व्यंग्य –चौबीस घंटे बिजली का सरकारी वायदा
ग्रीष्म का आगमन हो चुका है | तपन लू का दौर | पसीने की धार सी लगी है | इस भीषण
ग्रीष्म को देखते हुए सरकार का वायदा है | वह चौबीस घंटे बिजली देगी |
इधर सरकार ने किया देने का बिजली का वायदा | उधर विपाक्शियों की चिल
पों शुरू | ‘’ जनता वायदे के बहकावे में न आए | बिजली का वायदा मात्र चुनावी वायदा
है | ‘’ सच भी कहते हैं विपक्षी | चुनाव
की तैयारी में सत्ता पक्ष / सरकारें ऐसे ही उदारवादी वायदों से करती हैं |
आम आदमी कहता हैं ‘’ क्या
बिजली देने मात्र से गरमी घट जाएगी ? साब बजट आने के बाद महंगाई की तपन से आम आदमी बेहाल है | पंखा कूलर खरीदने
के लिए उसे सोचना पड़ता है | बिजली का बढ़ा बिल स्वस्थ व्यक्ति को हार्ट अटैक के
दायरे में ला देता है | सच तो यहहै साब सूरज वायदा करे कि वह वैसा न ही तपेगा ,
जैसा तप रहा है | सरकारें चुनाव आगमन की आहात पर बिजली मसले पर उदारवादी होती हैं
| खजाने के पट खुल जाते हैं | बिजली खरीदी के लिए| इधर सरकार दरिया दिल | उधर
विद्युत कंपनियों के मन में पलता बढे दाम पर बिल वसूली का पाप | आम उपभोक्ता के
लिए तय किए जाते हैं खपत के ऐसे ही रोड ब्रेकर |
सरकारें अक्सर वायदों का ‘रोशनी पर्व’’ चुनाव के वक्त ही अमल में लाती है | बाक़ी समय
तो आदमी अँधेरे में ही जीता है | रोशनी के ठेकेदार जानते हैं चार दिन चाँदनी फिर
अँधेरी रात का गम चुनाव काल के रोशनी पर्व से गलत किया जा सकता है | कारण देश का
उपभोक्ता अगले क्रम को याद रखता है | वैसे भी महापुरुष सीख देते आए हैं | आगे की
देखो | पीछे का भूलो | चुनाव के वक्त सरकारें महापुरुषों के पद चिन्हों पर चलने का
प्रयास कराती हैं |
यानि पीछे का भूलाने के लिए और आगे का वक्त ठीक रखने के लिए जनता को
वर्तमान से फुसलाना शुरू कर देती है | सरकार की चुनावी नीतिओ है | इतनी रोशनी
फैलाओ | जनता चकाचौंध में चौंधिया जाए | बीते दिनों के अन्धकार को भूल जाए | बस
उसी का उत्सव है | चौबीस घंटे बिजली देने का वायदा |
इधर साहब को शिकायत है |
रातों में उनकी नींद पूरी नहीं होती | वे देर सुबह जागते हैं | कारण यह है कि
रातों में बार-बार नींद का टूटना और दफ्तर देर से पहुचने का सिलसिला कई दिनों से
चल रहा है | उन्हें गहरी नींद न आने का अर्थ यह न लगाएं कि वे डायबिटीज , हार्ट
रोग जैसी बीमारी से ग्रस्त हैं | वस्तुत: वे गरमी से परेशान हैं रातों में बार-बार
होने वाले पॉवर कट और बंद होते कूलर एसी. से | जबकि सरकार चौबीस घंटे बिजली देने के वायदे पर काम कर रही
है | वे अनिद्रा की परेशानी पहचान के आम आदमी से बता रहे हैं |
आम आदमी ने कहा –‘’ साब सरकार तो
बिजली चौबीस घंटे दे रही है | फिर भी आप सो नहीं पा रहे है | क्या घर में
शीतल प्रदायक यंत्र नहीं है | ‘’ कैसी बात करते हो यार | सब कुछ है |’ साहब बोले |
‘’ फिर भी कष्ट ? कहीं
अनिद्रा की बीमारी तो नही है आपको ?’’ आम आदमी ने शंका जाहिर की |
‘’ यार तुम जैसे आम आदमी में यहीं पर मूर्खता झलकती है | सरकारी वायदे या आश्वासन पर खुश
होकर गहरी नींद लेने लगते हो |देखते नहीं घंटा भर बिजली रहने के बाद बीस से चालीस मिनट का पॉवर कट होता रहता
है |” साहब तनिक ने खीझकर कहा |
‘’ पर हमें तो नींद आती है |
साब इत्ता पॉवर कट तो चलता है | फिर नींद लगा जाए तो पॉवर कट रहे या पॉवर प्लस
अपने को होश नहीं रहता |’’ आम आदमी ने संतोष भरे स्वर में कहा |
‘’ कैसे इंसान हो यार ? बिजली गुल होने पर नींद नहीं खुलती ? दारू
वारू पीकर सोते हो का ? साहब के स्वर में पहले जैसी खीझ | ‘
‘’ का है साब कि हम जैसे हर
परिस्थितियो में अनुकूल होते हैं | बिजली रहे तो ठीक | न रहे तो ठीक | हर हाल में
मस्त होकर जी लेते हैं | ‘’आम आदमी ने कहा |
‘’ तभी तुम सरकार के वायदे का
गुणगान कर रहे हो | सच कहा है किसी ने तुम जैसे लोगों के दम पर लोकतंत्र ज़िंदा है
|’’ साहब ने कहा |
साहब परेशान हैं | रातों
में बिजली कि कटौती व् आम आदमी के जवाब से | सरकार खुश है आम आदमी के मुख से उसके
गुणगान से | आम आदमी खुश है सरकार के वायदों से | कारण कि आम आदमी सरकारी वायदों
पर जीता है |
अब साहब को पॉवर कट को लेकर
नींद न आये तो सरकार व् आम आदमी क्या करे
|
सुनील कुमार ‘’
सजल’’