अरे भाई घबराओ नहीं |’ सरपंच जी ने शायद हमारे चेहरों को पढ़ लिया था | मुसकाते हुए कह रहे थे –‘’ हम किसी से शिकायत नहीं करेंगे | न गाँव वालों को हवा लगाने देंगे | जो भी होगा गुपचुप होगा | नववर्ष में यह सब चलता है | इससे दिमागी टेंशन व आपसी बुराईयाँ दूर होती हैं | नौकरी के समय नौकरी , दोस्ती के समय दोस्ती भली लगाती है तो क्यों न सारे ग़मों को भूलकर ऐश करें |’’
साब जो होगा देखा जाएगा | और जो होता है भले के लिए होता है के दर्शन के साथ हमने सरपंच जी के हाँ में हाँ मिला दी है |
 अब देखते आज नववर्ष का प्रथम दिवस है | सरपंच जी की शुभकामना पार्टी में कितना ऐश कर पाते हैं | फिलहाल ख़ुशी का माहौल है |

    सुनील कुमार ‘’सजल’’