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बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

लघुकथा -जवाब

लघु कथा - जवाब
शहर के फ़्लैट में ब्लू फिल्म बनाये जाने की सूचना मिली ।पुलिस ने छापामार कर एक लड़की व दो लड़कों को संदिग्ध हालात सहित फिल्मांकन करने वाली पूरी टीम को गिरफ्तार किया ।
थाने में ।
"क्यों री, तुझे शर्म नहीं आती इन आवारा लड़कों के साथ अपनी शर्मो-हया बेचकर नंगी फिल्म बनाते हुए ।" थानेदार की कड़क आवाज के साथ पूछताछ ।
"काहे की शर्म साब ।शर्म ढकने लिए भी  धन चाहिए । इस धंधे में कम से कम  मोटी रकम मिलती है और चंद लोगों के सामने ही शर्म की डोर खुलती है ।मगर जमाने के सामने साक्षात में शर्म ढकी रहती है । जिस शर्म पर ज़माना युगों से अंगुली उठाता आया है ..।
 उसके एक जवाब पर पुलिस स्टाफ एक -दूसरे का  मुंह देखता नजर आ रहा था ।

रविवार, 11 फ़रवरी 2018

लघुकथा -संतुष्ट सोच

लघुकथा - संतुष्ट सोच 
नगर के करीब ही सड़क से सटे पेड़ पर एक व्यक्ति की लटकती लाश मिली । देखने वालों की भीड़ लग गयी ।लोगों की जुबान पर तर्कों का सिलसिला शुरू हो गया ।
किसी ने कहा-"लगता है साला प्यार- व्यार  के चक्कर में लटक गया ।"
"मुझे तो गरीब दिखता है ।आर्थिक परेशानी के चलते....।" 
"किसी ने मारकर  लटका दिया ,लगता है ।"
"अरे यार कहाँ की बकवास में लगे हो ।किसान होगा ।कर्ज के बोझ से परेशान होकर लगा लिया फांसी ..।अखबारों में नहीं पढते क्या ...आजकल यही लोग ज्यादातर आत्महत्या कर रहे हैं ।"
भीड़ में खड़े एक शख्स ने एक ही तर्क से सबको संतुष्ट कर दिया ।
-सुनील कुमार "सजल"

बुधवार, 24 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य - अंकुश

लघु व्यंग्य -अंकुश
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के एक समूह ने अपनी अधीक्षिका के खिलाफ विद्रोह कर दिया ।वे शिकायत हेतु उच्च अधिकारी के पास पहुंची ।उनकी अधीक्षिका उन  पर अंकुश पर अंकुश लगाती हैं ।पीना-खाना, मौज-मस्ती,, घूमने -फिरने और लड़कों के संग दोस्ती पर अंगुलियां उठाती हैं । आखिर वे वयस्क हो गयी हैं ।समझदारी उनमें भी आ चुकी है फिर तरह तरह के अंकुश क्यों .....?"
    गंभीरता से उनकी बातें  सुनते अधिकारी की नजरें पूरी समझदारी के साथ उनके  आकर्षक बदन पर घूमने लगी थीं ।