व्यंग्य- हसीना और पत्रकारिता
उस हसीना को जाने क्या सूझा कि उसने पत्रकार बनाने को ठान ली | यूँ तो
हसीना पहले मॉडलिंग कराती थी |फेमस थी | नाम था उसका मॉडलिंग की दुनिया में | फैशन
के हर आयाम को छूती थी | प्यार-व्यार के प्रसंग में भी बनी रहती थी | मगर अब
पत्रकार ? दिल तो टूटना ही था दीवानों का , प्रशसंकों का | कुछ लोग नसीहत देते नजर
आये |’’ यार तुम भी न अत्रकार पत्रकार के चक्कर में पड़ी हो | अच्छा खासा मॉडलिंग
का बिजनेस है | उसी में मस्त रहो | क्यों पत्रकार बनाने की जिद में अदि हो |
तुम्हारे हसीं चहरे के न जाने कितने दीवाने है | क्या जवान क्या
बूढ़े | सब तो तुम्हारा गुणगान गाते हैं | जब तुम गलियों से गुजरती हो तो लगता है लू लापत की
भरी दुपोअहरी में भी बहार आ गयी | हमारी सलाह मानों पत्रकार मत बनो | मगर हसीना है
कि पत्रकार ही बनाना चाहती है | उसका कारन यह है कि हसीना ने देखा कुछ फ़िल्मी
हिरोइन फिल्म में पत्रकार का रोल करके अमर हो गयी | बस यही बात हसीना के दिल में
बैठ गयी | इधर मॉडलिंग एजेंसियां उसे मना रही हैं | यह भूत कहाँ से लग गया | कहो तो तुम्हारा पारिश्रमिक बढ़ा दें | भई इस
व्यवसाय से क्यों नाखुश को क्या हमने कुछ कहा | कहो तो क्षमा मांग लेते हैं | आपके
मुताबिक़ चलेंगे | हसीना मुस्कुराती है | पर कुछ नहीं कहती | जानती है भाव बनाने से
भाव बढ़ते हैं | उसका मार्किट है विज्ञापन की दुनिया में उसकी अलग पहचान है | हसीना
कहती है – ‘’ हालांकि पत्रकारिता चुनौती पूर्ण काम है | पर वह हमेशा चुनौती को ही
स्वीकार कराती है |’’ हसीना जानती है | ऐसा बयान देने पड़ते हैं | तभी काम चलता है
| भले ही वह काकरोच या कि फिर चूहों से डरे | बयान में चुनौती का समावेश जुबान की
कीमत को बढ़ा देते है |
इधर बुढाऊ से लेकर जवान पत्रकारों तक के दिल खिल उठे हैं | जब सूना कि
उनके शहर की एक खूबसूरत हसीना उनके व्यवसाय जगत में प्रवेश कर रही है | तबियत मचल
उठी है | पत्रकार लोग उसे तरह-तरह से आकर्षित करा रहें हैं | वेलकम | देखी घबराइये
नहीं | हम हैं न | आप सिर्फ समाचार कलेक्ट करी | कॉपी ,एडिटिंग., प्रूफरीडिंग का
सारा काम हम कर देंगे , यदि आपसे न बने तो कोई बात नहीं | हम आपके साथ हैं | बस आप
प्रेस तक मैटर पहुचाने का काम करी | यदि आप आज्ञा दें तो अपने मालिक से बात कर लें
| अपने प्रेस में ज्वाइन करा लें |
हसीना जानती है उसे इतने
सहयोगी क्यों मिल रहे हैं | वैसे हर स्त्री को इतना तो पता होता है | अगर पुरुष
उससे इतना चिपकाने की कोशिश करता है तो उसके पीछे कारण क्या है | हसीना का मानना
है, तरक्की वही करता है जो अपनी खूबियों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ता है | ऐसी सूक्ति
पहचानने की उसे अच्छी समझ है | सो वह अपने चाहने वालों पत्रकारों से कहती है ,-‘’
जी सब कुछ तो आप हैं | अपन तो ए.बी.सी.डी नहीं जानते | इधर समाज के कुछ शुभचिंतक
को चिंता है | कहीं यह लड़की भी बाद में न पछताए | वे समझाने की कोशिश में लगे हैं
| ‘’ देखो लड़की ये दुनिया बड़ी बेरहम है , स्वार्थी है | मतलब तक तुम्हारे साथ है |
फिर? “” मगर हसीना स्वयं में मस्त दुनिया से अच्छी तरह परिचित है. | उसे क्या है समझाना ऐसा वह
मानती है | फिलहाल तो वह पत्रकार बनाने जा रही | आगे उसे क्या होगा क्या नहीं ? यह
तो आपको भी ख़बरों से पता चल जायेगा |
सुनील कुमार ‘सजल’