सोमवार, 4 मई 2015

लघुव्यंग्य -मुखौटा

लघुव्यंग्य -मुखौटा
'' तुम जिस संत की पूजा करते थे वह तो पुलिस हिरासत में पहुंच गया । वह भी अपनी शिष्या के साथ बलात्कार  आरोप में । ''
''जो हुआ अच्छा हुआ , मैं उसकी शक्ल  नहीं ,उसकी शिक्षा  की पूजा करता हूँ ....जिसने मेरे  जीवन को लायक बना दिया । एक बात और सुनो.... आदमी के चेहरे पर कई मुखौटे   हैं , मगर शिक्षा के नहीं .... ।

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