लघु कथा - सोच
" रमेश सुना है ,आजकल तुम गरीब बस्ती बहुत दिख रहे हो । धनाढय पिता का प्रश्न ।
"हाँ ,मैं गरीबों की मदद करने जाता हूँ ।उन्हें मुफ्त शिक्षा दे रहा हूँ ।"
" क्या मुफ्त शिक्षा ?"पिता आश्चर्य से। "नालायक मैंने इसी काम के लिए तुझ पर लाखों रुपये खर्च कर डिग्रियां दिलाया । अपनी चिंता कर ।कोई विशाल कान्वेंट स्कूल खोल जहां लाखो रुपये हाथ आएंगे । उन गरीबों की चिंता सरकार करे ।उसकी जिम्मेदारी है । समझा । "
" रमेश सुना है ,आजकल तुम गरीब बस्ती बहुत दिख रहे हो । धनाढय पिता का प्रश्न ।
"हाँ ,मैं गरीबों की मदद करने जाता हूँ ।उन्हें मुफ्त शिक्षा दे रहा हूँ ।"
" क्या मुफ्त शिक्षा ?"पिता आश्चर्य से। "नालायक मैंने इसी काम के लिए तुझ पर लाखों रुपये खर्च कर डिग्रियां दिलाया । अपनी चिंता कर ।कोई विशाल कान्वेंट स्कूल खोल जहां लाखो रुपये हाथ आएंगे । उन गरीबों की चिंता सरकार करे ।उसकी जिम्मेदारी है । समझा । "
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