रविवार, 26 जुलाई 2015

लघुकथा –आदत


लघुकथा –आदत

रोज शाम को दफ्तर से घर लौटते वक्त वह शराब पीकर आता और अपने इकलौते तीन वर्षीय पुत्र व पत्नी पर जुल्म का अपना रुतवा दिखाकर उन्हें एक कोने से दूसरे कोने तक फुटवाल की तरह उछालता पर नशा उतरता तो अपने किए पर बहुत पछताता |
  इस तरह के क्रम में महीनों गुजर गए | एक दिन उसे जाने क्या हुआ ,उस शाम वह पीकर तो आया मगर बिलकुल शांत रहा | रात्री में भोजन करके बिना उपद्रव मचाए बिस्तर पर गहरी नींद में बेटे के बगल में चुपचाप लेट गया | रोजाना के उसके व्यवहार से अभ्यस्त पत्नी को आज उसका व्यवहार बहुत अटपटा सा लगा| जब उससे से रहा न गया तो उसने पूछ ही लिया ‘’ क्यों जी , क्या बात है बिलकुल शांत हो ....कहीं कुछ हो गया क्या ?...बताओ तो किस बात का तनाव है ?’’
‘’कुछ भी तो नहीं ...!पत्नी को बाहों में लेते हुए उसने कहा, तुम इतनी परेशान क्यों हो रही हो ?’’
‘’क्यों न होऊँ ,रोजाना के व्यवहार और आज के व्यवहार में अंतर देखकर ?’’
‘’ तो क्या मेरा इस तरह सुधर जाना तुम्हें अच्छा नहीं लगा ?’’
‘’ अच्छा तो लगा पर इस तरह तुम्हारा शांत भाव भी चुभता है |’’
‘’क्यों?’
‘’ तुम्हारे झगड़े , मारपीट को सहते-सहते ऐसी परिस्थिति में रहने की आदत सी बन गई है | अब आपका यकायक परिवर्तित होना हमारी आदत को बदलने में वक्त तो लगेगा न ! इस तरह की शान्ति .....!’’
  पत्नी के तर्क से अचंभित पति कुछ भी सोच नहीं पा रहा था ...|
   सुनील कुमार ‘’सजल’’ 

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