फिल्म लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
फिल्म लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 28 जून 2015

व्यंग्य – उनके नयना


व्यंग्य – उनके नयना

अभी तक तो हमें पता नहीं था कि उनके नयना भी दगाबाजों में से एक हैं |वरना हम खुद घमंड  में चूर थे किदगाबाजी में हम सबसे बड़े हैं |वो तो हमें आज पता चला था की उनके नयना भी दगाबाजी करते हैं |वो तो अच्छा हुआ पागलों की तरह शक्ल लिए एक प्रेमी साब मिल गए |-‘’ वे बताने लगे ‘’उनके नयना को क्या कहें बड़े दगाबाज हैं |हम तो सिर्फ़  उनके नयनो को ताकते रहते अगर दिख जाएँ तो |मगर कमबख्त पत्थर दिल  नयना हैं की हमारी और देखते तक नहीं |हम आज पछताते हैं | क्यों वे एक बार हमें टकटकी लगाकर देख गेट | तब से बचें हैं हम |एक बार हमारे नयनों  ने हमें समझाया क्या पागलों की तरह हमें उनके नयनों को ताकने  के लिए मजबूर करतें हैं |तनिक सोचो नयनों से ये करने के लिए शक्ल व् सीरत की आवश्यकता होती है है |वो दोनों चीज तुम्हारे पास नहीं हैं|हम भी करें बेशरमों की भाँती दिल नयनों को ताकने के लिए मजबूर रहते हैं |गाते फिरते हैं `-बड़े दगाबाज रे ....तोरे नयना ..|’
  यार ये नयना भी अजीब चीज हैं | आदमी की जुबान दगाबाजी की किस्से सुने हैं |पर अब नयना..भी |जबसे सूना है नयना भी दगाबाज होते हैं नींद हराम हो गयी है |कहीं ऐसा  तो नहीं की लेखको/कवियों ने उनके नयनों की ज्यादा तारीफ़ कर दी हो |इसलिए वे घमंड में चूर होकर दगाबाजी में उतर आए हों |या फिर फिल्म निर्माताओं ने ज्यादा महत्त्व दे दिया हो अपनी फिल्मों में |
हमारे जी में आया उस लड़की को सजा मिले | जिनके नयना दगाबाज हैं  और हम जिनकी दगाबाजी झेल रहें हैं |पर अन्दर के साहस ने जवाब दे दिया |कहीं झिड़क न दे  |
 उस लड़की के ही नयना दगाबाज हैं या एनी लड़कियों के भी जिनकी और हमने कभी नजर उठाकर भी नहीं देखा |कवियों ने अपनी कविताओं में उनके नयनों को दगाबाज बताया है |क्या वे भी उनके नयनों के शिकार हुए या यूँ ही लिख मारे अपनी प्रसंशा पाने के लिए | सवाल पर सवाल पर उठ रहे हैं मन में | हो सकता है रंजिश वश भी हो एसा लिखना |
एक दिन हमारे मित्र ने हमें समझाया –‘’ यार तुम उनके नयनों के पीछे क्यों पड़े हो ?और भी तो लड़कियां हैं जिनके नयना ख़ूबसूरत हैं |’’
‘’ यार उनके नयना में जो विशेसता है वह एनी में नहीं है |’’ ‘’ यार दुनिया में निकल कर देखो | उससे भी बेहतरीन नयन मिलेंगे |जिनके लिए शायरों ने शायरी यान लिखकर जान कुरबान कर दी |
हम उन्हें कैसे समझाते कि जब दिल लग जाता है मेंढकी से तो वह भी किसी पारी से कम खूबसूरत नजर नहीं आती |
 वैसे वह लड़की ऐसी तो नहीं लगाती वह दगाबाज है | मोहल्ले में उसके चर्चे भी आम नहीं है |अब अगर उसके नयना ही दगाबाज निकल गए तो लड़की क्या करे |
     सुनील कुमार ‘’सजल’’ 

