लघुकथा –
परिभाषा
दोनों एक
पत्रिका में छपी किसी महिला मॉडल की नग्न तस्वीर देखकर खुश हो रहे थे |तभी जंगलों
में रहने वाली एक नौजवान आदिवासी युवती अर्ध्दनग्न पोशाक में सर पर लकड़ी का गट्ठर
उठाए वहां से गुजारी |
उसे
देखते ही राकेश बोला ,’’ अबे उस औरत को देख! क्या चीज है अरे , उसके उभार तो
देख...!’’
रम्मू ने एक नजर उठाकर उस लड़की की और देखा और
बोला , ‘’ क्या बे , तू भी क्या कुत्ते की तरह जहां चाहे नजरें गडाने लगता है |
अरे, इसे देख इसे...|’’ और इतना कहकर पत्रिका के चित्र की और पुन: उसका ध्यान
खीचतें हुए स्वयं उस युवती पर नजर गड़ाकर बैठ गया |
राकेश
समझ नहीं पा रहा था कि ‘’कुत्ते ‘’ की परिभाषा के प्रति दोनों में से किसका नजरिया
सही है |
सुनील कुमार ‘सज
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