लघु व्यंग्य -अंकुश
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के एक समूह ने अपनी अधीक्षिका के खिलाफ विद्रोह कर दिया ।वे शिकायत हेतु उच्च अधिकारी के पास पहुंची ।उनकी अधीक्षिका उन पर अंकुश पर अंकुश लगाती हैं ।पीना-खाना, मौज-मस्ती,, घूमने -फिरने और लड़कों के संग दोस्ती पर अंगुलियां उठाती हैं । आखिर वे वयस्क हो गयी हैं ।समझदारी उनमें भी आ चुकी है फिर तरह तरह के अंकुश क्यों .....?"
गंभीरता से उनकी बातें सुनते अधिकारी की नजरें पूरी समझदारी के साथ उनके आकर्षक बदन पर घूमने लगी थीं ।
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के एक समूह ने अपनी अधीक्षिका के खिलाफ विद्रोह कर दिया ।वे शिकायत हेतु उच्च अधिकारी के पास पहुंची ।उनकी अधीक्षिका उन पर अंकुश पर अंकुश लगाती हैं ।पीना-खाना, मौज-मस्ती,, घूमने -फिरने और लड़कों के संग दोस्ती पर अंगुलियां उठाती हैं । आखिर वे वयस्क हो गयी हैं ।समझदारी उनमें भी आ चुकी है फिर तरह तरह के अंकुश क्यों .....?"
गंभीरता से उनकी बातें सुनते अधिकारी की नजरें पूरी समझदारी के साथ उनके आकर्षक बदन पर घूमने लगी थीं ।