शनिवार, 18 जुलाई 2015

लघुकथा – डर


लघुकथा – डर

‘तुम तो स्कूली दौड़ प्रतियोगिता में राज्य स्तर के लिए चयनित हो गए थे , फिर भी वहां भाग लेने नहीं गए ?’’ रोमेश के मित्र ने उससे पूछा तो वह बोला- ‘’ क्या करता मजबूरी थी|’’
‘’मजबूरी ? कैसी मजबूरी ? पैसे की कमी थी क्या ?’’ मित्र ने प्रश्न पर प्रश्न दोहराया |
 ‘’ नहीं , वो अपने वर्मा सर हैं न , उन्होंने मुझे अकेले में बुलाकर चेतावनी दी थी कि तुम प्रतियोगिता में भाग लेने का इरादा छोड़ दो अगर बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षा में अच्छे अंक चाहिए तो वरना....|’’
‘’ मगर तुम्हारे सर ने तुम्हें इस तरह धमकाया क्यों ?’’
 ‘’ उनके पुत्र ने स्थानीय प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया था | मेरे हटाने से उसका सलेक्शन निश्चित था | सर के लिए उसका सलेक्शन जरुरी था तो मेरे लिए बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होना |’’
‘’ अरे तुम सर की इतनी सी धमकी से डर गए |’’
‘’ डरना जरुरी था क्योंकि भविष्य में मुझे अच्छे कालेज में एडमिशन लेकर आगे बढ़ना है | मेहनत  करके दौड़ में स्थान तो मैं कालेज में भी बना सकता हूँ मगर बोर्ड परीक्षा में अंक .....!’’’
मित्र चुप था |
सुनील कुमार ''सजल'' 

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