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सोमवार, 18 मई 2015

व्यंग्य- हम तो कहते हैं


व्यंग्य- हम तो कहते हैं


यारो जो आए जी में कह लो |कहने में कैसा डर| अपना मुंह है कुछ भी बक लें |लोकतंत्र में रहते हैं |अपना देश वह लोकतात्रिक देश नहीं है | जहां एक बार कहने के लिए सौ बार सोचना पड़ता है | यहाँ तो इतनी छूट  है कि सौ बार बोलकर एक बार सोचते हैं |जो जी में आया कह दिया | हर कोई मानहानि का दावा थोडी न ठोंकता है | सामने वाले को मालूम है |आज अपन दावा ठोंकेंगे |कल वह भी अपने ऊपर दावा ठोंक सकता है | अपना मुंह भी बेलगाम है | आपने वह गीत सूना होगा | ‘’ कुछ तो लोग कहेंगे | लोगो का काम है कहना |’’ बस यही सोचकर बेपरवाह से हम कुछ भी करते रहते | नतीजा हम पर छेडछाड सीटी बाजी जैसे आरोप लगे | अखबार तक में नाम छपा | 
  हम तो कहते हैं साब | बिना कुछ कहे या करे आप महानता हासिल नहीं कर सकते | हमारे बुजुर्ग बहुत कुछ कहा करते थे |जो वे खुद नहीं करते थे वह भी |और उनमें से कुछ महान पुरुष बन गए |
 कुछ भी कहते रहने का फ़ायदा यह होता है की हम कहने के आदी हो जाते हैं | जैसे देश के राजनीतिज्ञ बकवास बातों को यूँ कह देते हैं जैसे कहने की बात हो |
राजनीति का फंदा है गूंगा या मूक बनाकर राजनीति न करो | वरना देखकर कुत्ते भी न भौकेंगे | दुत्कारना भी आना चाहिए और पुचकारना भी |
पिछले दिनों शहर के एक नेता ने महिला नेत्री पर कुछ अनर्गल टिप्पणीकी | हो हल्ला मचाया महिला संगठनों ने | नेताजी के खिलाफ नारेबाजी हुई | पर वे निश्चिन्त थे | पूछने पर बोले –‘’जो कहना था , कह दिया |’’
 साहब फायदे के लिए कुछ कहना पड़ता है | दरअसल , कुछ दिनों से मीडिया उन्हें महत्त्व नहीं दे रहा था | वे उपेक्षित से थे | जनता में पहचान गम होती जा रही थी | इसलिए उन्होंने सोचा कुछ कहकर लाइट में आया जाए और कह दिया | अब चार दिनों से वे लगातार छप रहे हैं |
 अभी कुछ दिन पूर्व आपने न्यूज में सुना होगा | एक जज ने सुनवाई करते हुए कह दिया | महिलाओं को पति से पीटने में क्या बुराई है | कहने की बात थी , कह दी | इसमें महिलाओं को बुरा लगा तो वे क्या करें |
हो सकता है उनके पास पति प्रताड़ित पत्नियों के मामले आते रहे हों या पत्नी द्वारा दर्ज फर्जी मामले भी रहे हों | मामला कुछ भी रहा हो | लगता है जज साहब ऐसे मामलों से ऊब चुके थे | सो , मन के अंदर उठी बात कह दी |
भई पिट लो | क्या बुरा है | पति ही तो है पीटने वाला | जिसे तुम परमेश्वर कहती हो | हरितालिका व करवा चौथ में जिसे देवता मानकर देखती हो | जब तक तलाक या सम्बन्ध विच्छेद नहीं होता उसके नाम का मांग में सिन्दूर भरती हो | एक तरफ लम्बी उम्र की चाहत पति की | दूसरी तरफ न्यायालय में सजा दिलाने का उपक्रम | शायद यही सोचकर जज साहब ने सलाह दी हो महिलाओं को |
इधर, मीडिया को क्या है ? मेटर चाहिए | वह तो कहने वाले का मुंह पकड़ता है | किसी ने चूं किया उधर फूं छाप दिया |
हमारी सलाह है किआप भी मुंह में आए कही | बात मन में दबाने से शारीरिक विकृति उत्पन्न होती है , यानी आप दब्बू बन सकते हैं या टेंशन से घिर सकते हैं |
 अब तो हमारी सलाह मानेंगे न | सलाह देना हमारिऊ आदत है |
      सुनील कुमार ‘’सजल’’