गुरुवार, 15 सितंबर 2016

लघुव्यंग्य – दर्शन

लघुव्यंग्य – दर्शन

वे प्रतिदिन मंदिर में देवी-दर्शन के लिए जाते , लेकिन ‘’ देवी-दर्शन’ के बहाने वहां आने वाली महिलाओं के दर्शन में ज्यादा रुचि दिखाते |
अक्सर उनके साथ रहने वाले एक मित्र ने एक दिन उनकी इस हरकत पर अंगुली उठाते हुए कहा-‘ क्यों भाई मैं अक्सर देखता हूँ कि तुम मंदिर में देवी-दर्शन के बहाने महिलाओं को घूरते रहते हो .. क्या यह अच्छी बात है .. इससे तुम्हारी अध्यात्मिक भावना भंग नहीं होती ...|’’
उन्होंने अपनी चोरी पकडाते हुए देख कर अपने जवाब में वजन लाने के प्रयास से  कहा – ‘’ क्या महिलायें ‘’ देवी’’ का रूप नहीं हैं ?अगर उनमें देवी रूप सौन्दर्य का दर्शन कर आत्मिक शान्ति पाटा हूँ तो क्या बुरा करता हूँ |’’

सुनील कुमार ‘सजल’’

  

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