एक बकवास व्यंग्य – सलाह
हमारे पड़ोस के मस्तराम जी हमेशा दारू के नशे
में मस्त रहते हैं | मगर मजाल है कि वे बहक जाएं | कभी किसी को अनाप -शनाप नहीं
बोलते | छोटे –बड़े सभी उनके लिए आदर के पात्र हैं | वैसे वे एक अच्छे सलाहकार के
रूप में पहचाने जाते हैं |मगर चंद जानकार लोंगो के बीच में | नादान पड़ोसी उनका मजाक उड़ाने से नहीं चूकते | वे कहते
हैं –‘’ शराबी के मुख से क्या निकलेगी शराब की बदबू |’’
पर ऎसी बात नहीं है , मस्तराम जी दीन-
दुखियों की भी खबर रहते हैं | कोई पूछ ले उनसे , कहाँ घोटाला हुआ और सरकार का अगला
रुख क्या होगा | मस्त्रक्म जी हाजिर जवाब मिलेंगे |
एक शाम मस्तराम के पास सलाह लेने पहुंचे बबुआ
ने उनसे कहा-‘’ कक्का हम और कब तक बाप की छाती पर हाथी बनाकर बैठे रहेंगे | कोई
नेक सलाह दो तो रोजगार वगैरह का आसरा बने |’
मस्तराम जी दारू की तीखी डकार लेते हुए
बोले-‘ हमारे दिमाग में तुम्हारे लिए बेहतरीन रोजगार का फार्मूला है | कहो करोगे न
|’
‘’ अगर आपकी सलाह है तो हम जरूर करेंगे कक्का
|’ बबुआ ने हाथ जोड़कर कहा |
‘’देखो अगर तुमने हमारी सलाह मानकर रोजगार
अपनाया , तो समझे तुम भी अरबपतियों की लिस्ट में छपे नजर आओगे |’’
‘’ कक्का हमें इतना बड़ा आदमी नहीं बनाना है |
हम तो चाहते हैं पेट भर रोटी मिल जाए और घर-गृहस्थी बस जाए | इसके बाद अगर बचत
होगी तो कुछ और सोचेंगे |’
‘’हाँ तो ठीक .... एक सलाह काम करो | शरमाना नहीं... हम जो रोजगार बता रहे
हैं उसे कृते है | बात कान खोलकर सुन लो ... धंधे में अगर शर्म ओढ़कर बैठे तो
समझो करम फूटे |’’
मस्तराम जी ने कहा |
‘’ अब कक्का तुम्हारी सलाह है तो हम बिलकुल
नहीं शरमायेंगे | चाहे कुछ भी काम हो बस चार पैसा जेब आना चाहिए |’ बबुआ थोड़ा जोश
में आकर बोला |
‘’ हाँ टॉप सुनो ... आजकल सेक्स पॉवर बढाने
वाली दवाईयां की खूब मांग है | तुम भी बनाकर बेचो |’’
‘’ये तुम क्या कह रहे हो कक्का |’’बबुआ कुछ
सिटपिटाते हुए बोला- ‘’ लोग का कहेंगे |’’
‘’ अरे मूर्ख तुझे क्या मालूम... आज के समय
में जीतनी कैंसर व ब्लड प्रेशर नामक रोगों की दवा नहीं बिक रही भारतीय मुद्रा में
उससे कहीं ज्यादा सेक्स पॉवर वाली दवाएं बिक रही हैं | समझा |’’ मस्तराम जी भौहें
तानकर बोले |
‘’ अगर किसी अधिकारी ने पकड़ लिया तो |’ बबुआ
बोला |
‘’ का सड़क किनारे ये दवाएं नहीं बिक रही ? जो
तुम जैसे नंगे को पकड़ेगें ...| अगर पकड़ें भी गए तो आधी दवाई मुफ्त उन्हें दे देना
|’’
‘’ पर बनायेंगे कैसे ?
‘’ अब ये भी हम ही से पूछोगे तो सुन लो ....
हल्दी , काली मिर्च तीन प्रकार के मेवा और
कुछ जड़ी-बूटी जो तुम जानते हो .... सबको मिलाकर बारीक पीस लो और पैकेट में भरकर
आयुर्वेदिक के नाम से बेचो | मूल्य पहले ज्यादा बताना .... जब लोग कम में मांगे तो
पहले न करना फिर दे देना |’’ मस्तराम जी ने सलाह भरे अंदाज में कहा |
‘’ कक्का कोई और दवा बताओ | इस दवा को बेचने
में हमें शर्म आती है |’’ बबुआ बोला |
‘’ खाने वाले को शर्म नहीं आती तुझको बेचने
में काहे शर्म आती है .... चल फूट .... निकम्मा कहीं का |’’ बबुआ ने वहां से
खिसकने में ही खैरियत समझी |
अगले दिन पडोसी गाँव के ही रम्मूलाल जी,
मस्तराम जी से सलाह मांग रहे थे | ‘’ कहो रम्मू कैसे आना हुआ |’’
‘’ क्या बताएं कक्का.... हम तो अपनी पड़ोसन से
परेशान हैं | ‘’रम्मू गंभीर होकर बोला |
‘’ का आंख मारती है .... जो तुम अधेड़ होकर
परेशान हो |’’ मस्त राम जी ने मस्त मस्त अंदाज में कहा |
‘’ मजाक की बात नहीं है कक्का | का है कि उस औरत ने दो साल पहले हमसे पांच
हजार रुपये कर्जे में लिया था | अब हम जब केवल मूलधन मांग रहे हैं तो हमें धमकी दे
रही है | ब्याज देने की तो कुब्बत ही नहीं है उसमें | ‘’
‘’ का धमकी दे रही है ?’ मस्तराम जी कान
खुजलाते हुए बोले | ‘’ छेड़छाड़ के केस में फंसा दूंगी|’’
‘’ तुम का बोले | मस्तराम ने अगला प्रश्न
किया |
‘’ का बोलते ... चुप रहे |’’ रम्मू बोला |
‘’ बेवकूफ बोल देते पहले छेड़छाड़ कर लेने दो
फिर फंसवा देना |’’
‘’ये तुम का सलाह दे रहे हो कक्का हमें उससे
पंगा थोड़ी न लेना | हमें तो अपने पैसे वसूलना है |’’ रम्मू बोला ‘’अगर पैसे नहीं
दिए तो ,......|’
‘’ का करेंगे चुपचाप भूल जायेंगे | ‘’
‘’ फिर सलाह माँगने काहे आये हो ....|’’रम्मू
लाल खामोश होकर रह गए |
सलाह मिली भी तो ऐसी , उगलने की न निगलने की |
सुनील कुमार सजल