लघुव्यंग्य –अनुकरण
स्कूल की मार्निंग शिफ्ट थी | संस्था का एक मात्र चपरासी रामू आज सुबह से
ही अपने हलक में शराब उड़ेल कर लड़खडाता हुआ संस्था में उपस्थित हुआ |प्राचार्य जी
ने देखा तो गुस्से में तमतमा उठे | वे उस पर बरसते हुए बोले –‘’ नालायक , कल तो तू
राशन खरीदने के लिए मुझसे सौ रुपया मांग रहा था और आज सुबह से दारू के लिए पैसे
कहाँ से मांग लाया |
‘’साब ! कल शाम, मेरे घरमें आपने पीते हुए बोतल में जो छोड़ दी थी, उसे पीकर
आया हूं |’’ रामू ने लडखडाते स्वर में प्रत्युत्तर दिया |
प्राचार्य जी तुरंत उसे वहीँ छोड़ कर अपने कक्ष की ओर बढ़ गए |
सुनील कुमार ‘’सजल’
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