लघुव्यंग्य - पानी और ....?
जिले की स्वच्छता
अभियान से जुडी एक अधिकारी महोदया
सुबह-सुबह एक गाँव की तरफ अपनी गाडी में सवार होकर भ्रमण को निकली | देखा पूरा गाँव शौच के लिए मैदान की
तरफ बढ़ रहा है | उन्होंने एक शौच जाते व्यक्ति को रोका |कहा- ‘’क्यों मिस्टर..! क्या घर में टायलेट
नहीं है ? पंचायत सचिव ने निर्माण नहीं
कराया ?’’ मैडम ने एक साथ चार छ: सवाल दाग दिए |
‘’ मेडम
जी काहे नाराज हो रही हो |सचिव साहब ने सब-कुछ बनवाया है हमारे घर में ....|’’
‘’ फिर
उनका इस्तेमाल क्यों नहीं करते ...|मैदान में जाते हुए शर्म नहीं आती ..|
‘’ आती
तो हो मैडम पर करें का ,,,...|’’
‘’करें
का मतलब...?क्या कहना चाहते हो ...?’’
‘’सचिव
साब को एक आदेश और दे देती ...|किस बात का आदेश...|
‘’गाँव
के हर एक परिवार के इस्तेमाल के लिए रोजाना दस-बीस बाल्टी पानी की व्यवस्था और कर
देते ...|
‘’अब
टायलेट बनवाने के बाद पानी की व्यवस्था वही करे ... क्या बेवकूफ जैसी बात करते हो
...|’’
‘’ बेवकूफ
हम नहीं ...प्रशासन है मैडम जी .. जहां
पीने के पानी के लिए लोग तीन-चार किलोमीटर
दूर जा रहे उन्हें टायलेट में फ्रेश होने की सलाह दी जा रही ...| आप ही बताइये का
हम रोज उसमे यूँ ही बैठ के आ जाया करेंगे ...|’’
मैडम की
गाड़ी तेजी से आगे बढ़ गयी |
सुनील कुमार ‘’सजल’’
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