व्यंग्य – आप तो सुपरमैंन हैं साब
कौन कहता है आप दबंग नहीं है | आप तो सुपरमैन
हैं साब | आप ऐसे कारनामे करते हैं कि लोग दांतों तलेअंगुली दबा लेते हैं | आप
क्या नहीं कर सकते | मर्यादा को टाक पर रख सकते हैं मानवता का मर्डर भी कर सकते
हैं |
साब
आप ही तो हैं , जिनके सामने मानव समाज सर झुकाता है | क्यों न झुकाए | गाँव की
गरीब भोली भाली लड़कियों को अपने मोह जाल में ऐसे फंसाते हैं | अगर इस युग में
कृष्ण भगवान होते तो गोपियाँ उन्हें छोड़ आपके संग प्रेम लीला रचाना शुरू कर देती |
साब
आपने नारी उध्दार में जो काम किया है ,
उसे प्रदेश सदैव याद रखेगा |
समाजसेवा आपका धर्म है और कर्म भी | इउसी कर्मकांड के तहत आपने गाँव कि
कमसिन छोरियोंको रोजगार दिलाने के बहाने महानगरों, नगरों के कोठे तक पहुचाया |
आखिर कोठा भी व्यवसाय का क्रन्द्र है | इस बेरोजगारी के माहेल में आप जो कार्य कर
रहे हैं सदैव स्मरणीय रहेगा \ आपको इस महानता के लिए शत-शत नमन |
विधवा उद्धार में भी आप सदैव अग्रणी रहे हैं और
आज भी लगे हैं | आज आपके प्रम्जाल में फंसी सीधी- साडी कितनी ही विधवाएं आपकी रखैल
का जीवन जी रही हैं और उनकी संपत्ति आपके नाम |
यायुं कहे कि पति हमेशा परमेश्वर होता है | परमेश्वर के चरणों में अपना
सबकुछ अर्पण करने पर ही दासी के जीवन का उद्धार होता है | जिसने औरों के बहकावे
में आकर आपसे बगावत कि, आपने उन्हें ठिकाने लगाया | सीधे अर्थों में नरक का द्वार
दिखाया | जहां सबूत के नाम पर हड्डी-पसली भी नहीं मिली |
साब
आपने मनारेगा में अफसरों , सरपंच , सचिवों को पटाकर जो घोटाले कर दिखाया , उससे तो
सरकार तक को पसीना आ गया था | सड़क निर्माण में उचित सामग्री के स्थान पर सड़क से
सटे खेतों कि मिटटी डलवा दी थी आपने | मुर्दों को जाब कार्ड थमाकर साड़ी राशि इस
प्रकार डकारी कि उसकी आवाज तक नहीं आयी |
शासकीय भवनों के निर्माण में तो आप सीमेंट नाम के लिए काम में लाते हैं ,
ताकि पक्के की सनद बनी रहे | वाह! साब वाह! छूना लगाना कोई आपसे सीखे |
चुनाव वगैरह में फर्जी वोटिंग व् बूथ केप्चरिंग तो आपके लिए ताश के पत्ते
फेंटने जैसा खेल है |
साब
आप रईस हैं | लक्ष्मी आपके द्वार पहरा देती है पर आप बी.पी.एल. श्रेणी में आते हैं
| यूँ तो कई अधिकारियों ने आपको इ,पी.एल. श्रेणी में लाने का प्रयास किया पर उनकी
कलम लाल रेखा खीचने में काँप गयी |
नए
नवेले अफसर आपके रुतवे को शुरू में समझते नहीं | बाद में पछताकर आपके सामने हाथ
जोड़कर खड़े हो जाते हैं |
‘ साब, सूना है आप अपना प्राइवेट अस्पताल
खोलने जा रहे हैं | नेक इरादे के लिए धन्यवाद | आपके अस्पताल गरीबों के उद्धार का
सपना होगा पर परमोधर्म के तहत अमीरों का उद्धार अवस्य करेंगे | कारण नोट उन्हीं कि
जेब से निकलते हैं | गरीब लोग तो फटा थैला लेकर पहुँच जाते हैं | ज्यादा हुआ तो
हजार – दो हजार साथ में | इत्ते तो आपके अस्पताल में घुसते ही ठुक जायेंगे | और
दवाई, गोलियां? वह उनका बाप खरीदकर देगा उन्हें |
हाँ
यह अलग बात है कि आप गरीबों के हित में अपने अस्पताल में कुछ सरकारी योजनाओं को
लागू करवा लें ... पर वे सब हाथी के दांत ही रहेगीं | वैसे भी गरीब – गुरबा तो
अस्पताल में टंगी आपकी फोटो देखकर मरीज सहित चम्पत ही जाएंगे इसलिए उनका अस्पताल
में आने का व् उन्हें भगवाने का आपको ज़रा भी टेंशन नहीं रहेगा |
साब
आगे हम क्या कहें | अगर आपका चरित मानस लिखने बैठें तो रामचरित मानस कि मोटाई के
दर्जन मानस तैयार हो जाएंगे | उपरोक्त विशेषताएं तो हमने अनजान जनता को सनद रखने के लिए लिख मारी फिर आपकी जैसी
आज्ञा ,हम वैसा करने को तैयार हैं |
सुनील
कुमार ‘’सजल’’
आपका ब्लॉग हास्य-व्यंग्य श्रेणी में शामिल कर लिया गया है.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहित,
Sanjay Grover संजय ग्रोवर
http://samvadjunction.blogspot.in/
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जयंती - प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबाहुत आच्छा!
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