बॉस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बॉस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 4 जून 2015

व्यंग्य – भाई से भाई जी तक


व्यंग्य – भाई से भाई जी तक

इन दिनों हमारे नगर में अनोखा फैशन उबाल मार रहा है फैशन से आप यह अंदाज न लगायें | छोकरों का अर्ध कूल्हा दिखाता जींस, खुली पीठ दिखाते ब्लाउज में महिलायें , टाइट सलवार कुर्ती,टी शर्ट में बदन झलकाती युवतियां ,खुले बदन में घूमते युवा जैसा फैशन |
 नगर में फैशन जो चलन में है वह है भाईजी नामक सम्मानीय शब्द का |पहले कभी लोग भाईजी कहते कहते नहीं पाए जाते थे लोग | बल्कि बॉस ,भाई साब, बड़े भैया , बड़े दादा ,बड़े कक्का, बड़े भाई ,बड़े इत्यादि |
फैशन तो फैशन है | बाजार में उतार दिए जाने के बाद वह भी चलन में आ जाता है | सो इन दिनों चलन में है सम्मानीय शब्द  का फैशन ‘’भाई जी ‘’| यूँ तो भाई साब अभी कहा जाता अपनों  को | पर पुराने टाइप के लोग कहते हैं | या फिर इस नए शब्द फैशन से स्वयं  को जोड़ नहीं पायें वे लोग |
 बॉस से भाई जी तक का सफ़र कर चुका है हमारा नगर | भाई अकेले शब्द को कहने में कहने कतराते है लोग | कहते हैं – मुंबई नहीं है हमारा नगर जो किसी को भी भाई कहकर मवाली बना दें |
  पहले कभी ‘भाई’ कहने पर कुछ शरीफ लोग बदमाशों के हाथ पिट चुके हैं |कुछ ने तो इस शब्द सम्मान के मामले को थाने तक पहुंचा दिया |इसलिए भाई के आगे ‘ जी’ जोड़कर सारे विवाद को ख़त्म कर दिया गया | ताकि शरीफ व् बदमाश एक हो जाएँ इस शब्द फैशन के दौर में |
आम आदमी भी अब अपने बीच के आम आदमी को भाईजी कहता है | भाईजी कहने के बाद वह पुन: विचार करता है | भाई के साथ उसने जी लगाया या नहीं | अगर शंका बनी रही तो वह सामने वाले का चेहरा भांपता है | प्रतिक्रया के लिए |
इन दिनों युवाओं में खूब चल रहा ही ‘’भाईजी’’| नए ब्रांड की दारू, गुटखे की तरह | लोग अपनों के नाम या सरनेम लेने की बजाय भाईजी कहना पसंद करते हैं | बिना भेदभाव,जात-पांत ,छोटे-बड़े का अंतर के |
 हर फैशन के पीछे शौक के साथ स्वार्थ भी पनपता है | मसलन फिल्म में नायक-नायिकाएं जितना ज्यादा बदन उघाराते हैं उनका मार्किट उतना ही तगड़ा होता हैं |
    दूसरा उदाहरण यह भी हो सकता है | मैं आपसे कहूं भाईजी सुपर मार्केट का रास्ता किधर है ? आप खुश होकर बताएँगे | रिक्शा वाले हो या दूकानदार सब अपने ग्राहकों को ‘’आइये भाईजी ‘’ से स्वागत कर बुलाते हैं |
 नगर के राजनैतिक कार्यालयों में जितने भाई हैं ,वे सब इन दिनों भाईजी से नवाजे जा रहे हैं | पार्टी में शालीनता बनाएं रखने के लिए पदाधिकारियों ने तो  एक आदेश के साथ  भाईजी जैसे शालीन शब्दों को नियमित अभ्यास के साथ इस्तेमाल करने हेतु शब्दों की सूची चस्पा कर दी है सूचना पटल पर |
  भाईसाब ? क्षमा करें | भाईजी ,हम तो बॉस से भाईजी तक का सफ़र कर चुके और आप ? बताइयेगा |
      सुनील कुमार ‘सजल’’