रविवार, 10 मई 2015

लघुव्यंग्य –करूं या नहीं



लघुव्यंग्य –करूं या नहीं
गाँवव आसपास सूखा पड़ने से मजदूरों का पलायन जारी था|खेती- बाड़ी व घर के काम निपटाने के लिये मजदूरों  का अभाव बना हुआ था | काफी प्रयास के बाद घर के पिछवाड़े का कचरा साफ़ करवाने के लिए उन्हें एक मजदूर उपलब्ध हो पाया |वह जैसे  –तैसे तैयार हुआ और अगली सुबह से काम पर आने की बात कहकर चला गया |
तीन दिन तक इंतज़ार करने के बाद जब वह चौथे दिन उनके घर में उपस्थित हुआ | वे उसे फटकार लगाते हुए बोले –‘’ आज आये हो .. बहुत इन्तजार करवाया ... बड़े भाव बढ़ गए हैं तुम लोगों के इन दिनों ....|’’
मजदूर ने भी उसी अंदाज में जवाब देते हुए कहा –‘’ साब , जब आप कर्मचारी लोग दफ्तर में एक दिन के काम को निपटाने में सप्ताह भर लगाते हैं ...तो मैं मजदूर ठहरा ..कम से कम तीन दिन बाद चला आया ... कही काम शुरू करूं या नहीं ....|’’
वे खामोश...काम हरु करने का इशारा करके रह गए |
             सुनील कुमार ‘’सजल ‘’

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