लघुकथा -मुआवजा
पडोसी गरीब शेखू संतान पक्ष कोलेकर काफी दुखी है । पिछले ही माह उसका इकलौता बेटा बस दुर्घटना में मारा गया । अब बची है इकलौती बेटी शांति ,जो ससुराल में 'दहेज़' के लिए प्रताड़ित की जा रही है ।
शेखू को सरकार की ओर से मृत बेटे का मुआवजा मिलने वाला है मगर हो रही देरी से वह परेशान हो उठा है । मुआवजा पाने की लालसा में शेखू की बेचैनी देखकर क्रोधित होती पत्नी ने कहा -'' तुम भी कितने निर्दयी हो.…इधर बेटा मर गया ,उसका ज़रा भी गम नहीं मुआवजा राशि घोषित होते ही दफ्तर के चक्कर काटने लगे । कैसे बाप हो तुम ? बेटे से ज्यादा पैसों प्यार… । ''
'' सुमिता , तुम मुझे गलत समझ रही हो । '' कहते हुए उसकी आँखों से आंसू छलक उठे ,''मैं ससुराल में सताई जा रही बिटिया की जिंदगीं बचाने के लिए परेशान हूँ ताकि इसी मुआवजे से उसकी दहेज़ की पूर्ति कर सकूँ । बेटे को तो बस ने दुनिया दूर कर दिया। ........ और अब ससुराल वाले बिटिया को भी। .... । '' कहते हुए वह फफककर रो पड़ा ।
पति का मंतव्य सुनते ही पत्नी सन्न भाव से उसकी ओर देखती रह गई ।
सुनील कुमार '' 'सजल'
पडोसी गरीब शेखू संतान पक्ष कोलेकर काफी दुखी है । पिछले ही माह उसका इकलौता बेटा बस दुर्घटना में मारा गया । अब बची है इकलौती बेटी शांति ,जो ससुराल में 'दहेज़' के लिए प्रताड़ित की जा रही है ।
शेखू को सरकार की ओर से मृत बेटे का मुआवजा मिलने वाला है मगर हो रही देरी से वह परेशान हो उठा है । मुआवजा पाने की लालसा में शेखू की बेचैनी देखकर क्रोधित होती पत्नी ने कहा -'' तुम भी कितने निर्दयी हो.…इधर बेटा मर गया ,उसका ज़रा भी गम नहीं मुआवजा राशि घोषित होते ही दफ्तर के चक्कर काटने लगे । कैसे बाप हो तुम ? बेटे से ज्यादा पैसों प्यार… । ''
'' सुमिता , तुम मुझे गलत समझ रही हो । '' कहते हुए उसकी आँखों से आंसू छलक उठे ,''मैं ससुराल में सताई जा रही बिटिया की जिंदगीं बचाने के लिए परेशान हूँ ताकि इसी मुआवजे से उसकी दहेज़ की पूर्ति कर सकूँ । बेटे को तो बस ने दुनिया दूर कर दिया। ........ और अब ससुराल वाले बिटिया को भी। .... । '' कहते हुए वह फफककर रो पड़ा ।
पति का मंतव्य सुनते ही पत्नी सन्न भाव से उसकी ओर देखती रह गई ।
सुनील कुमार '' 'सजल'
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