मंगलवार, 26 मई 2015

व्यंग्य – आप तो सुपरमैंन हैं साब


व्यंग्य – आप तो सुपरमैंन हैं साब

कौन कहता है आप दबंग नहीं है | आप तो सुपरमैन हैं साब | आप ऐसे कारनामे करते हैं कि लोग दांतों तलेअंगुली दबा लेते हैं | आप क्या नहीं कर सकते | मर्यादा को टाक पर रख सकते हैं मानवता का मर्डर भी कर सकते हैं |
  साब आप ही तो हैं , जिनके सामने मानव समाज सर झुकाता है | क्यों न झुकाए | गाँव की गरीब भोली भाली लड़कियों को अपने मोह जाल में ऐसे फंसाते हैं | अगर इस युग में कृष्ण भगवान होते तो गोपियाँ उन्हें छोड़ आपके संग प्रेम लीला रचाना शुरू कर देती |
  साब आपने नारी उध्दार में जो काम किया है ,  उसे प्रदेश सदैव याद रखेगा |
  समाजसेवा आपका धर्म है और कर्म भी | इउसी कर्मकांड के तहत आपने गाँव कि कमसिन छोरियोंको रोजगार दिलाने के बहाने महानगरों, नगरों के कोठे तक पहुचाया | आखिर कोठा भी व्यवसाय का क्रन्द्र है | इस बेरोजगारी के माहेल में आप जो कार्य कर रहे हैं सदैव स्मरणीय रहेगा \ आपको इस महानता के लिए शत-शत नमन |
 विधवा उद्धार में भी आप सदैव अग्रणी रहे हैं और आज भी लगे हैं | आज आपके प्रम्जाल में फंसी सीधी- साडी कितनी ही विधवाएं आपकी रखैल का जीवन जी रही हैं और उनकी संपत्ति आपके नाम |
  यायुं कहे कि पति हमेशा परमेश्वर होता है | परमेश्वर के चरणों में अपना सबकुछ अर्पण करने पर ही दासी के जीवन का उद्धार होता है | जिसने औरों के बहकावे में आकर आपसे बगावत कि, आपने उन्हें ठिकाने लगाया | सीधे अर्थों में नरक का द्वार दिखाया | जहां सबूत के नाम पर हड्डी-पसली भी नहीं मिली |
  साब आपने मनारेगा में अफसरों , सरपंच , सचिवों को पटाकर जो घोटाले कर दिखाया , उससे तो सरकार तक को पसीना आ गया था | सड़क निर्माण में उचित सामग्री के स्थान पर सड़क से सटे खेतों कि मिटटी डलवा दी थी आपने | मुर्दों को जाब कार्ड थमाकर साड़ी राशि इस प्रकार डकारी कि उसकी आवाज तक नहीं आयी |
     शासकीय भवनों के निर्माण में तो आप सीमेंट नाम के लिए काम में लाते हैं , ताकि पक्के की सनद बनी रहे | वाह! साब वाह! छूना लगाना  कोई आपसे सीखे |
   चुनाव वगैरह में फर्जी वोटिंग व् बूथ केप्चरिंग तो आपके लिए ताश के पत्ते फेंटने जैसा खेल है |
  साब आप रईस हैं | लक्ष्मी आपके द्वार पहरा देती है पर आप बी.पी.एल. श्रेणी में आते हैं | यूँ तो कई अधिकारियों ने आपको इ,पी.एल. श्रेणी में लाने का प्रयास किया पर उनकी कलम लाल रेखा खीचने में काँप गयी |

 नए नवेले अफसर आपके रुतवे को शुरू में समझते नहीं | बाद में पछताकर आपके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं |
‘ साब, सूना है आप अपना प्राइवेट अस्पताल खोलने जा रहे हैं | नेक इरादे के लिए धन्यवाद | आपके अस्पताल गरीबों के उद्धार का सपना होगा पर परमोधर्म के तहत अमीरों का उद्धार अवस्य करेंगे | कारण नोट उन्हीं कि जेब से निकलते हैं | गरीब लोग तो फटा थैला लेकर पहुँच जाते हैं | ज्यादा हुआ तो हजार – दो हजार साथ में | इत्ते तो आपके अस्पताल में घुसते ही ठुक जायेंगे | और दवाई, गोलियां? वह उनका बाप खरीदकर देगा उन्हें |
  हाँ यह अलग बात है कि आप गरीबों के हित में अपने अस्पताल में कुछ सरकारी योजनाओं को लागू करवा लें ... पर वे सब हाथी के दांत ही रहेगीं | वैसे भी गरीब – गुरबा तो अस्पताल में टंगी आपकी फोटो देखकर मरीज सहित चम्पत ही जाएंगे इसलिए उनका अस्पताल में आने का व् उन्हें भगवाने का आपको ज़रा भी टेंशन नहीं रहेगा |
 साब आगे हम क्या कहें | अगर आपका चरित मानस लिखने बैठें तो रामचरित मानस कि मोटाई के दर्जन मानस तैयार हो जाएंगे | उपरोक्त विशेषताएं तो हमने अनजान जनता  को सनद रखने के लिए लिख मारी फिर आपकी जैसी आज्ञा ,हम वैसा करने को तैयार हैं |
          सुनील कुमार ‘’सजल’’

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपका ब्लॉग हास्य-व्यंग्य श्रेणी में शामिल कर लिया गया है.
    शुभकामनाओं सहित,
    Sanjay Grover संजय ग्रोवर

    http://samvadjunction.blogspot.in/

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जयंती - प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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