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शनिवार, 23 मई 2015

व्यंग्य- नाक कटने का सवाल


व्यंग्य- नाक कटने का सवाल


उस दिन अखबार में समाचार छपा| दिखने में रोचक लग रहा था | इतनी रोचकता समाचार की विषय वस्तु में नहीं थी | जितना उसे रोचक बनाने का प्रयास किया गया था | यूँ तो आए दिन समाचार छपते हैं वे रोचक होते भी हैं , नहीं भी | वह समाचार मुख्य पृष्ठ का हिस्सा था |उसे राष्ट्रीय समाचार जैसा स्थान प्राप्त था रंगीन ब्लाक में आकर्षक | आखिर समाचार क्या था? ‘’ पति ने अपनी पत्नी की नाक काट दी | ‘’
घटना सामान्य थी| पर अखबार नवीसों का प्रयास रहा , कम से कम वह राष्ट्रीय लगे | रांम – रावण युग में घटी सुर्पणखा की नाक की तरह यह घटना भी चर्चित हो |
पति ने नाक ही तो काटी थी | गर्दन तो नहीं | आज के समय ऐसी घटना आम बात है | पति ने सोचा होगा, दूसरे अंग काटने इ बेहतर है, नाक काट देना | नाक काटने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी होगी | नाक पर चाकू रखकर दबा दिया होगा | बस कट गयी नाक |
यूँ तो युगों से महिलाओं की ही नाक को काटा जाता रहा है | वे हमेशा से अपनी नाक बचाने के प्रयास में रही हैं |
पति ने नाक काटी थी | तो क्या हुआ ? वह उसका परमेश्वर है | धर्मज्ञानी कहते हैं , परमेश्वर का काम अपनों को हसना है भी है ,रुलाना भी | परमेश्वर स्वंम रूठ गए तो सताते भी है , सजा भी देते हैं | पति भी किसी बात पर रूठ गया होगा |
क्या पत्नी ने स्वयं को बेइज्जत महसूस किया होगा ? शायद नहीं | लक्ष्मण के द्वारा सूपर्णखा की नाक काटे जाने की तरह नहीं | जो रावण की तरह पड़ोसी रिश्तेदार भाई बंधुओं का खून खौल उठा हो | पत्नी सचमुच परमेश्वर की व्रता थी | उसने थाणे में रपट दर्ज कराने से मना किया था |
नामालूम अखबार वालों को क्या नया दिखा जो इस घटना को मुख्य पृष्ठ देदिया | दूसरा – तीसरा या चौथा पृष्ठ भी दिया जा सकता था | क्या वे भी पीट पत्रकारिता इ ग्रसित थे? या ख़बरों का आभाव था मुख्य पृष्ठ के लिए | जैसा की कुछ तथाकथित अखबार नाली में कीड़े , चौराहे की गन्दगी , या थाने के सामने चोरी या बलात्कार को राष्ट्रीय खबर की तरह छाप  देते हैं |
शायद यह सोचा हो उनहोंने | ह्त्या बलात्कार लूटपाट जैसी खबरों को आम आदमी पृष्ठों पर देखकर झट इ पन्ने पलट देता है | इस खबर को देखकर कुछ देर ठहरे |
पर वे यह नहीं सोच पाए कि यहाँ राष्ट्रीय मर्यादा की नाक रोजाना कट रही है | मसलन , सुरक्षा प्रदान करने वाली संसथाएँ भ्रष्टाचार का नंगा खेल खेल रही हैं |थाने  में बलात्कार , लूटमार मची है | गाँव में अबला को डायन बनाया जा रहा है | नंगा घुमाया जाता है | राष्ट्रीय सुरक्षा की गुप्त जानकारी चाँद नोटों के बदले बिक रही हैं | राष्ट्र के कर्णधार स्वयं कबूतरबाजी , देहव्यापार में लीं हैं | इन घटनाओं से तो महत्वपूर्ण नहीं थी उसकी पत्नी की नाक |
कितना व आसान वाक्य है नाक कतना | कई मामलों में साफ़ सुथरी सुन्दर आकार वाली नाक बिना जख्म व बिना लहू निकले कट जाती है | काश देश के साथ ऐसा ही होता |
मैं कुछ दिनों से एक चिकित्सालय का विज्ञापन देख रहा हूँ |’’ कटी नाक सस्ता इलाज |’’ फिर वाही ख़ुशी पाइये |’’ शुक्र है डाक्टरों का जिन्हें कम से कम लोगो की नाक की चिंता है \ वह भी सस्ते इलाज में |
  नाक का एक मसला यह भी है किकुछ लोग नाक होते हुए भी बिना नाक वाले होते हैं | जिनके लिए मान-मर्यादा , सम्मान खीसे में छेद जैसा होता है |वे अक्सर कहते हैं| आपकी तरह हमारी भी नाक है | आपको दिखाती या समझ में नहीं आती तो हम क्या करें | हो सकता है आपको मोतियाबिंद हो गया हो | या कुछ और खोट हो आँख में |’
पिछले दिनों पहले शहर में एक बाइकर्सगिरोह सक्रिय हुआ | लोगो की नाक पर हमला करता था | बेवकूफ पकड़ा भी गया | सचमुच बेवकूफ था गिरोह | ऐसे हमले से क्या मिला उसे ? पुलिस की लात ,जूते ,घूंसे व जेल |
अरे भाई काटना था तो जेब काटता, चैन स्नेचिंग करता | फायदे में रहता | पकड़ा भी जाता तो थाने  में आधा माल बांटकर फिर से धंधे में लग जाता | थाने  में मामला सेट हो जाए तो हर अपराधिक धंधे में छोट मिल जाती हैं |
बाइकर्स गिरोह को यह भी सोचना था कटी नाक का इलाज कराने वालों की भीड़ डाक्टर के द्वार पर नेताओं की रैली उपस्थित भीड़ की तरह बढी है | एक को बुलाते हैं चार पीड़ित आ खड़े होते हैं नाक बचाने की चिंता में |
तो क्या करें नाक का ? कटाने दें या कटाने से बचाएं ? आधुनिक जीवन शैली बचने दें तब न ? यहाँ तो हर पल कटाने का खतरा है | कभी औलाद से, परिजनों से कभी खुद की करनी-धरणी से | नाक को हाथ से ढककर भी नहीं रखा जज सकता | लोगों का शक गहराता है | अच्छा यही है कि जेब में नकली नाक लेकर चले | ताकि नाक कटती रहें तो हम पूरी बेशर्मी से उस पर नकली नाक दहकते रहें | आखिर नक्काल भी तो इज्जत पर चार् चाँद लगाते हैं | क्या कहते हैं?
               सुनील कुमार ‘’सजल’’