लघुव्यंग्य - आदेश
लघुव्यंग्य - आदेश
सरदार के सामने वे तीनो सर झुकाए खड़े थे
|| सरदार ने एक-एक के चहरे पर नजर दौडाते हुए कड़क आवाज में प्रश्न किया – ‘’ आज
कितनों को लुढ़काकर आए हो |’’
‘’सरदार आठ को |’
‘’क्यों? मैंने तुम्हें तेरह के लिए कहा
था न बेवकूफों |’’
‘’ उनमें से पांच तो वैसे भी गंभीर बीमारी
से ग्रस्त होने के कारण मरने योग्य हैं सरदार ....आखिर उनको मारने से फ़ायदा क्या है |’’
‘’ अरे हरामजादों |’’ सरदार चीखा –‘’ आतंक
फैलाने के लिए बीमार व चुस्तों के बीच विभाजन नहीं किया जाता कुत्तों ... अभी जाओ
उन्हें भी लुढ़काकर आओ ...वरना उनकी किस्मत की गोली में तुम लोग होगे ....|’’
वे तीनो बिना देरी किये झटपट हथियार उठाकर
किसी पालतू कुत्ते को मिले ‘’आदेश’ की तरह चल पड़े उन लोगों की झोपड़ियों की ओर....|
सुनील कुमार ‘’सजल’’
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