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मंगलवार, 16 मई 2017

समय की बात – हां !आज

समय की बात – हां !आज
उनका स्वभाव था | अगर वे किसी परिवार में खाने के समय पर पहुंचते  और उनसे खाने के लिए कहा जाता तो न कर देते |एक बार वे अप[आने मित्र के यहाँ किसी काम से पहुंचे थे  परिवार के लिए भोजन का वक्त था | मित्र की पत्नी ने सोचा ,’’ चलो शर्मा जी को भी खाने को कह दिया जाए | वे तो वैसे भी मना कर देते हैं | दो शब्द बोलने में क्या हर्ज है |
   परन्तु आज जाने कैसे शर्मा जी ने हां में सर हिलाते हुए बोले – ‘’ आज तो खा लूंगा घर में मिट्टी का तेल ख़त्म हो जाने के कारण खाना नहीं पका सका |’’
शर्मा जी की हां पर पत्नी का माथा ठनका बुदबुदाते हुई बोली ‘’ आज फिर खाना पकाना पडेगा |’’
                  सुनील कुमार ‘’सजल’’
       

शुक्रवार, 12 मई 2017

समय की बात

           समय की बात
आदमी एटीएम , बैंक काउंटर , अधिकारी के शिकायत कक्ष , माता के दरबार में कतार में खडा बड़ा  शालीन व सभ्य  नजर आता है ,मगर भंडारा , मिटटी के तेल हेतु मार्केटिंग सोसायटी के सेल काउंटर में , मंगल कार्यक्रम के प्रीतिभोज में .....हा ..हा..हा.. हा .....?

                  सुनील कुमार ‘’सजल’’

गुरुवार, 11 मई 2017

समय की बात – महंगाई भत्ता

समय की बात महंगाई भत्ता
 इधर सरकार ने महंगाई भत्ता बढाया | सुनकर खबर मकान मालिक किरायेदार के पास आया | बोला- भाई जी , मकान किराये में मैं पांच प्रतिशत की वृद्धि करने जा रहा हूँ |’
‘’ लेकिन भाईसाब मकान किराया बढाए आठ महीने भी नहीं  हुए और आप फिर...|’’
‘’ सरकार आपका महंगाई भत्ता महंगाई वृद्धि दर अनुसार ही तो बढ़ाती हैं न .. अभी आपका महंगाई भत्ता सात प्रतिशत बढ़ा तो मैं पांच प्रतिशत की वृद्धि कर कौन सा बुरा कर रहा हूँ ...|’’
किरायादार प्रश्नवत...मूक दृष्टि ....!
            सुनील कुमार ‘’सजल’’

मंगलवार, 9 मई 2017

समय की बात – कुत्ते की मौत ...काश !

समय की बात कुत्ते की मौत ...काश !
पिछले दिनों सड़क किनारे खडी एक कुतिया किसी बड़े वाहन के चपेट में आ गयी | वहीँ उसका दम टूट गया | दूर कहीं खेल रहे उसके पिल्लै भी उस तक आ गए | उसके स्तन से लग कर दूध पीने लगे |दृश्य बड़ा दर्दनाक था | उसी समय उसे देखकर दो-तीन जवान कुत्ते भी आ गए |
एक ने कहा- ‘’ इसे कहते हैं कुत्ते की मौत ...| कुतिया तो दम तोड़ दी | पिल्लै अब स्तन चूसने में लगे हैं | इतने मानव लोग देखकर  गुजर रहे ...मगर देखकर ही बोल बतिया लेते हैं .. है कोई उनके मासूम पिल्लों के लिए चर्चा तक नहीं किया | काश यह किसी इंसान के साथ बीतता तो ...| चार लोग दौड़ जाते .. अस्पताल पहुचाते ... बच्चे को पुलिस या उसके रिश्तेदार को सौपतें ....|
‘’ मगर यह तो पड़ोस के एक घर में रहती पलती थी ...| दूसरे ने बीच में बोला  |
‘’ साला वह भी  दो तीन लोगों के साथ आया देखा ..और उसके बहते खून को देखकर थूककर चला गया |’’
‘’ साला .. अपने स्वार्थ व   वफादारी की उम्मीद तक ही इससे रिश्ता बनाकर रखा था | कुत्ता साला ...|’’
‘’ अबे उसे कुत्ता कौन कहेगा .. कुत्ते तो हम हैं जो ज़रा सा जूठन खाने को मिला नहीं कि खिलाने वालों के आगे दम हिलाने लगते हैं ... सुधर जाओ कुत्तों वरना इस कुतिया से बदतर मौत के साथ इस दुनिया से जाओगे ....| पहले ने अकड़कर जोर से भौकते हुए कहा |
                  सुनील कुमार ‘’सजल’’