लघुव्यंग्य - परिणाम
विगत तीन – चार वर्षों से स्कूल का बोर्ड परीक्षा परिणाम सामान्य से भी खराब आ रहा था |जिसके कारण संस्था प्रमुख व शिक्षकों को शासन व अधिकारियों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ रहा था | एक – दो शिक्षको की वेतन वृद्धियां भी रोक दी गयी थी |
इस पर प्राचार्य
जी ने स्टाफ मीटिंग ली| एक योजना पर अपने विचार रखे | ‘’ क्यों न , हम सभी
आपस में चन्दा करे और अपनी ओर से परीक्षा में आने वाले केन्द्राध्यक्ष व सहायक
केन्द्राध्यक्ष की जमकर खातिरदारी की जाए
| और थोड़ी बहुत उनकी जेब भी गरम कर दी जाए | और फिर नक़ल....| ईमानदारी का परिणाम
तो देखते आ रहे हो... |’’
सभी ने एकमत होकर हाँ में हाँ मिलाया |
बोर्ड परीक्षा संपन्न हुई | बोर्ड
परीक्षा परिणाम घोषित हुए | संस्था का परीक्षा परिणाम सौ प्रतिशत रहा | अभिभावक व् स्थानीय संस्थाओं ने प्रसन्नता
जाहिर किया | इस वर्ष शिक्षकों की विद्यार्थियों के प्रति की गयी
मेहनत को देखते हुए कई संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित भी किया |
शिक्षकगण परीक्षा परिणाम के साथ-साथ इस
बात के लिए खुश थे कि सम्मान में प्राप्त राशि उनके द्वारा की गयी चन्दा की राशि
से अधिक थी |