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रविवार, 5 अप्रैल 2015

लघुकथाएं


लघु कथा –साहस 

क्षेत्र में घटित हुई अपराधिक उपद्रवी घटनाओं के आधार पर सच्चे सबूतों सहित उसका एक लेख क्षेत्रीय प्रसिध्द अखबार में प्रकाशित हुआ |

 अगले दिन से ही उसे फोन पर धमकियां मिलने लगी- ‘’अबे वफादार कुत्ते आइन्दा हमारे खिलाफ अपनी कलम के सहारे भौंकने की जुर्रत नहीं करना ..वरना..इसका मतलब जानता है ...तेरा तीन वर्षीय मासूम बेटा हमारी पिस्तौल के निशाने पर होगा तेरी खूबसूरत पत्नी का कोमल जिस्म हमारी वासना की भूख का..? और तेरा जीवन आवारा कुत्ते से बदतर बना देंगे ...समझा ...|

फोन रखते ही वह अन्दर तक काँप गया |अगले दिन से वह कलम की निर्भीकता का चोला उतार फेंका |

   सुनील कुमार ‘सजल’

लघुकथा –कवितायें अब नहीं

उनकी कवितायें लम्बे अरसे से छोटी-बड़ी पत्र पत्रिकाओं में छपती आ रही थी | उच्च स्तरीय कविताओं के कारण वे अच्छे कवियों के श्रेणी में आ गए थे | लेकिन पिछले एक - दो माह पूर्व पत्नी के देहांत के उपरांत उनकी एक भी नई कविता कविता पढ़ने को नहीं मिली थी |

  एक दिन मैंने उनसे कहा- ‘’भूपेन्द्र जी क्या बात है ?आजकल आपने लिखना ही बंद कर दिया है ..माना कि भाभी जी असामायिक देहांत दुखद स्थिति है... पर उनकी स्मृति  को समर्पित करते हुए कुछ लिखा करें ताकि मन को शान्ति पहुंचेगी और और तबियत भी हल्की महसूस होगी |’’

 वे कुछ देर चुप रहे फिर बोले –‘’ दोस्त एक कड़वा सच कहें दरअसल अब तक जो भी कवितायें प्रकाशित हुई ...उन्हें उसने ही लिखा था | अब वह नहीं हैं.. तो कविताएं भी नहीं रहीं ....|’’

  उनके सच को सुनकर मैं आगे कुछ भी कने के काबिल नहीं रहा था |

  सुनील कुमार ‘’सजल’