सोमवार, 1 जून 2015

व्यंग्य- हसीना और पत्रकारिता


व्यंग्य- हसीना और पत्रकारिता


उस हसीना को जाने क्या सूझा कि उसने पत्रकार बनाने को ठान ली | यूँ तो हसीना पहले मॉडलिंग कराती थी |फेमस थी | नाम था उसका मॉडलिंग की दुनिया में | फैशन के हर आयाम को छूती थी | प्यार-व्यार के प्रसंग में भी बनी रहती थी | मगर अब पत्रकार ? दिल तो टूटना ही था दीवानों का , प्रशसंकों का | कुछ लोग नसीहत देते नजर आये |’’ यार तुम भी न अत्रकार पत्रकार के चक्कर में पड़ी हो | अच्छा खासा मॉडलिंग का बिजनेस है | उसी में मस्त रहो | क्यों पत्रकार बनाने की जिद में अदि हो | तुम्हारे हसीं चहरे के न जाने कितने दीवाने है | क्या जवान क्या बूढ़े | सब तो तुम्हारा गुणगान गाते हैं | जब  तुम गलियों से गुजरती हो तो लगता है लू लापत की भरी दुपोअहरी में भी बहार आ गयी | हमारी सलाह मानों पत्रकार मत बनो | मगर हसीना है कि पत्रकार ही बनाना चाहती है | उसका कारन यह है कि हसीना ने देखा कुछ फ़िल्मी हिरोइन फिल्म में पत्रकार का रोल करके अमर हो गयी | बस यही बात हसीना के दिल में बैठ गयी | इधर मॉडलिंग एजेंसियां उसे मना रही हैं | यह भूत  कहाँ से लग गया | कहो  तो तुम्हारा पारिश्रमिक बढ़ा दें | भई इस व्यवसाय से क्यों नाखुश को क्या हमने कुछ कहा | कहो तो क्षमा मांग लेते हैं | आपके मुताबिक़ चलेंगे | हसीना मुस्कुराती है | पर कुछ नहीं कहती | जानती है भाव बनाने से भाव बढ़ते हैं | उसका मार्किट है विज्ञापन की दुनिया में उसकी अलग पहचान है | हसीना कहती है – ‘’ हालांकि पत्रकारिता चुनौती पूर्ण काम है | पर वह हमेशा चुनौती को ही स्वीकार कराती है |’’ हसीना जानती है | ऐसा बयान देने पड़ते हैं | तभी काम चलता है | भले ही वह काकरोच या कि फिर चूहों से डरे | बयान में चुनौती का समावेश जुबान की कीमत को बढ़ा देते  है |
इधर बुढाऊ से लेकर जवान पत्रकारों तक के दिल खिल उठे हैं | जब सूना कि उनके शहर की एक खूबसूरत हसीना उनके व्यवसाय जगत में प्रवेश कर रही है | तबियत मचल उठी है | पत्रकार लोग उसे तरह-तरह से आकर्षित करा रहें हैं | वेलकम | देखी घबराइये नहीं | हम हैं न | आप सिर्फ समाचार कलेक्ट करी | कॉपी ,एडिटिंग., प्रूफरीडिंग का सारा काम हम कर देंगे , यदि आपसे न बने तो कोई बात नहीं | हम आपके साथ हैं | बस आप प्रेस तक मैटर पहुचाने का काम करी | यदि आप आज्ञा दें तो अपने मालिक से बात कर लें | अपने प्रेस में ज्वाइन करा लें |
 हसीना जानती है उसे इतने सहयोगी क्यों मिल रहे हैं | वैसे हर स्त्री को इतना तो पता होता है | अगर पुरुष उससे इतना चिपकाने की कोशिश करता है तो उसके पीछे कारण क्या है | हसीना का मानना है, तरक्की वही करता है जो अपनी खूबियों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ता है | ऐसी सूक्ति पहचानने की उसे अच्छी समझ है | सो वह अपने चाहने वालों पत्रकारों से कहती है ,-‘’ जी सब कुछ तो आप हैं | अपन तो ए.बी.सी.डी नहीं जानते | इधर समाज के कुछ शुभचिंतक को चिंता है | कहीं यह लड़की भी बाद में न पछताए | वे समझाने की कोशिश में लगे हैं | ‘’ देखो लड़की ये दुनिया बड़ी बेरहम है , स्वार्थी है | मतलब तक तुम्हारे साथ है | फिर? “” मगर हसीना स्वयं में मस्त दुनिया से अच्छी  तरह परिचित है. | उसे क्या है समझाना ऐसा वह मानती है | फिलहाल तो वह पत्रकार बनाने जा रही | आगे उसे क्या होगा क्या नहीं ? यह तो आपको भी ख़बरों से पता चल जायेगा |
     सुनील कुमार ‘सजल’