suneel kumar ''sajal c/o sunil kumar namdeo, sheetlaa ward no.09, near mandla-sioni road, bamhani banjar distt-mandla (m.p.) sunilnamdeo69@gmail.com
रविवार, 12 नवंबर 2017
गुरुवार, 1 जून 2017
समय कीबात – समाज अंधविश्वास को पूजता है ....
समय
कीबात – समाज अंधविश्वास को पूजता है ....
गाँव के बगीचे में लगे किसी पेड़ से अचानक पानी का
रिसाव होने लगा | पेड़ मालिक ने अफवाह फैला दिया – ‘’ बगीचे के मंदिर में विराजी
देवी की कृपा से इस साल गाँव में बीमारी न फैले इसलिए मंदिर से सटे पेड़ से माता
रानी ने जल रूपी अमृत प्रसाद का रिसाव किया है | सभी देवी भक्त इसे ग्रहण कर रोग मुक्त
हों |’’
आस्थावान
लोगों की भीड़ लगने लगी |पेड़ से टपकते जल को पाने के लिए | भजन कीर्तन , पूजा पाठ का
माहौल बन गया | चढ़ोतरी चढने लगी |
अखरू ने
सुना तो वह भी पहुंचा पेड़ के नजदीक | उसे दो माह से टी.बीकी बीमारी है | अखरू को
भीड़ के नजदीक आते देख कुछ लोग चिल्लाने लगे –‘’ चल दूर हट | यहाँ छोटे बच्चे व
महिलायें हैं |तेरे मुख से उड़ाते कीटाणु इन्हें लग गए तो...| जा जब सब लोग चले
जाएँ तब लेना प्रसाद |‘’ पेड़ मालिक को भी लगा पेड़ के जल -प्रसाद के नाम पर आती
चढ़ोतरी को बट्टा ना लग जाए इसलिए वह भी भीड़ की आवाज में अपनी आवाज मिला दिया |
वह लोगों का
विरोध सुनकर दूर हटकर भीड़ ख़त्म होने का इंतज़ार करने लगा |
सुनील कुमार ‘’सजल’’
मंगलवार, 16 मई 2017
समय की बात – हां !आज
समय की बात – हां !आज
उनका स्वभाव था | अगर वे किसी परिवार में खाने के
समय पर पहुंचते और उनसे खाने के लिए कहा
जाता तो न कर देते |एक बार वे अप[आने मित्र के यहाँ किसी काम से पहुंचे थे परिवार के लिए भोजन का वक्त था | मित्र की
पत्नी ने सोचा ,’’ चलो शर्मा जी को भी खाने को कह दिया जाए | वे तो वैसे भी मना कर
देते हैं | दो शब्द बोलने में क्या हर्ज है |
परन्तु आज
जाने कैसे शर्मा जी ने हां में सर हिलाते हुए बोले – ‘’ आज तो खा लूंगा घर में
मिट्टी का तेल ख़त्म हो जाने के कारण खाना नहीं पका सका |’’
शर्मा जी की हां पर पत्नी का माथा ठनका बुदबुदाते
हुई बोली ‘’ आज फिर खाना पकाना पडेगा |’’
सुनील कुमार ‘’सजल’’
शुक्रवार, 12 मई 2017
समय की बात
समय की बात
आदमी एटीएम , बैंक काउंटर , अधिकारी के शिकायत कक्ष
, माता के दरबार में कतार में खडा बड़ा शालीन व सभ्य नजर आता है ,मगर भंडारा , मिटटी के तेल हेतु
मार्केटिंग सोसायटी के सेल काउंटर में , मंगल कार्यक्रम के प्रीतिभोज में .....हा
..हा..हा.. हा .....?
सुनील कुमार ‘’सजल’’
गुरुवार, 11 मई 2017
समय की बात – महंगाई भत्ता
समय की बात – महंगाई भत्ता
इधर सरकार
ने महंगाई भत्ता बढाया | सुनकर खबर मकान मालिक किरायेदार के पास आया | बोला- भाई
जी , मकान किराये में मैं पांच प्रतिशत की वृद्धि करने जा रहा हूँ |’
‘’ लेकिन भाईसाब मकान किराया बढाए आठ महीने भी नहीं हुए और आप फिर...|’’
‘’ सरकार आपका महंगाई भत्ता महंगाई वृद्धि दर अनुसार
ही तो बढ़ाती हैं न .. अभी आपका महंगाई भत्ता सात प्रतिशत बढ़ा तो मैं पांच प्रतिशत
की वृद्धि कर कौन सा बुरा कर रहा हूँ ...|’’
किरायादार प्रश्नवत...मूक दृष्टि ....!
सुनील कुमार ‘’सजल’’
मंगलवार, 9 मई 2017
समय की बात – कुत्ते की मौत ...काश !
समय की बात – कुत्ते की मौत ...काश !
