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मंगलवार, 26 मई 2015

व्यंग्य- साध्वी या ब्यूटी क्वीन ?


व्यंग्य- साध्वी या ब्यूटी क्वीन ?

जी हाँ , वह साध्वी है | एक ख्याति प्राप्त आश्रम की साध्वी है | मैं उसमें उपस्थित साध्त्व का आदर करता हूँ | पर एक प्रश्न यह भी उठता है मेरे मन में बार-बार किवह  साध्वी होकर अपने सौन्दर्य पर क्यों सजग रहती हैं ? कहते हैं साधू हो या साध्वी इनका जीवन अत्यंत सात्विक व् साधारण होता है | मोहमाया से परे रहकर केवल ईश्वर भक्ति में लीं रहकर समाज का पथ प्रदर्शन करते हैं |
पर वह साध्वी? आधुनिक जीवन शैली , दिखावे के लिए तन पर गेरुआ वस्त्र कृत्रिम सौन्दर्य के प्रति इतनी सजगता किअभी-अभी ब्यूटी पार्लर से निकल कर आयी है | आधुनिकता का इतना आकर्षण कि आदमी देखता है तो देखता रह जाए | अदाएं भी इतनी मोहक की सज्जन की सज्जनता भी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाए | इतना सब कुछ होते हुए भी उसके प्रवचन प्रभावकारी होते हैं | पर लोगों की दृष्टि का क्या , वे तो प्रवचन से ज्यादा सौन्दर्य रूपा को निहारते हैं |
इन दिनों वे चर्चा में हैं ? क्यों हैं यह बताकर उनके साधुत्व पर हथौड़ा ठोंकना हमारा मकसद नहीं है |
   एक दिन हम उने मिले | प्रणाम किया तो उन्होंने स्वीकारा | हमारे मिलाने का कारण पूछा , हमने अपना मंतव्य स्पष्ट किया तो वे हमारे प्रश्न का उत्तर देने को सहर्ष तैयार हो गयी | कभी-कभी ‘’ प्रसिध्दी के लिए न चाहते भी तैयार होना पड़ता है , इन साधू-संतों को |हमने कहा-‘’ देवी श्री, हम जानते हैं कि एक साध्वी का जीवन सात्विक होता है , सादा जीवन , उच्च विचार के अनुकूल होता है | पर लोग कहते हैं आपकी जीवन शैली पूर्णत: आधुनिक है ? ‘’
‘’ मैं आपका मंतव्य समझी नहीं | फिर भी लोगो को मेरी जीवन शैली से क्या तकलीफ है |’’ उन्होंने कहा |
‘’ मेरा मतलब आप साध्वी हैं | आप भटके समाज की पथ प्रदसक हैं | मगर आप पूर्ण आधुनिक मेकअप के साथ प्रवचन को उपस्थित होती हैं ? ‘’ हमने कहा |
‘’ आपका मतलब?’’ उनका संदेह भरा प्रश्न |
 हमारा मतलब आप गृहस्थ या स्वच्छंद नारी हैं या किसी फिल्म की हिरोइन | जिन्हें अपने रूप निखार , आधनिक कास्मेटिक से सजाने की अधिक चिंता होती है | मेरा मतलब एक आधुनिक अपने सौन्दर्य को आकर्षण बनाने के लिए जो भी कर सकती है ,  कराती है , वही कुछ तुलनात्मक गुण आपमें भी दिखाई देते हैं ? ‘’ हमने प्रशन किया तो वे कुछ चिढ सी गयी |
‘’ आप असलियत में कहना क्या चाहते हैं ? आपके कलयुगी विचार हमारी समझ से परे हैं ? “”
“” जी मेरा मतलब आप साध्वी हैं या आधुनिक सौन्दर्य रूपा ?
‘’ क्या एक औरत श्रृंगार नहीं कर सकती ? यह उसका अधिकार नहीं ? ‘’ उन्होंने कहा |
‘’ क्या साध्वी को आधुनिक श्रृंगार शोभा देता है ? उसके कर्म के समक्ष तो आधुनिक सौन्दर्य भी पैर की धुल है पर आप ? ‘’ हमने कहा |
‘’ कर लेते हैं तो क्या बुरा करते हैं ?””
“” एक साध्वी के प्रत्येक शब्दों में जादुई सौन्दर्य होता है तो आधुनिकता की  चमक _ दमक दिखाने कि आवश्यकता क्यों है आप में ?’’ हमने कहा |
‘’ आप औरत के अधिकारों पर हमला कर रहें हैं | आप चाहते हैं हम साध्वी होकर प्राचीन मान्यताओं को अंगीकार कर जियें | साध्वी बनाकर मूल व्यक्तित्व खो दें | ‘’ उनके शब्दों में गजब कि तिलमिलाहट थी |
‘’ साध्वी जी नाराज न हों | आपको देखकर लगता है जैसे आप अपने प्रवचन की बजे रूप सौन्दर्य से बांधकर रखना चाहती हैं | क्या यह आपके सात्विक जीवन का तोड़ नहीं है | ‘’ हमने कहा तो वे पूरी तरह आक्रोश में आ गई |
  देखी आप हमारे निजी जीवन में दखल देने आए हैं या आशीर्वाद लेने | आप यहाँ से तुरंत छू हो जाइए | हमारे आश्रम सेवी और सुरक्षा बल ... तुम्हारी हड्डी-पसली .....|
   हम उअनके वाक्य पूरे होने से पूर्व खिसक लिए | हमारे मन में आज भी प्रश्न गूँज रहे हैं कि आज कि साध्वियां ( हर किसी के सम्बन्ध में क्षमा याचना सहित ) पश्चमी संस्कृति की शिकार हैं या सात्विकता ढोंग महज प्रसिध्दी का बाजार बनाना है ? क्या आप बता सकते हैं ?
                   सुनील कुमार ‘’सजल’’