लघुव्यंग्य
– दर्शन
वे
प्रतिदिन मंदिर में देवी-दर्शन के लिए जाते , लेकिन ‘’ देवी-दर्शन’ के बहाने वहां
आने वाली महिलाओं के दर्शन में ज्यादा रुचि दिखाते |
अक्सर
उनके साथ रहने वाले एक मित्र ने एक दिन उनकी इस हरकत पर अंगुली उठाते हुए कहा-‘
क्यों भाई मैं अक्सर देखता हूँ कि तुम मंदिर में देवी-दर्शन के बहाने महिलाओं को
घूरते रहते हो .. क्या यह अच्छी बात है .. इससे तुम्हारी अध्यात्मिक भावना भंग
नहीं होती ...|’’
उन्होंने
अपनी चोरी पकडाते हुए देख कर अपने जवाब में वजन लाने के प्रयास से कहा – ‘’ क्या महिलायें ‘’ देवी’’ का रूप नहीं
हैं ?अगर उनमें देवी रूप सौन्दर्य का दर्शन कर आत्मिक शान्ति पाटा हूँ तो क्या
बुरा करता हूँ |’’
सुनील
कुमार ‘सजल’’