पिछले दिनों सड़क किनारे खडी एक कुतिया किसी बड़े वाहन
के चपेट में आ गयी | वहीँ उसका दम टूट गया | दूर कहीं खेल रहे उसके पिल्लै भी उस
तक आ गए | उसके स्तन से लग कर दूध पीने लगे |दृश्य बड़ा दर्दनाक था | उसी समय उसे
देखकर दो-तीन जवान कुत्ते भी आ गए |
एक ने कहा- ‘’ इसे कहते हैं कुत्ते की मौत ...|
कुतिया तो दम तोड़ दी | पिल्लै अब स्तन चूसने में लगे हैं | इतने मानव लोग देखकर गुजर रहे ...मगर देखकर ही बोल बतिया लेते हैं .. है कोई उनके
मासूम पिल्लों के लिए चर्चा तक नहीं किया | काश यह किसी इंसान के साथ बीतता तो
...| चार लोग दौड़ जाते .. अस्पताल पहुचाते ... बच्चे को पुलिस या उसके रिश्तेदार
को सौपतें ....|
‘’ मगर यह तो पड़ोस के एक घर में रहती पलती थी ...|
दूसरे ने बीच में बोला |
‘’ साला वह भी दो तीन लोगों के साथ आया देखा ..और उसके बहते
खून को देखकर थूककर चला गया |’’
‘’ साला .. अपने स्वार्थ व वफादारी
की उम्मीद तक ही इससे रिश्ता बनाकर रखा था | कुत्ता साला ...|’’
‘’ अबे उसे कुत्ता कौन कहेगा .. कुत्ते तो हम हैं जो
ज़रा सा जूठन खाने को मिला नहीं कि खिलाने वालों के आगे दम हिलाने लगते हैं ...
सुधर जाओ कुत्तों वरना इस कुतिया से बदतर मौत के साथ इस दुनिया से जाओगे ....|
पहले ने अकड़कर जोर से भौकते हुए कहा |
सुनील कुमार ‘’सजल’’
सोमवार, 8 मई 2017
बात की बात – वो ज़माना था सीटीबाजों का...
बात की बात – वो ज़माना था सीटीबाजों का...
अब तो सीटी बजाने का समय गया साब |अब लोग मोबाइल पर
ही फुसफुसा लेते हैं अपनों से .| दोस्तों
यारों को घर वालों के डर से सीटी बजा कर बुलाते थे |एक युग था जब कुछ सड़क छाप टाइप
के प्रेमी लोग भी लड़कियों के हॉस्टल ,
महाविद्यालय, या फिर उसके घर के सामने से सीटी बजाते हुए निकलते थे | तो लगता था कोई पागल प्रेमी
प्यार की तड़प को अपनी सीटी के माध्यम से सुनाते हुए गुजर रहा है | सीटियाँ भी तरह
तरह से बजायी जाती थी | कभी बांसुरी नुमा तो कभी ट्रेन इंजिन के हार्न की धुन में | तब लोग सीटी
बजाने की प्रैक्टिस किया करते थे ‘’ यार बताना तू इतनी सुरीली सीटी
कैसे बजा लेता है |अबे मैं तो बजाकर परेशान हूँ , जब भी बजाने का प्रयास करता हूँ
सड़क पर घिसटते टायर की तरह आवाज निकलती है या फिर फूस की आवाज आती |
कुछ प्रेमिकाएं टाइप की लड़कियां अपनी अटारी पर आकर अपने प्रेमी की सीटीनुमा आवाज सुनने के
लिए तड़पती थी |शाम ढलने की बेला में वे छत पर आ जाती थी या फिर आँगन में|प्रेमी भी
साइकिल पर सवार होकर किसी गाने की लाइन को
अपने सीटी नुमा स्वर में ढालकर प्रेमिका
के घर की तरफ देखते हुए गुजरता था | तब वह खुद को कृष्ण व अपनी प्रेमिका को राधा
से कम समझने की भूल नहीं करता था |
कुछ एक एक तरफा प्यार में पागल प्रेमी अपनी पसंदीदा
छोकरी को पटाने के लिए अपना काम छोड़ सीटी के अभ्यास में लगा रहता था | वह किस धुन
पर सीटी बजाये की उसके तरफ न देखने वाली लड़की भी मुस्कुराकर उसकी तरफ देखती रह जाए
| छेड़छाड़ भी सीटी की धुन पर होती थी | फिल्मों में लड़की पटाने वाला हीरो भी लगभग
सीटी बजाकर प्रेमिका से छेड़छाड़ करता , गीत गाता था |
उस समय अगर
घर में कभी पति सीटी बाजाकर मन बहलाने की कोशिश करते | पत्नियां सवालों के तीर छोड़ने लगतीं ,’’ क्या
बात है आजकल बहुत सीटी बजाने लगे हैं , कहीं कोई चक्कर-वक्कर या फिर सौतन लाने का
इरादा है क्या |’’
उस समय सीटी बजाना सिर्फ लड़की पटाने का साधन मात्र
नहीं समझा जाता था| बल्कि टाइम पास साधन भी था | कुछ लोग अपनी बोरियत को दूर करने
के लिए शाम के समय नदी या तालाब किनारे बैठकर सीटी की धुन बजाकर अकेले होने का
टाइम पास करते थे | या फिर टहलते हुए सीटी
बजाते थे|
तब पुलिस वाले ज्यादा ध्यान नहीं देते थे | बजाने दे
यार साला पागल होगा |बस परिचालक भी मुंह से सीटी बजाकर बस रुकवा देते थे | क्योंकि बसों में
आधुनिक टाइप बेल नहीं लगी होती थी |
मगर आज वो
ज़माना नहीं रहा | सीटी पर से धुन निकालने वाले लोग भी नहीं रह गए |सीटी
बजाकर किसी छोरी के घर के तरफ देखते हुए निकल जाइए | फिर देखिये अपनी नौबत लाने का
तमाशा | जूते तो पड़ेगें और 100 डायल पुलिस
वाहन भी आ जाएगा | आपको उठाने के लिए| इसलिए कभी सीटी बजाकर गुनगुनाने का मन हो तो
सूनसान जगह चुनी या फिर बंद कमरे में गुनगुनाइएगा साब ....|
सुनील कुमार ‘’सजल’’
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