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गुरुवार, 28 मई 2015

व्यंग्य-शुभकामनाओं के फंडे


व्यंग्य-शुभकामनाओं के फंडे

 साब, आपने अपनों को शुभकामनाएं तो दी होगी  | और देते होंगे| देते रही अपनों को खुश रखने के लिए | इस मंहगाई के युग में शुभकामनाएं देना ही एक साधन है जो बिना मूल्य चुकाए निपट जाता है | वरना गिफ्ट तो अच्छे – अच्छे को दूसरी शक्ल में शिफ्ट कर देता है | शुभकामनाएं देते रहते हैं | इन्टरनेट में उपलब्ध सुविधा के तहत | मौसम में भी और  बेमौसम में भी | वो भी फ्री में फ्री एस.एम्.एस. करें के तहत | चलो हम भी रचना के माध्यम से आपको शुभकामनाएं दे देते है कि आप खुश रहें |
 साब, शुभकामनाएं देना सिर्फ सामाजिक व्यवहार ही नहीं है | बल्कि इसमें कुछ राज भी छिपे हैं |राज को जानना चाहेंगे | जान गए तो आप भी हमारी तरह आधी रात को उठकर शुभकामनाएं देने को ललचायेंगे |
   चलो साब, बता देते हैं | अपन यूँ ही फ़ोकट में किसी को शुभकामनाएं नहीं देते | अपन तो उल्लू बनाते हैं | आप जैसे लोगों को सुभकामना देकर | वो कैसे साब? वो ऐसे साब कि हमने आपके मोबाइल पर एस.एम्.एस. ठोंका हमारे नेट अकाउंट में पैसे जमा हो गए | हमें क्या लेना-देना आपकी ख़ुशी गम से |
  साब किसी को उल्लू बनाना हो तो उसे शुभकामनाएं देते रही | कारण बिना कारण के | आपका अपना उल्लू हमेशा सीधा बना रहेगा | साब, वह समझ भी नहीं पाएगा कि आपके शुभकामना देने का राज क्या है | बल्कि वह ख़ुशी से कहेगा- ‘’ कटारे जी बहुत नेक इंसान हैं | अपन याद रखें या ना रखें | वे अपन को याद करते रहते हैं | दिल में रखते हैं | बस यह भाव उसके मन में पैदा होते ही अपने उल्लू के पीछे छिपे स्वार्थ को परोस दीजिए | मसलन साब, आप मुझे दस- बीस हजार की हेल्प करते तो बड़ा अच्छा होता | फिर देखी पट्ठा कैसे हाँ नहीं करता | वह कहेगा ‘’ कटारे जी आप चिंता न करें | आपका ख्याल रखना तो हमारा फर्ज है |’’’ पर साब इस बात का ख्याल रखिएगा शुभकामनाएं देना बंद न करियीगा | अगर वह समझ गया तो समझिए आप स्वार्थी तो हैं | मगर उसकी नज़रों में स्वार्थी घोषित हो जायेंगे | क्या फ़ायदा अपने पैर  पर कुल्हाड़ी मारने से |
  दूसरी बात यह है कि शुभकामना में शब्दों की नवीनता होनी चाहिए | माना कि आप उसकी तारीफ़ में जुबान से शहद उड़ेल रहे हैं , शहद ही उदेलें | भले ही आप के मन में  कराला चढ़ रहा हो उसके प्रति | उसे अपनी जगह पर चढाने दो | मगर जुबान पर शहद के छत्ते ही बना कर रखें |
  पड़ोसी ब्लाक के एक नेता जी को शुभकामना देने का भूत सवार है | उन्हें कहीं से खबर लग गयी | इस बार चुनावी टिकट उन्हें इस मिलने जा रही है | बस वे विधान सभा क्षेत्र में यह पता करते रहते है | किसके घर कौन सा आयोजन होने जा रहा है | अपनी तस्वीर से सजा शुभकामनाएं का कैलेण्डर समबन्धित तक भिजवा देते हैं | उनके चमचों का नेटवर्क पूरे इलाके में फैला है | उनसे उन तक खबर पहुँच जाती है नेटवर्क भी इतना मजबूत कि नामी गिरामी संचार कम्पनियां भी उनके सामने घुटने टेक दे |
यूँ तो वे पहले महान संतों की तस्वीर के साथ अपनी तस्वीर वाला शुभकामना वाला कैलेण्डर भेजा करते थे | मगर जब से बाबा लोगों का ब्रम्हचर्य के नंगे होने की खबर मीडिया में छायी है | वे भी उनसे पल्ला क्जाद कर उनके चित्र वाले कैलेण्डर दफ़न कर दिए |
    इधर जब से हमारे जिला कार्यालय के बड़े बाबू को पता चला है कि हम स्थांतरण कराने की ईच्छा रखते हैं | वे कई दिनों से हमें शुभकामनाओं का एस.एम्.एस. आये दिन देते रहते हैं | साथ में यह भी टीप कर देते हैं | ‘’ परेशान होने की जरुरत नहीं है | अपने लोग भोपाल में मौजूद हैं |’’ बाद में हमें पता चला कि वे राजधानी स्थित ट्रांसफर माफियाओं के एजेंट हैं |
   शुभकामना देते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि उसमें कुछ आधुनिकता झलके मसलन’’ आपका प्यार पवन सुपर फास्ट एक्सप्रेस की तरह पटरी पर दौड़ता रहे |’’ तो साब ये रहे कुछ फंडे | प्लीज आजमाइएगा|
          सुनील कुमार ‘’ सजल’’