व्यंग्य-शुभकामनाओं के फंडे
साब,
आपने अपनों को शुभकामनाएं तो दी होगी | और
देते होंगे| देते रही अपनों को खुश रखने के लिए | इस मंहगाई के युग में शुभकामनाएं
देना ही एक साधन है जो बिना मूल्य चुकाए निपट जाता है | वरना गिफ्ट तो अच्छे –
अच्छे को दूसरी शक्ल में शिफ्ट कर देता है | शुभकामनाएं देते रहते हैं | इन्टरनेट
में उपलब्ध सुविधा के तहत | मौसम में भी और
बेमौसम में भी | वो भी फ्री में फ्री एस.एम्.एस. करें के तहत | चलो हम भी
रचना के माध्यम से आपको शुभकामनाएं दे देते है कि आप खुश रहें |
साब,
शुभकामनाएं देना सिर्फ सामाजिक व्यवहार ही नहीं है | बल्कि इसमें कुछ राज भी छिपे
हैं |राज को जानना चाहेंगे | जान गए तो आप भी हमारी तरह आधी रात को उठकर
शुभकामनाएं देने को ललचायेंगे |
चलो साब, बता देते हैं | अपन यूँ ही फ़ोकट में किसी को शुभकामनाएं नहीं देते
| अपन तो उल्लू बनाते हैं | आप जैसे लोगों को सुभकामना देकर | वो कैसे साब? वो ऐसे
साब कि हमने आपके मोबाइल पर एस.एम्.एस. ठोंका हमारे नेट अकाउंट में पैसे जमा हो गए
| हमें क्या लेना-देना आपकी ख़ुशी गम से |
साब
किसी को उल्लू बनाना हो तो उसे शुभकामनाएं देते रही | कारण बिना कारण के | आपका
अपना उल्लू हमेशा सीधा बना रहेगा | साब, वह समझ भी नहीं पाएगा कि आपके शुभकामना
देने का राज क्या है | बल्कि वह ख़ुशी से कहेगा- ‘’ कटारे जी बहुत नेक इंसान हैं |
अपन याद रखें या ना रखें | वे अपन को याद करते रहते हैं | दिल में रखते हैं | बस
यह भाव उसके मन में पैदा होते ही अपने उल्लू के पीछे छिपे स्वार्थ को परोस दीजिए |
मसलन साब, आप मुझे दस- बीस हजार की हेल्प करते तो बड़ा अच्छा होता | फिर देखी पट्ठा
कैसे हाँ नहीं करता | वह कहेगा ‘’ कटारे जी आप चिंता न करें | आपका ख्याल रखना तो
हमारा फर्ज है |’’’ पर साब इस बात का ख्याल रखिएगा शुभकामनाएं देना बंद न करियीगा
| अगर वह समझ गया तो समझिए आप स्वार्थी तो हैं | मगर उसकी नज़रों में स्वार्थी
घोषित हो जायेंगे | क्या फ़ायदा अपने पैर
पर कुल्हाड़ी मारने से |
दूसरी बात यह है कि शुभकामना में शब्दों की नवीनता होनी चाहिए | माना कि आप
उसकी तारीफ़ में जुबान से शहद उड़ेल रहे हैं , शहद ही उदेलें | भले ही आप के मन
में कराला चढ़ रहा हो उसके प्रति | उसे
अपनी जगह पर चढाने दो | मगर जुबान पर शहद के छत्ते ही बना कर रखें |
पड़ोसी ब्लाक के एक नेता जी को शुभकामना देने का भूत सवार है | उन्हें कहीं
से खबर लग गयी | इस बार चुनावी टिकट उन्हें इस मिलने जा रही है | बस वे विधान सभा
क्षेत्र में यह पता करते रहते है | किसके घर कौन सा आयोजन होने जा रहा है | अपनी
तस्वीर से सजा शुभकामनाएं का कैलेण्डर समबन्धित तक भिजवा देते हैं | उनके चमचों का
नेटवर्क पूरे इलाके में फैला है | उनसे उन तक खबर पहुँच जाती है नेटवर्क भी इतना
मजबूत कि नामी गिरामी संचार कम्पनियां भी उनके सामने घुटने टेक दे |
यूँ तो वे पहले महान संतों की तस्वीर के साथ
अपनी तस्वीर वाला शुभकामना वाला कैलेण्डर भेजा करते थे | मगर जब से बाबा लोगों का
ब्रम्हचर्य के नंगे होने की खबर मीडिया में छायी है | वे भी उनसे पल्ला क्जाद कर
उनके चित्र वाले कैलेण्डर दफ़न कर दिए |
इधर जब से हमारे जिला कार्यालय के बड़े बाबू को पता चला है कि हम स्थांतरण
कराने की ईच्छा रखते हैं | वे कई दिनों से हमें शुभकामनाओं का एस.एम्.एस. आये दिन
देते रहते हैं | साथ में यह भी टीप कर देते हैं | ‘’ परेशान होने की जरुरत नहीं है
| अपने लोग भोपाल में मौजूद हैं |’’ बाद में हमें पता चला कि वे राजधानी स्थित
ट्रांसफर माफियाओं के एजेंट हैं |
शुभकामना देते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि उसमें कुछ आधुनिकता झलके
मसलन’’ आपका प्यार पवन सुपर फास्ट एक्सप्रेस की तरह पटरी पर दौड़ता रहे |’’ तो साब
ये रहे कुछ फंडे | प्लीज आजमाइएगा|
सुनील कुमार ‘’ सजल’’