बुधवार, 3 मई 2017

लघुव्यंग्य- यार की बात ......

लघुव्यंग्य- यार की बात ......
उनकी ओर से डाली गयी यूट्यूब में एक ही तरह की वीडियो सामग्री मसलन ‘’ औरत को संतुष्ट करने के तरीके , यह नुस्खा आपको बिस्तर पर घोडा –सा ताकतवर बनाकर छोड़ेगा  ,यह नुस्खा आजमाकर औरत के मुख से चीख निकालें’’  वगैरह वगैरह |
  ‘’ आपको औरत ही को  संतुष्ट करने की चिंता क्यों है ? कहीं आपके जीवन में भी ...|’’
‘’ क्या बकवास बात कर रहा है ,मैं तो घोडा हूँ घोड़ा |’’
‘’ फिर ये फालतू की सामग्री .. कोई ज्ञान की बातें डालो |और क्या भरोसा तुम्हारे ये नुस्खे कितने काम के हैं , नीम हाकिम खतरे की .... वाली कहावत तो नहीं है |“’’

‘’येभी ज्ञान की बात है दोस्त उनके लिए जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं हैं | फिर आप भी जानते हैं फेयरनेस क्रीम से कितने कौएं बगुले की रंगत पा सके  | 

लघुव्यंग्य- मन

लघुव्यंग्य- मन
मुझे माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से हाई स्कूल की प्रायोगिक विज्ञान परीक्षा संपन्न कराने हेतु बाह्य परीक्षक के रूप में जंगल के बीच बसे हाई स्कूल में जाने का आदेश प्राप्त हुआ था, जहां मात्र दो शिक्षक थे और जिस गाँव में घर भी बामुश्किल भी आठ- दस ही थे |
परीक्षा संपन्न कराने के उपरांत मैंने एक शिक्षक से पूछ ही लिया- ‘’ भाई , आप लोग इस घनघोर जंगल के बीच बने स्कूल में बड़े कष्ट में जीवन गुजारते होंगें ...जहां मात्र ८-१० घर ही हैं और जहां के लोग रोटी की तलाश में दिनभर जंगलों में भटकते रहते हैं| कैसे मन लगता होगा आप लोगों का ऎसी जगह ....? आपकी जगह अगर हम होते तो दूसरे दिन यहाँ से रवाना हो गए होते ....!’’

मेरी बात सुनकर वह मुस्कराते हुए बोले ,’’ जहां आसानी से शराब , शबाब और मुर्गे की उपलब्धता हो जाए तो जंगल के बीच बने इस स्कूल में तो क्या , इससे भी बदतर जगह में भी हमारा मन आसानी से रम जाता है सर !’’

बुधवार, 19 अप्रैल 2017

......समाचार.!

समाचार..........!
स्थानीय अखबार में एक दफ्तर के पदस्थ अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुडी खबर छपी |जनता खुश |'' अब बेटा को पता चलेगा ...जब जांच चलेगी .. म्याऊं म्याऊं करता नजर आयेगा ...पहले बहुत गुर्राता था ...|''
'' काहे इतना खुश हो रहे भाई ...जांच कौन अधिकारी करेगा , जिनके खिलाफ खुद कुछ न कुछ छपता रहता है ..दोस्त जिन्हें बिना खाज के खुजलाने की आदत पड़ गयी है ,आप चाहे हाथ-पाँव बाँध दें , वह किसी न किसी तरीके से खुजलाने से बाज नहीं आयेगा ,,,सो वे भी ...| ''

बुधवार, 5 अप्रैल 2017

लघुव्यंग्य –प्रत्युत्तर

लघुव्यंग्य –प्रत्युत्तर
एक बाप महाविद्यालय की राजनीति में लिप्त अपने बेटे को हिदायत देते हुए कहा-बेटे अब तुम राजनीति करना छोडो और पढाई में मन लगाओ |इसी में तुम्हारा भला है |’’
‘’ नहीं पापा.. मैं राजनीति नहीं छोड़ सकता ... कालेज में दाखिला लेना तो मेरे लिए मात्र पढाई का बहाना रहा है | मैं करूंगा तो राजनीति ही ...|’’
‘’ क्या बक रहे हो ... देखते नहीं राजनीतिज्ञों को लोग कैसी –कैसी गालियाँ और बददुआयें  देते हैं |’’
  अभी पिताजी की डपट पूरी भी नहीं हो पायी थी की बेटे ने बात काटते हुए कहा –‘’लेकिन वक्त आने पर लोग उनके ही पैर टेल गिरते हैं ... फिर भी बुरे....?
गुस्से तमतमाया पिटा खामोश होकर रह गया |


सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

लघुव्यंग्य - आदेश


लघुव्यंग्य - आदेश 

सरदार के सामने वे तीनो सर झुकाए खड़े थे || सरदार ने एक-एक के चहरे पर नजर दौडाते हुए कड़क आवाज में प्रश्न किया – ‘’ आज कितनों को लुढ़काकर आए हो |’’


‘’सरदार आठ को |’


‘’क्यों? मैंने तुम्हें तेरह के लिए कहा था न बेवकूफों |’’


‘’ उनमें से पांच तो वैसे भी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के कारण मरने योग्य हैं सरदार ....आखिर उनको मारने से  फ़ायदा क्या है |’’


‘’ अरे हरामजादों |’’ सरदार चीखा –‘’ आतंक फैलाने के लिए बीमार व चुस्तों के बीच विभाजन नहीं किया जाता कुत्तों ... अभी जाओ उन्हें भी लुढ़काकर आओ ...वरना उनकी किस्मत की गोली में तुम लोग होगे ....|’’


वे तीनो बिना देरी किये झटपट हथियार उठाकर किसी पालतू कुत्ते को मिले ‘’आदेश’ की तरह चल पड़े उन लोगों की झोपड़ियों की ओर....|


      सुनील कुमार ‘’सजल’’  


 

शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

लघुव्यंग्य - इष्ट

 लघुव्यंग्य - इष्ट वे पार्टी के छोटे कद के नेता हैं |एक शाम उन्होंने मुझे अपने घर पर बुलाया |मैंने देखा उनके घर में जहां –तहां दीवारों पर वतमान नेताओं के फोटो कीमती फ्रेम में लटके थे | दो –चार फोटो पर फूलमाला भी चढ़ी थी | ‘’ लगता है आप ईश्वर की अपेक्षा इन नेताओं को अपना ईष्ट मानते हैं |’’मैंने उनके मन की बात का पता लगाने का प्रयास किया तो वे मुस्कुरा कर बोले -=’’ अच्छा आप बताइये ....आप भी एक महान संत को अपना इष्ट मानते हैं क्यों |’’‘’ वे सच्चे संत हैं ...उनकी दी शिक्षा से जीवन सफल हुआ है |’’’ मैंने कहा |वे बोले –‘’ बस यही बात हम पर भी लागू होती है ....इन्हीं इष्ट नेताओं से मिली प्रेरणा शक्ति से हम भी राजनीति में अपना जीवन सफल बनाते जा रहे हैं ...अगर आप संतों का पूजन करते हैं तो आपकी तरह हम भी इन नेताओं की पूजा कर रहे हैं तो क्या बुरा कर रहे हैं ...कहिये |’’मैंने कुछ बोले बगैर टेबल पर आयी चाय के कप को होठों से लगा लिया था |सुनील कुमार ‘’सजल’’ 

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

लघुव्यंग्य – दर्शन

लघुव्यंग्य – दर्शन

वे प्रतिदिन मंदिर में देवी-दर्शन के लिए जाते , लेकिन ‘’ देवी-दर्शन’ के बहाने वहां आने वाली महिलाओं के दर्शन में ज्यादा रुचि दिखाते |
अक्सर उनके साथ रहने वाले एक मित्र ने एक दिन उनकी इस हरकत पर अंगुली उठाते हुए कहा-‘ क्यों भाई मैं अक्सर देखता हूँ कि तुम मंदिर में देवी-दर्शन के बहाने महिलाओं को घूरते रहते हो .. क्या यह अच्छी बात है .. इससे तुम्हारी अध्यात्मिक भावना भंग नहीं होती ...|’’
उन्होंने अपनी चोरी पकडाते हुए देख कर अपने जवाब में वजन लाने के प्रयास से  कहा – ‘’ क्या महिलायें ‘’ देवी’’ का रूप नहीं हैं ?अगर उनमें देवी रूप सौन्दर्य का दर्शन कर आत्मिक शान्ति पाटा हूँ तो क्या बुरा करता हूँ |’’

सुनील कुमार ‘सजल’’