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सोमवार, 30 मार्च 2015

व्यंग्य –कुछ तो लोग कहेंगे

 व्यंग्य –कुछ तो लोग कहेंगे,,
यारों जो जी में आए कह लो| कहने में कैसा डर | अपना मुंह है कुछ भी बक लें |लोकतंत्र में रहते हैं|अपना देश अलोकतांत्रिक देश नहीं है| जहां एक बार कहने के लिए सौ बार सोचना पड़ता है|यहाँ तो इतनी छूटहै कि सौ बार बोलकर एक बार सोचते हैं| जो जी में आया कह दिया| हर कोई मां हानि का दावा थोड़ी न ठोंकता है |सामने वाले को मालूम है | आज अपना दावा ठोकेंगे| कल वह भी अपने ऊपर दावा ठोंक सकता है| अपना मुंह भी बेलगाम है |आपने वह गीत सूना होगा | ‘’कुछ तो लोग कहेंगे |लोगों का काम है कहना |’’ बसयही सोचकर बेपरवाह से हम कुछ भी करते रहते हैं| नतीजा हम पर छेड़छाड़, सीटी बाजी जैसे आरोप लगे| अखबार तक में हमारा नाम छपा|
  हम तो कहते साब | बिना कुछ कहे या करे आप महानता हासिल नहीं कर सकते | हमारे बुजुर्ग बहुत कुछ कहा करते थे| जो वे खुद नहीं करते थे वह बी| और उनमें से कुछ महान पुरुष बन गए |
     कुछ भी कहते रहने का फायदा यह होता है कि हम कहने के आदि हो जाते हैं|जैसे देश के राजनीतिज्ञ बकवास बातों को यूँ कह देते हैं जैसे कहने की बात हो|
   राजनीति का फंडाहै गूंगा या मूक बनकर राजनीति न करो| वरना देखकर कुत्ते भी न भौकेगें |दुत्कारना भी आना  चाहिए और पुचकारना भी|
        पिछले दिनों शहर के एक नेता ने महिला नेत्री पर कुछ अनर्गल टिप्पणी की| हो-हल्ला मचाया महिला संगठनों ने| नेताजी के खिलाफ नारेबाजी हुई | पर वे निश्चिन्त थे| पूछने पर बोले – जो कहना था,कह दिया|
    साब फायदे के लिए कुछ कहना पड़ता है| दरअसल, कुछ दिनों से मीडिया उन्हें महत्त्व नहीं दे रहा था | वे उपेक्षित से थे| जनता में पहचान गम होती जा रही थी, इसलिए उन्होंने सोचा कुछ कहकर लाइट में आया जाए और कह दिया | अब चार दिनों से वे लगातार छाप रहे हैं | अभी कुछ दिन पूर्व आपने न्यूज़ में सूना होगा |एक जज ने सुनवाई करते हुए कह दिया | महिलाओं को पति से पीटने में क्या बुराई है | कहने की बात थी कह दी| इअसमें महिलाओं को बुरा लगा तो वे क्या करें|
     हो सकता है उनके पास पति प्रताड़ित पत्नियों के मामले आते रहे हों या पत्नी द्वारा दर्ज फर्जी मामले भी रहे हों| मामला कुछ भी रहा हो | लगता है जज साहब ऐसे मामलों से ऊब चुके थे | सो मन के अन्दर उठी बात कह दी |   

     भई पिट लो | क्या बुरा है | पति ही तो है पीटने वाला | जिसे तुम परमेश्वर कहती हो | हरितालिका व करवा चौथ में जिसे तुम देवता मानकर देखती हो | जब तक तलाक या संबंध विच्छेद नहीं होता उसके नाम का मांग में सिदूर भारती हो | एक तरफ लम्बी उम्र की चाहत पति की | दूसरी तरफ न्यायालय में सजा दिलाने का उपक्रम | शायद यही सोचकर जज साहब ने सलाह दी हो महिलाओं को | इधर मीडिया को क्या है? मेटर चाहिए | वह तो कहने वाले का मुंह पकड़ता है| किसी ने चूंकिया उधर फूं छाप दिया | हमारी सलाह है साब कि आप भी जो मुंह में आए कही | बात मन में दबाने से शारीरिक विकृति उत्पन्न होती है, यानी आप दब्बू बन सकते हैं या टेंशन से घिर सकते हैं | अब तो हमारी सलाह मानेंगे न | सलाह देना हमारी आदत है |